नई दिल्ली- भारत रत्न और देश के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की आज दूसरी पुण्यतिथि है। 2018 में आज के ही दिन यानी 16 अगस्त को अटल बिहारी वाजपेयी इस दुनिया को विदा कह गए थे। उनके निधन की खबर ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया था। वह भारतीय राजनीति के उन चंद नेताओं में से हैं जो कभी दलगत राजनीति के बंधन में नहीं बंधे और उन्हें हमेशा ही सभी पार्टियों से भरपूर प्यार व स्नेह मिला।
शादी के सवाल पर यूं देते थे जवाब
ऐसा नहीं है कि शादी से जुड़ा सवाल अटल जी से ज्यादा नहीं पूछा गया। लेकिन जब भी पूछा जाता वह कभी परेशान नहीं होते थे बल्कि बड़े ही शांत और संयमित तरीके से उन सवालों का जवाब देते थे। कई बार तो वो कहते कि, ‘’व्यस्तता के कारण ऐसा नहीं हो पाया।’’ बाद में ये कहकर मुस्कुरा देते थे। उनके करीबी लोग तो ये भी कहते हैं कि उन्होंने राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के लिए आजीवन अविवाहित रहने का निर्णय लिया था।
अटल जी ने कभी शादी क्यों नहीं की, जिसका सही-सही जवाब और ठोस कारण किसी को नहीं पता। हालांकि इस बारे में वह खुद सदन में विपक्ष के हमलों के बीच अपने अविवाहित होने का बारे में बड़ी ही साफगोई के साथ ये बता चुके हैं, ‘’मैं अविवाहित जरूर हूं, लेकिन कुंवारा नहीं।’’
दत्तक पुत्री ने मुखाग्नि दे कायम की मिसाल
नमिता भट्टाचार्य अटल जी की दत्तक पुत्री हैं। अटल जी ने सारी जिंदगी अपनी बेटी का ख्याल रखा और जब उनका निधन हुआ तो उनकी बेटी ने मुखाग्नि देकर दुनिया के सामने एक मिसाल पेश की। गौरतलब है कि अटल जी के कॉलेज के दिनों में उनकी एक महिला से अच्छी मित्रता थी जिनका नाम राजकुमारी कौल था।
राजकुमारी आखिरी समय तक अटल जी के साथ रहीं। दोनों ग्वालियर के विक्टोरिया कॉलेज में साथ पढ़ते थे। अटल जी पर लिखी गई किताब अटल बिहारी वाजपेयीः ए मैन ऑफ आल सीजंस में इस बात का जिक्र किया गया है। कॉलेज की पढ़ाई पूरी होने के बाद अटल जी राजनीति की तरफ बढ़ गए और राजकुमारी के पिता ने उनकी शादी प्रोफेसर ब्रिज नारायण कौल से करवा दी। हालांकि अटल और राजकुमार कौल का संबंध का कभी चर्चा में नहीं आया।
वहीं साल 2014 में राजकुमारी कौल का निधन हो गया। दोनों का रिश्ता पवित्र था, इतना पवित्र की राजकुमारी कौल के पति ब्रिज नारायण कौल को भी इस पर कोई एतराज नहीं हुआ। एक इंटरव्यू में राजकुमारी कौल ने कहा था, ‘अटल के साथ अपने रिश्ते को लेकर मुझे अपने पति को कभी स्पष्टिकरण नहीं देना पड़ा। हमारा रिश्ता समझबूझ के स्तर पर काफी मजबूत था।’
ग्वालियर में हुआ था जन्म
अटल बिहारी वाजपेयी का पैतृक गांव यूपी के बटेश्वर में था, हालांकि उनका जन्म 25 दिसंबर 1924 को ग्वालियर में हुआ था। ग्वालियर के ही विक्टोरिया कॉलेज से उन्होंने पढ़ाई की। अगर उनके पूरे जीवन पर नजर डालें तो वो राजनीति, कविता और सादगी के बीच बीता। 1945 में कानपुर के डीएवी कॉलेज में राजनीति शास्त्र से एमए करने आ गए। डीएवी कॉलेज के माहौल ने उन्हें राजनीति में दिलचस्पी रखने को मजबूर कर दिया और बाद में उन्हें भारतीय राजनीति का भीष्म पितामह कहा गया।