भारत जैसे कृषि प्रधान देश में किसानों की फसल और भंडारण को लेकर आए दिन समस्या बनी रहती है. भारत देश में कई चीजों का उत्पादन बहुत ज्यादा होता है. गन्ना, गेहूं जैसी चीजों का उत्पादन भारत देश में बहुत अधिक होता है. इस मामले में हमारे देश में प्याज भी एक बहुत अहम उत्पादन है. इन दिनों सबसे ज्यादा महंगाई प्याज पर ही बनी हुई है. त्योहारों के सीजन में प्याज की कीमतें आसमान छूते हुए दिखाई दे रही हैं. भारत में अधिकतर हर घर में चाहे शाकाहारी पकवान बने या फिर मांसाहारी दोनों में ही प्याज का उपयोग जरूरी है.
आज हम आपको बताएंगे प्याज के ऐसे कैलेंडर के बारे में जिसे यदि आप हमेशा याद रखते हैं, तो आपको कभी भी प्याज की कीमत अधिक होने के कारण परेशान नहीं होना पड़ेगा.
इस सीजन में होता है प्याज का उत्पादन
भारत में प्याज की खेती खरीफ जायद और रवि के सीजन में होती है. जिसने सबसे पहले खरीफ की खेती की जाती है.. खरीफ के सीजन में प्याज की बुवाई लगभग जुलाई-अगस्त के महीने में होती है. यह फसल जुलाई अगस्त के महीने में बोने के बाद अक्टूबर-दिसंबर महीने में बाजार में उपलब्ध होती है. अब अगर बात की जाए दूसरे सीज़न की तो प्याज की फसल अक्टूबर-नवंबर में बोई जाती है जो कि मार्च तक तैयार होती है. तीसरी फसल यानी कि रबी की फसल यह दिसंबर जनवरी में बोई जाती है और मार्च से लेकर मई तक तैयार हो जाती है. मई के बाद यह सीधे मार्केट में पहुंचती है, और अगली फसल अक्टूबर तक आती है. इस समय प्याज महंगा हो जाता है. इसके मुताबिक मई में प्याज की फसल के बाद अगर उसका भंडारण ठीक से हुआ तो जून और जुलाई के महीने में प्याज सही कीमत पर उपलब्ध होता है.
इन महीनों में हो सकता है प्याज महंगा
जून के महीने में गर्मी बहुत ज्यादा होती है, जिसमें प्याज महंगा हो सकता है. दरअसल ऐसे में प्याज के भंडारण की क्षमता कम हो जाती है और गर्मी के कारण प्याज में सड़न भी पैदा होने लगती है. ज्यादा मात्रा में प्याज के खराब हो जाने के कारण दाम भी बहुत अधिक बढ़ जाते हैं. मई के महीने के बाद प्याज की अगली फसल अक्टूबर में पैदा होती है. अगस्त, सितंबर महीने में प्याज की पैदाइश और भी कम हो जाती है. इन महीनों में प्याज की आवक में कमी आने के कारण भी कीमतें आसमान छूती है.
इन महीनों के बाद नई फसल नवंबर में आती है, जिसमें प्याज की कीमत 100-150 प्रति किलोग्राम तक पहुंचती है. बात की जाए बारिश की मौसम की तो नमी के कारण प्याज में सड़न और बदबू पैदा होती है. जिससे कि मार्केट में प्याज की कीमतों में उछाल आता है. प्याज की कीमतें तो घटती बढ़ती रहती हैं, लेकिन अगर आप अपना बजट नहीं बिगाड़ना चाहते हैं, तो आपको पहले ही प्याज को अच्छी तरह से स्टोर कर के रखना होगा.
किस राज्य में होता है प्याज का उत्पादन
महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, कर्नाटक, बिहार और राजस्थान जैसे राज्यों में मिलाकर पूरे देश में लगभग 2.3 करोड़ टन प्याज का उत्पादन किया जाता है. मध्य प्रदेश में 16 फ़ीसदी, महाराष्ट्र में 36 फ़ीसदी और कर्नाटक में लगभग 13 फ़ीसदी प्याज का उत्पादन होता है. अब अगर बात की जाए बिहार की, तो बिहार में 6 फ़ीसदी और राजस्थान में 5 फ़ीसदी प्याज का उत्पादन किया जाता है. यदि इनमें से किसी भी राज्य में बाढ़ आ जाए या अक्टूबर नवंबर के महीने में बुवाई के समय पर ज्यादा पाला पड़ने लगे तो प्याज की फसल बहुत ज्यादा खराब हो जाती है. इन सबके चलते फरवरी-मार्च में प्याज के दाम बहुत ज्यादा बढ़ भी सकते हैं.
कैसे बनाएं प्याज का बजट
आज का जो कैलेंडर हमने आपको बताया है, उसके हिसाब से प्याज के महंगे होने से पहले ही आपको प्याज खरीद कर रखना चाहिए. प्याज की कीमत घटती बढ़ती है तो आपको अपने बजट को बिगड़ने से बचाने के लिए प्याज को स्टोर करके अच्छी तरह सुखा कर रखना चाहिए. इससे आपका बजट नहीं बिगड़ेगा. ध्यान रखें कि प्याज को एक या 2 हफ्ते तक ही स्टोर करके रखें. आप ऐसा नहीं करते हैं तो बजट बिगड़ सकता है और प्याज में सड़न भी पैदा हो सकती है.