पाकिस्तान के प्रधानमंत्री और पूर्व क्रिकेटर रहे इमरान खान ने अंत में ये स्वीकार कर ही लिया की मुंबई हमले में उनके देश के 11 आतंकवादियों का हाथ था। हैं। भारत की सफल कूटनीति से मात खाए पाकिस्तान को आतंकवादियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने के लिए बाध्य होना पड़ रहा है, जिसके बाद पाकिस्तान की संघीय जांच एजेंसी ने मोस्ट वॉन्टेड की नई लिस्ट में मुंबई हमले में शामिल 11 आतंकियों के नाम को दर्ज किया है। इसके अलावा जो व्यक्ति इन मोस्ट वॉन्टेड में किसी के बारे में भी कुछ बताएगा तो उसके लिए ईनाम की घोषणा भी कर दी है।
2008 में हुआ था मुंबई हमला
आपकों बता दें कि 26 नवंबर 2008 को पाकिस्तानी सेना और खुफिया एजेंसी की शह पर लश्कर ए तैयबा के आतंकियों ने मुंबई में कई स्थानों पर हमले किया था। इस आतंकी हमले में कई विदेशियों सहित करीब 155 लोगों की मौत हो गई थी, जिसके बाद एनएसजी की टीम ने ऑपरेशन ब्लैक टॉरनेडो लॉन्च कर आतंकियों का सफाया किया था। इस हमले का मास्टर माइंड जकीउर रहमान लखवी है, जिसे पाकिस्तान में गिरफ्तारी के बाद जमानत पर रिहा कर दिया गया था।
भारत के दबाव से हुआ परेशान पाक
वैश्विक मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकवाद को धन मिलने को रोकने के लिए बने संगठन फाइनेंशियल एक्शन टॉस्क फोर्स में भारत का पाक पर दबाव बना हुआ है। पिछले महीने एफएटीएफ की पूर्णकालिक बैठक में भी पाकिस्तान को आतंकवाद के खिलाफ काम न करने पर ग्रे लिस्ट में ही रखने पर सहमति बनी थी। एफएटीएफ ने कहा था कि पाकिस्तान ने आजतक हमारे 27 कार्ययोजनाओं में से केवल 21 को ही पूरा किया है। इसमें भारत में वांछित आतंकवादियों मौलाना मसूद अजहर और हाफिज सईद के खिलाफ कार्रवाई न करना भी शामिल हैं।
इन देशों ने भी किया किनारा
इसके अलावा नामित करने वाले चार देश-अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस और जर्मनी भी पाकिस्तान की सरजमीं से गतिविधियां चला रहे आतंकी संगठनों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने की उसकी प्रतिबद्धता से संतुष्ट नहीं हैं। खुद अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप भी आतंकवाद को लेकर पाकिस्तान को कई बार खरी-खोटी सुना चुके हैं। इतना ही नहीं, फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों के खिलाफ इमरान खान ने मोर्चा खोलकर आतंकवाद के खिलाफ अपने स्टैंड को साफ कर दिया है।
क्यों टेके घुटने
पाकिस्तान खुद को कैसे भी एफएटीएफ की ग्रे लिस्ट से खुद को बाहर निकालना चाहता है, लेकिन इसके लिए उसे आतंकवादियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करनी पड़ेगी। इसी कारण पाकिस्तान ने संभवत दिखावे के खातिर इन आतंकवादियों को मोस्ट वॉन्टेड की लिस्ट में डाला है। अगर पाकिस्तान ग्रे लिस्ट में बना रहता है तो उसकी आर्थिक स्थिति खराब होना तय है। पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (आईएमएफ), विश्व बैंक और यूरोपीय संघ से आर्थिक मदद मिलना भी मुश्किल हो जाएगा।