हरकतों से बाज नहीं आ रहा ड्रैगन, भारत भी मुंहतोड़ जवाब देने को तैयार

नई दिल्ली- एक और जहां भारत और चीन के बीच कूटनीतिक और सैन्य स्तर की बैठकें चल रही हैं वहीं दूसरी ओर चीन अपनी नापाक हरकतों से बाज नहीं आ रहा है। इसी बीच चीन लगातार सरहद के पास सेना की बढ़ोत्तरी करता जा रहा है। चीन के इन कुत्सित इरादों के जवाब में भारत ने भी नॉर्दन लद्दाख इलाके में सेना की तैनाती बढ़ा दी है।

सरकारी सूत्रों ने बताया कि डीबीओ और डेपसांग मैदानी क्षेत्र में टी -90 रेजमेंट सहित सेना और टैंकों की बहुत भारी तैनाती की है। सूत्रों के मुताबिक काराकोरम दर्रे (PP-3) के पास डेपसांग मैदानों के पास पैट्रोलिंग पॉइंट 1 से तैनाती की गई है। बख़्तरबंद तैनाती ऐसी है कि चीनी को वहां काम करना मुश्किल होगा।

विस्तारवादी नीति से बाज नहीं आ रहा चीन

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सरकारी सूत्र ने बताया कि टैंकों की मौजूदगी के चलते चीन के सैनिक कोई भी हिमाकत करने से बचेंगे। उनके लिए इस स्थिति में ऑपरेट करना मुश्किल होगा। डीओबी और देपसान्ग प्लेन्स के दूसरी तरफ के इलाके में चीन ने जब अपना इन्फ्रास्ट्रक्चर खड़ा करना शुरू किया था, तब यहां भारतीय सेना की माउंटेन ब्रिगेड और आर्मर्ड ब्रिगेड ही निगरानी करती थी। अब इस इलाके में 15 हजार से ज्यादा जवान और कुछ टैंक रेजीमेंट भी तैनात कर दी गई हैं।

एलएसी पर तनाव खत्म करने को हुई बैठक

लद्दाख में भारत-चीन के बीच मौजूदा तनाव को कम करने को लेकर भारत और चीन में रविवार को बातचीत का पांचवां दौरा खत्म हुआ है। सूत्रों के मुताबिक, भारत और चीन के लेफ्टिनेंट जनरल स्तर के अधिकारियों के बीच चीन की तरफ मोलडो में पांचवें दौर की बातचीत कल रात 9 बजे खत्म हुई।

यह बैठक सुबह 11 बजे शुरू होकर लगभग 10 घंटे चली थी। हालांकि, बातचीत की पूरी डिटेल अभी सामने नहीं आई है लेकिन जानकारी है कि कमांडरों की बैठक में दोनों देशों के बीच एलएसी पर तनाव को और कम करने पर चर्चा हुई है।

जानकारी है कि इस बैठक में पैंगोंग त्सो फिंगर एरिया को लेकर बातचीत हुई है। बैठक में पैंगोंग त्सो क्षेत्र में फौजों की वापसी को लेकर बातचीत हुई है। पिछले कुछ वक्त से इस एरिया में चीनी सेना की ओर से भारतीय सेना की पेट्रोलिंग में अवरोध डाला गया है, इसलिए यह एरिया विवाद में है.

अब कोर कमांडर अपनी रिपोर्ट आर्मी कमांडर को देंगे और आर्मी कमांडर सेना प्रमुख को। इसके बाद भी जल्द ही एक और बैठक आयोजित की जा सकती है पर चीन का रवैया बैठक में कुछ होता है और एलएसी पर कुछ और। भारत चीन के रुख को देखते हुए काफी सावधानी बरत रहा है।

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