दुनिया की 4 सबसे खतरनाक जनजातियां जिनकी जिंदगी में दखल देने से ले लेते हैं जान

आज कल विज्ञानं बहुत तेज़ी से प्रगति कर रहा है। तकनीक और नए अविष्कारों ने पूरी दुनिया को बदल दिया है। यही नहीं हर गांव क्षेत्र में भी प्रगति हुई है। दुनिया में हर व्यक्ति मैसेजिंग ऐप्स और सोशल मीडिया के जरिये हर किसी से जुड़ा हुआ है। वही आज भी विश्व में कुछ ऐसी जनजातियां हैं जिन्होंने इस समय वर्तमान समाज से दूरी बना रखी है। वो लोग आदिमानवों की तरह अपना जीवन जीते हैं। ये सिर्फ़ दुनिया से अलग ही नहीं हैं बल्कि बहुत ही ख़तरनाक होते हैं। बताते हैं आपको ऐसे ही 4 सबसे ख़तरनाक और आइसोलेटेड आदिवासियों के बारे में –

कोरूबा जनजाति ( ब्राज़ील ) –

दुनिया की 4 सबसे खतरनाक जनजातियां जिनकी जिंदगी में दखल देने से ले लेते हैं जान

पश्चिम अमेजन बेसिन में ये जनजातियां निवास करती हैं। पृथ्वी पर रहने वाले कोरूगो ट्राइब्स की इन जातियों के सदस्य आखिरी पीढ़ियों में से एक है। यही नहीं इनकी पुरानी पीढ़ीया अपने आस पास के रहने वाले हिंसक झड़प करते थे और इन समुदायों के पास धारदार हथियार रहते थे। इन्हे कृषि का थोड़ा बहुत ज्ञान है और ये अधिकतर मछली, मकड़ी, जंगली सूअर, बन्दर, पक्षी खाते हैं।

मास्चो ( पिरो जनजाति )

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अमेज़न के जंगलो में ये जनजाति निवास करती है। शिकार से अपना पेट भरते है और पत्तो से अपना घर बनाते है। बाहरी दुनिया से इनका संपर्क नहीं है। यही नहीं यह की सरकार ने भी बाहरी दुनिया से संपर्क निषिद्ध किया है। इसलिए जिससे बाहरी दुनिया के बीमारियों और वायरस से इन्हे बचाया जा सके। यहाँ लोगो की इम्युनिटी अभी बाहरी दुनिया की बीमारियों के लिए तैयार नहीं है।

मुर्सी जनजाति –

दुनिया की 4 सबसे खतरनाक जनजातियां जिनकी जिंदगी में दखल देने से ले लेते हैं जान

आम नागरिको के लिए जनजाति बहुत ही खतरनाक मानी जाती है। सूडान और सोमालिया से गायों के बदले में आधुनिक हथियार खरीदते हैं। आपसी कबीलों की लड़ाई में जाने से पहले ये लोग गाय के खून का सेवन करते हैं। इनका मानना है कि गाय का खून पीने से कबीले में उनका सम्मान बढ़ जाता है। यहाँ की महिलाएं बॉडी मॉडिफिकेशन की प्रक्रिया के तहत निचले होठ में लकड़ी या मिटटी का चक्र लगाती हैं। जिसे देखकर लोग डर जाते है।

सेंटिनल जनजाति –

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यह दुनिया की सबसे अलग और खतरनाक जनजाति है। ये लोग दुनिया से किसी भी तरह का सम्बन्ध नहीं रखना चाहते हैं। यदि कोई भी इनके आईलैंड की तरफ जाता है तो ये लोग काफी हिंसक हो जाते हैं। साल 2006 में  इनलोगो ने दो मछुआरों को मार दिया था। भारत सरकार ने साल 1956 में इस आईलैंड ट्राइबल रिजर्व घोषित कर दिया। इसके तीन माइल के दायरे में प्रवेश को निषेध कर दिया। एकांतप्रिय सेंटिनेंटल जनजाति से हर मेलजोल की कोशिश नाकाम साबित हुई है।

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