सोमवार को महाराष्ट्र के नासिक में एशिया के सबसे बड़े प्याज व्यापार केंद्र लासलगांव में सोमवार को थोक भाव 62 रुपये तक पहुंच गया।कई शहरों में प्याज के भाव तेजी से बढ़े हैं, हालांकि सरकार ने कीमतों को काबू में रखने के लिए 15 सितंबर से ही निर्यात पर पाबंदी लगा दी। अभी जो प्याज के दाम में उछाल देखने को मिल रहा है, इसके पीछे गर्मी की फसल कटने में देरी और साथ ही कई राज्यों में आई बारिश से सप्लाई समय पर नहीं होना बताया जा रहा है।
प्याज 60 से 70 रुपये किलो
सोमवार को लासलगांव मंडी में कुछ प्रकार के थोक भाव 6200 रुपये प्रति क्विंटल तक पहुंचा गए। लासलगांव कृषि उपज मंडी समिति के अधिकारी प्रकाश कुमावत ने बताया कि पिछले सप्ताह के अंतिम कारोबारी दिन गुरुवार को यही प्याज 4700 रुपये प्रति क्विंटल था। अगर खुदरा रेट की बात करें तो पुणे, गुवाहटी और पटना में प्याज 60 से 70 रुपये किलो बिक रहा है, जो पिछले हफ्ते 40 से 50 रुपये किलो था।
15 सितंबर को केंद्र सरकार ने एहतियाती कदम
बता दें 15 सितंबर को केंद्र सरकार ने एहतियाती कदम के रूप में प्याज की सभी किस्मों के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया था। क्योंकि सर्दियों की खराब फसल और तेज निर्यात के कारण घरेलू आपूर्ति घटने के संकेत दिख रहे थे। विश्लेषक भारत में प्याज के रेट तेजी का एक निश्चित पैटर्न की ओर इशारा करते हैं। वो कहते हैं कि खुदरा दरें प्रत्येक वैकल्पिक वर्ष में या फिर आमतौर पर इस समय बढ़ जाती हैं। कीमतों का बढ़ना असामान्य नहीं है।
सरकार ने 29 सितंबर, 2019 को प्याज पर प्रतिबंध
सरकार ने 29 सितंबर, 2019 को प्याज के निर्यात पर भी प्रतिबंध लगा दिया था। उस वर्ष दिसंबर में राष्ट्रीय राजधानी नई दिल्ली में प्याज की कीमतें 80 रुपये प्रति किलोग्राम तक बढ़ गईं। सरकार ने इस साल सितंबर में प्रतिबंध को फिर से लागू करने से पहले 15 मार्च 2020 को प्रतिबंध हटा दिया था।आधिकारिक व्यापार आंकड़ों की माने तो भारत ने 2019-20 में 328 मिलियन डॉलर का ताजा प्याज और 112 मिलियन डॉलर के सूखे प्याज का निर्यात किया। वहीं अप्रैल और जुलाई 2020 के बीच पड़ोसी बांग्लादेश में प्याज का निर्यात 157.7% बढ़ गया।