Haridwar

Haridwar : दुख की इस कठिन घड़ी में एक दंपत्ति ने मानव समाज के लिए बड़ी मिसाल कायम की है। उत्तराखंड के हरिद्वार (Haridwar) के ज्वालापुर के पुरुषोत्तम नगर निवासी 30 वर्षीय राममेहर और उनकी पत्नी नैन्सी ने समाज में बड़ी मिसाल कायम की है। प्रसव पीड़ा के बाद नैन्सी को दून अस्पताल में भर्ती कराया गया था।

जहां रविवार दोपहर करीब तीन बजे सिजेरियन डिलीवरी के बाद उसने एक बच्ची को जन्म दिया। हार्ट पंप ना करने और ब्लड प्रेशर ना बनने की समस्या के चलते बच्ची को निक्कू वार्ड में भर्ती कराया गया था। इसी बीच मंगलवार रात बच्ची की मौत हो गई। लेकिन टूटे परिवार ने इस दुख की घड़ी में भी नेकी की काम किया है।

हरिद्वार के युवा दंपत्ति ने पेश की मिसाल

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राममेहर ने बच्ची की मौत की जानकारी अपने पारिवारिक चिकित्सक जितेंद्र सैनी को दी। सैनी ने उन्हें बच्ची का शरीर दान करने की सलाह दी। उत्तराखंड में एक युवा दंपत्ति ने बड़ी मिसाल कायम की है। हरिद्वार (Haridwar) के ज्वालापुर के पुरुषोत्तम नगर निवासी 30 वर्षीय राममेहर और उनकी पत्नी नैन्सी ने अपनी ढाई दिन की बच्ची का शरीर मेडिकल शिक्षा के लिए दान कर दिया।

डॉक्टरों से मिली जानकारी के अनुसार नैंसी को प्रसव पीड़ा के चलते दून अस्पताल में भर्ती कराया गया था। जहां रविवार (8 दिसंबर) दोपहर करीब तीन बजे सिजेरियन डिलीवरी के बाद उसने बच्ची को जन्म दिया, लेकिन दो दिन बाद उसकी मौत हो गई।

ह्रदय संबंधी समस्या से ढाई दिन की बच्ची का निधन

 

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दून अस्पताल हरिद्वार (Haridwar) के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. अनुराग अग्रवाल के अनुसार बच्ची को हृदय संबंधी समस्या थी। जिसके चलते उसे निक्कू वार्ड में भर्ती कराया गया था। लेकिन मंगलवार 10 दिसंबर को उसकी मौत हो गई। डॉक्टर ने बताया की राममेहर ने बच्ची की मौत की जानकारी अपने पारिवारिक डॉक्टर जितेंद्र सैनी को दी।

ऐसे में सैनी ने उन्हें बच्ची का देहदान करने की सलाह दी। पत्नी भी बच्ची का देहदान करने को राजी हो गई। इसके बाद दंपती ने दधीचि देहदान समिति हरिद्वार (Haridwar) के पदाधिकारियों से संपर्क कर बच्ची का देहदान किया। हरिद्वार के डॉ. राजेंद्र सैनी ने परिवार को इस नेक काम के लिए प्रेरित किया।

ढाई दिन की मृतक बच्ची का किया देहदान

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इसके बाद परिवार ने दधीचि देहदान समिति से संपर्क किया। हरिद्वार (Haridwar) में स्थित समिति के अध्यक्ष मुकेश गोयल की मदद से बच्ची का देह दून मेडिकल कॉलेज को दान कर दिया गया। दधीचि समिति ने बच्ची का नाम ‘सरस्वती’ रखा। बच्ची के अंगों को दून मेडिकल कॉलेज के संग्रहालय में संरक्षित किया जाएगा।

इसका उपयोग चिकित्सा शिक्षा में किया जाएगा और यह देहदान के महत्व को समझाने के लिए प्रतीक के रूप में भी काम करेगा। हरिद्वार (Haridwar) के एनाटॉमी विभाग के अध्यक्ष डॉ. एमके पंत और असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. राजेश कुमार मौर्य ने इसे ऐतिहासिक घटना बताया।

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