Uttarakhand: कहते हैं न कि नियति आपको उस घटना के और करीब ले जाती है जो होने वाली होती है. इसका एक बड़ा उदाहरण हमने उत्तराखंड में आई आपदा में देखा. महाराष्ट्र में पुणे से लगभग 60 किलोमीटर दूर स्थित मंचर के अवासी खुर्द गांव का एक स्कूल, जिसमें वर्ष 1990 में कक्षा 10वीं के 24 सहपाठी 35 वर्षों के बाद पुनर्मिलन के लिए उत्तराखंड (Uttarakhand) पहुंचे.
उसी दौरान उत्तराखंड के उत्तरकाशी में बादल फटने की घटना घटी, जिसके कारण आई भीषण बाढ़ में ये सभी दोस्त लापता हो गए.
चारधाम यात्रा करना पड़ा भारी
पुणे के मंचर के अवसरी खुर्द गाँव से अशोक भोर और उनके 23 दोस्त 35 साल बाद चार धाम यात्रा के लिए एकत्रित हुए थे. मुंबई और अन्य जगहों पर रहने वाले इस समूह के लोगों ने 1 अगस्त को अपनी यात्रा शुरू की थी. अशोक भोर के बेटे आदित्य ने बताया कि उन्होंने अपने पिता से आखिरी बार 4 अगस्त को बात की थी. उनके पिता ने फोन पर बताया था कि वे गंगोत्री से करीब 10 किलोमीटर दूर हैं.
उन्होंने यह भी बताया कि उत्तराखंड (Uttarakhand) के रास्ते में एक पेड़ गिरने और एक छोटे से भूस्खलन के कारण वे फँस गए थे.आदित्य ने बताया कि उसके बाद से उनसे या उनके समूह के किसी अन्य सदस्य से कोई संपर्क नहीं हो पाया है.
सांसद ने दी ये जानकारी
महाराष्ट्र के एक आपदा प्रबंधन अधिकारी ने बताया कि उत्तराखंड (Uttarakhand) में फंसे हुए पर्यटकों से संपर्क करना मुश्किल है, लेकिन वे उत्तराखंड प्रशासन के संपर्क में हैं. मुंबई से आए लगभग 61 पर्यटक सुरक्षित हैं और हनुमान आश्रम में ठहरे हुए हैं. हालाँकि, 149 पर्यटकों में से लगभग 75 के फ़ोन अभी भी बंद हैं और नेटवर्क से बाहर हैं. बारामती की सांसद सुप्रिया सुले ने बुधवार को सोशल मीडिया पर इस पर्यटक समूह के बारे में जानकारी साझा की.
उन्होंने राज्य सरकार और उत्तराखंड के मुख्यमंत्री से उनकी सुरक्षित वापसी सुनिश्चित करने की अपील की है. इस पर राज्य के उपमुख्यमंत्री अजीत पवार ने कहा कि फंसे हुए पर्यटकों को निकालने और उनकी सुरक्षित वापसी सुनिश्चित करने के प्रयास जारी हैं.
लोगों के फंसे होने की आशंका
एसडीआरएफ के आईजी अरुण मोहन जोशी ने बताया कि बचाव कार्यों में हवाई मार्ग से उन्नत उपकरण भेजना प्राथमिकता है. बुधवार को सड़कें बंद होने के कारण टीम आगे नहीं बढ़ सकी. धराली में 50-60 फीट ऊँचा मलबा है, जिसके नीचे लापता लोगों के दबे होने की आशंका है. आधुनिक उपकरणों से बचाव दल को मलबे में दबे लोगों की तलाश में मदद मिलेगी.