AI: एक तरफ जहां आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) दुनिया को स्मार्ट बना रहा है, तो वहीं दूसरी ओर यह इंसानों के लिए खतरे की घंटी भी बजा रहा है। एक्सपर्ट्स का मानना है कि अगर AI का विकास इसी रफ्तार से होता रहा, तो साल 2045 तक दुनिया की अधिकतर नौकरियां इंसानों के हाथ से निकल जाएंगी।
ऑटोमेशन, मशीन लर्निंग और जनरेटिव AI जैसी तकनीकें इतनी सक्षम होती जा रही हैं कि वे इंसानों की जगह हर क्षेत्र में काम करने लगी हैं। सिर्फ दो ही धंधे ऐसे रहेंगे जो AI की पकड़ से बाहर रहेंगे।
क्यों छिनेंगी इंसानी नौकरियां?

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) अब सिर्फ मशीनों तक सीमित नहीं है। यह सोच सकता है, फैसले ले सकता है, और रचनात्मक कार्य भी कर सकता है। कंपनियां अब AI चैटबॉट्स, वर्चुअल असिस्टेंट्स, ऑटोमैटिक ड्राइविंग सिस्टम्स और जनरेटिव AI का इस्तेमाल करके मानवीय श्रम को हटा रही हैं। शिक्षा, हेल्थकेयर, लॉ, पत्रकारिता, कस्टमर सर्विस, ट्रांसपोर्टेशन जैसी लगभग हर इंडस्ट्री में AI की घुसपैठ हो चुकी है।
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बचेंगे सिर्फ ये दो धंधे
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) चाहे जितना भी विकसित हो जाए, इंसानों की दो क्षमताएं ऐसी हैं जो मशीन नहीं छीन सकती-
1. राजनीति- इंसानी चालाकी का खेल
राजनीति में भावनाओं का खेल, पर्सनल इमेज, जाति-धर्म की रणनीति, और जमीनी स्तर पर “जनता से जुड़ाव” जरूरी होता है।AI भले ही रणनीति बना सके, लेकिन चुनाव जीतने और भीड़ को संभालने के लिए जो धूर्तता, वक्तृत्व कला और पब्लिक इमोशन का दोहन चाहिए, वो केवल इंसानों के बस की बात है।
2. यौन व्यापार – इंसानी स्पर्श की जरूरत
AI और रोबोट्स चाहे सेक्स डॉल्स और वर्चुअल एक्सपीरियंस बना लें, लेकिन भावनात्मक जुड़ाव, शारीरिक स्पर्श और इंसानी समझ को रिप्लेस नहीं कर सकते। इसलिए इस पेशे में इंसानी उपस्थिति बनी रहेगी। भले ही इसका स्वरूप कितना ही डिजिटल क्यों न हो जाए।
भविष्य में जब दुनिया के अधिकतर लोग बेरोजगारी की मार झेल रहे होंगे, तब राजनीति और यौन व्यापार जैसे पेशे AI के भी परे होंगे।
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