Aniruddhacharya: आज के युग में जहां उच्च शिक्षा को सफलता की कुंजी माना जाता है, वहीं श्री अनिरुद्धाचार्य जी (Aniruddhacharya) महाराज जैसे संत यह सिद्ध करते हैं कि ज्ञान केवल डिग्री से नहीं, बल्कि अनुभव और साधना से भी प्राप्त होता है।
महज 5वीं या 6वीं तक स्कूली शिक्षा लेने वाले अनिरुद्धाचार्य जी आज लाखों श्रद्धालुओं के लिए एक प्रेरणा बन चुके हैं। उनकी लोकप्रियता न सिर्फ भारत में, बल्कि विदेशों में भी है।
वृंदावन से ली शिक्षा

अनिरुद्धाचार्य (Aniruddhacharya) जी का जन्म 27 सितंबर 1989 को जबलपुर, मध्य प्रदेश में हुआ। बचपन में ही उनका रुझान अध्यात्म की ओर हो गया और वे वृंदावन चले गए। वहाँ उन्होंने संत गिरिराज शास्त्री महाराज से दीक्षा ली और रामानुज संप्रदाय के मार्गदर्शन में शास्त्रों का गहन अध्ययन किया। उन्होंने वेद, पुराण और श्रीमद्भागवत जैसे ग्रंथों की शिक्षा परंपरागत गुरुकुल पद्धति से ली।
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ऐसे मिली डबल डॉक्टरेट की डिग्री
चौंकाने वाली बात यह है कि इतनी सीमित औपचारिक पढ़ाई के बावजूद उन्हें (Aniruddhacharya) दो डॉक्टरेट की उपाधियाँ मिल चुकी हैं। एक उपाधि अमेरिका की यूनिवर्सिटी से “Humanity & Spiritual Education” में दी गई, जबकि दूसरी दक्षिण अफ्रीका की BUVIC यूनिवर्सिटी से मिली है। हालांकि ये उपाधियाँ पारंपरिक पीएचडी नहीं हैं, बल्कि समाज और धर्म के क्षेत्र में योगदान के लिए दी गई हैं।
40-45 लाख है कमाई
उनकी (Aniruddhacharya) लोकप्रियता का अंदाज़ा इस बात से लगाया जा सकता है कि वे एक सप्ताह की कथा के लिए ₹10–15 लाख तक की फीस लेते हैं। इसके अलावा यूट्यूब, सोशल मीडिया, और सहयोग से उनकी मासिक कमाई करीब ₹40–45 लाख बताई जाती है। रिपोर्ट्स के अनुसार, उनकी कुल संपत्ति लगभग ₹25 करोड़ है।
इतना ही नहीं, वे अपने आय का बड़ा हिस्सा सेवा कार्यों में लगाते हैं। वृंदावन में स्थित उनका गौरव गोपाल आश्रम जरूरतमंदों को भोजन, शिक्षा और गौसेवा की सुविधाएं देता है। उनका जीवन इस बात का उदाहरण है कि सच्ची साधना, समर्पण और सेवा भाव से बिना डिग्री के भी जीवन में ऊँचाइयों को छुआ जा सकता है।
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