Army Officers : हिमाचल प्रदेश के रोहतांग दर्रे से 4 शव बरामद हुए हैं। ये शव 1968 के विमान हादसे में शहीद हुए जवानों (Army Officers) के हैं। एंटोनोव-12 सैन्य परिवहन विमान अचानक दुर्घटनाग्रस्त हो गया। विमान दुर्घटना का कारण खराब मौसम बताया गया। पिछले 56 सालों से विमान दुर्घटना में शहीद हुए जवानों (Army Officers) के शवों की तलाश की जा रही है। यह भारत का सबसे लंबा चलने वाला सर्च ऑपरेशन है। बीते दिन सुरक्षा बलों को 4 शव मिले हैं। इनमें से 3 शवों की पहचान हो गई है, लेकिन 1 शव की पहचान अभी भी जारी है।
56 साल पहले दुर्घटनाग्रस्त हुआ था विमान
56 साल पहले हुआ था हादसा 7 फरवरी 1968 को AN-12 सैन्य विमान ने चंडीगढ़ से 102 जवानों (Army Officers) को लेकर उड़ान भरी थी। हालांकि, खराब मौसम के कारण विमान रोहतांग ला के पास दुर्घटनाग्रस्त हो गया। बर्फ से ढका यह इलाका काफी दुर्गम है। ऐसे में शवों को ढूंढ पाना काफी मुश्किल होता है। यही वजह है कि सेना पिछले 56 सालों से शहीदों के शवों की तलाश कर रही है।
56 साल बाद बर्फ में दबे चार जवानों के अवशेष मिले हैं। एएन-12 विमान की कमान फ्लाइट लेफ्टिनेंट हरकेवल सिंह और स्क्वाड्रन लीडर प्राण नाथ मल्होत्रा संभाल रहे थे। उनके साथ दो अन्य क्रू मेंबर भी थे। यात्रा के दौरान अचानक मौसम बदला तो पायलट ने विमान को वापस ले जाने का फैसला किया।
102 जवानों में से 4 जवानों के शव मिले
रोहतांग दर्रे के पास विमान का रेडियो संपर्क टूट गया और मलबा ना मिलने से 102 लोग लापता घोषित कर दिए गए। इस बार ‘चंद्र भागा पर्वत अभियान’ के तहत चार और शवों के अवशेष मिले हैं। अधिकारियों का कहना है कि यह तलाशी अभियान मृतक जवानों (Army Officers) के परिवारों के लिए नई उम्मीद लेकर आया है, जो इतने सालों से अपनों के आने कि आस लगाए बैठे थे।
यह सर्च ऑपरेशन भारत में सबसे लंबे समय तक चलने वाले सर्च ऑपरेशन में से एक है। अधिकारियों (Army Officers) ने बताया कि विमान हादसे के इतने साल बाद भी शवों की तलाश जारी रखना एक बड़ी उपलब्धि है। भारतीय सेना के डोगरा स्काउट्स और ट्राइकलर माउंटेन रेस्क्यू टीम ने असाधारण प्रयास से यह सफलता हासिल की है।
सबसे लंबा चलने वाला सर्च ऑपरेशन
हालांकि, इस सर्च ऑपरेशन में मिली यह सफलता उन सभी मृतकों के परिवारों के लिए एक तरह की सांत्वना है। जिन्होंने इतने सालों तक अपने परिजनों के अवशेषों का इंतजार किया था। साल 2003 में अटल बिहारी वाजपेयी पर्वतारोहण संस्थान के कुछ पर्वतारोहियों ने मलबे की खोज की थी। तब से लेकर अब तक सेना (Army Officers) ने यहां कई सर्च ऑपरेशन चलाए हैं।
सेना की डोगरा बटालियन ने 2005, 2006, 2013 और 2019 में सर्च ऑपरेशन चलाए। 2019 में भी 5 शव बरामद किए गए थे। डोगरा स्काउट्स ने तिरंगा माउंटेन रेस्क्यू के साथ मिलकर रोहतांग ला में चंद्रभागा अभियान शुरू किया है।
दस्तावेजों से हुई पहचान
रिपोर्ट्स के मुताबिक, 3 शव आसानी से मिल गए, जबकि चौथा शव बर्फ में दबा हुआ था। शवों के पास मिले दस्तावेजों से उनकी पहचान हुई है। इनमें आर्मी मेडिकल कोर के सिपाही (Army Officers) नारायण सिंह, पायनियर कोर के सिपाही मलखान सिंह और थॉमस चरण शामिल हैं। चौथे शव की अभी तक पहचान नहीं हो पाई है।
उनके दस्तावेजों पर लिखी बातें भी मिटा दी गई हैं। इस खोज ने 1968 की दुर्घटना की ओर फिर से ध्यान खींचा है और कई लोगों को उम्मीद है कि इन सैनिकों (Army Officers) के शव बरामद होने से उन अन्य सैनिकों को खोजने में भी मदद मिलेगी जो इस दुर्घटना के बाद अभी तक लापता हैं।
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