Bhangarh-Fort-Most-Haunted-Place-In-India

Bhangarh Fort : देश में सबसे भूतिया जगह का नाम लिया जाता है तो सबसे पहले नाम आता है राजस्थान के इस किले का. जिसे ना सिर्फ भारत का बल्कि दुनिया का सबसे भूतिया किला माना जाता है. हम बात कर रहें राजस्थान के अलवर जिले में स्थित भानगढ़ किले कि जहां पर जाना हर किसी के बस कि बात नहीं होती है. भानगढ़ किला (Bhangarh Fort) देश की राजधानी दिल्ली और राजस्थान की राजधानी जयपुर के पास अलवर के सरिस्का क्षेत्र में स्थित है.

भानगढ़ का किला जयपुर और राजस्थान शहर के बीच सरिस्का सेंचुरी से 50 किमी दूर स्थित है. इस किले में कई मंदिर, बाजार, घर, राजा-रानी के महल है. लेकिन यहाँ एक भी चीज सुरक्षित नहीं है. मंदिर की मूर्ति से लेकर पूरे किले की दीवार तक टूटी हुई हैं. कहा जाता है कि यह किला एक श्राप के कारण पूरा ही टूट गया था. भानगढ़ किले को भूतों का शहर भी कहा जाता है.

सबसे डरावनी जगह भानगढ़ किले की कहानी

Bhangarh Fort

लगभग 100 साल पहले अजबगढ़ के झिझड़ गांव में डरावने अनुभव के किस्से सामने आए थे. भारत के सबसे प्रसिद्ध स्थान में से एक भानगढ़ किले के पास होने की वजह से अजबगढ़ गांव के लोग ने भी पूरा गांव ही छोड़ दिया. क्योंकि उनके गांव में भी अजीबोगरीब गतिविधियां होने लगी थी. जिससे लोग डरने लगे थे. इसके अलावा जादूगर और काला जादू करने वालों ने गांव को श्राप दिया, जिससे लोगों को अपने घरों से निकलने के लिए मजबूर किया गया.

मवेशियों को चारा ना मिला ना ही लोगों को पानी मिला इसके चलते वह गांव खाली करके दूसरी जगह पर जाकर बस गए थे.  17वीं शताब्दी में इस किले (Bhangarh Fort) का निर्माण आमेर के महान मुगल सेनापति मानसिंह के छोटे भाई माधव सिंह ने कराया था. सन 1720 तक यहाँ पर 9000 से अधिक घर भी थे.

400 साल से भी पुराना है किले का इतिहास

Bhangarh Fort

भानगढ़ किले (Bhangarh Fort) को लेकर कई तरह के सिद्धांत हैं. पहला सिद्धांत बाबा बलाऊ नाथ नाम के एक साधु से जुड़ा हुआ है. ऐसी मान्यता है कि जिस स्थान पर यह किला बनाया गया था, वह यहीं साधुओं की थी. ऐसे में साधु ने किला बनाने के लिए इस शर्त रखी कि किला या उसके अंदर कोई भी निर्माण करने के लिए पहले मुझसे इजाजत लेनी पड़ेगी.

साथ ही किले (Bhangarh Fort) में हुए निर्माण से अगर उसकी छाया यदि किसी संरचना की छाया उनके घर पर पड़ी तो पूरा किला नष्ट हो जाएगा. ऐसा कहा जाता है कि माधव सिंह के बाद जब अजब सिंह का राज आया तो उन्होंने इस चेतावनी को दरकिनार कर दिया था. और उन्होंने किले की दीवारों को बहुत बढ़ा दिया गया था, जिसके परिणामस्वरूप साधु के घर पर छाया पड़ी और शहर नष्ट हो गया.

साधु के एक श्राप से नष्ट हो गया था पूरा किला

Bhangarh Fort

भानगढ़ किले (Bhangarh Fort) की भूतिया कहानियों में एक कहानी राजकुमारी रत्नावती से जुड़ी है. राजकुमारी रत्नावती बेहद खूबसूरत ही रानी थी. देश के शाही परिवार से नाता रखने वाली राजकुमारी के चाहने वालों कि संख्या भी बहुत थी. कहा जाता है कि रत्नावती को इत्र का बहुत शौक था. बार-बार वो बाज़ार जाती रहती और एक से एक नायब इत्र खरीदती थी. एक बार की बात है जब राजकुमारी अपनी सहेलियों के साथ बाजार में गईं. वहीं एक जादूगर की नजर राजकुमारी पर भी पड़ती है. राजकुमारी के रूप को देखकर जादूगर उन पर मोहित हो जाता हैं. जादूगर की दीवानगी इतनी बढ़ गई है कि हर हाल में राजकुमारी को अपना बनाना चाहता था. फिर वो एक तरकीब निकालता है.

राजकुमारी रत्नावती से भी जुड़ी है कहानी

Bhangarh Fort

जादूगर राजकुमारी को एक ऐसा इत्र बेचता है जो बहुत अच्छा लगता है लेकिन इसके इसमें किसी के वश में हो जाने का प्रेम में पड़ जाने वाली औषधि मिली होती है. जादूगर को लगता है कि राजकुमारी उसके प्रेम में पागल हो गई है. लेकिन राजकुमारी को इस बात कि खबर लग जाती है और वो उस इत्र कि शीशी को फेंक देती है. जिस पत्थर पर वह शीशी गिरत है वो पत्थर भी जादूगर का नाम पुकारने लगते है और उसके पीछे पड़ जाते हैं. स्थित ऐसी बन जाती है कि उन पत्थरों से जादूगर कि मौत हो जाती है. वहीं जादूगर अपनी मौत से पहले राजकुमारी को श्राप दे देता है कि किले में उसके आसपास रहने वाले सभी लोगों कि मौत हो जाएगी. इसके कुछ दिन बाद ही भानगढ़ किले (Bhangarh Fort) पर मुग़ल उस किले पर हमला करते हैं और सब मर जाते हैं.

किले के अंदर आती है रोने-चिल्लाने की आवाजें

 

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लोगों का ऐसा मानना ​​है कि भानगढ़ किले (Bhangarh Fort) की दीवारों के पास कान लगाकर आप जादुई आवाज सुन सकते हैं. इसके अलावा स्थानीय लोगों का यह भी मानना ​​है कि अक्सर किले से किसी महिला के चिल्लाने, चूड़ियां तोड़ना और रोने की आवाज भी सुनाई देती है. वहीं दिन के समय इस किले (Bhangarh Fort) में जाने वाले कुछ लोगों का कहना है कि किले में उन्हें ऐसा महसूस हुआ जैसे कोई उनका पीछा कर रहा हो. यहां शाम 5-6 बजे के बाद किसी को भी आने कि इजाजत नहीं होती है.

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