Deepesh Kumari : मन में सच्ची लगन हो तो लक्ष्य के आगे हर समस्या छोटी लगती है। दृढ़ इच्छाशक्ति वाले लोग बहाने नहीं बनाते, वे रास्ते खोजते हैं और कड़ी मेहनत के दम पर आगे बढ़ते हैं। आज हम आपको एक ऐसी ही बेटी की कहानी बताने जा रहे हैं, जिसने अपने लक्ष्य के आगे आर्थिक तंगी या अन्य समस्याओं को नहीं देखा। वह बस आगे बढ़ती रही और उसकी इसी दृढ़ इच्छाशक्ति ने उसे IAS बना दिया।
इतना ही नहीं इसके साथ ही उसने पूरे परिवार को आर्थिक रूप से भी दृढ़ बनाया है। आइए जानते हैं कौन है वो आईएएस ऑफिसर दीपेश कुमारी (Deepesh Kumari) जिन्होंने गरीबी में भी नहीं मानी हार।
चाय बेचने वाले की बेटी Deepesh Kumari बनी आईएएस
हम बात कर रहे हैं राजस्थान कि रहने वाली दीपेश कुमारी (Deepesh Kumari) कि जिन्होंने सब के दिलों पर अमिट छाप छोड़ जाती हैं। ऐसा ही कुछ IAS दीपेश कुमारी (Deepesh Kumari) के साथ भी है, जिन्होंने अपने परिवार, अपने समाज और राजस्थान के अपने शहर भरतपुर को शोहरत और पहचान दिलाई।
राजस्थान के भरतपुर के अटल बंध इलाके के कांकर वाली कुइयां निवासी गोविंद कि बेटी हैं दीपेश। उनके पिता पिछले 25 सालों से भजिया-पकौड़े का ठेला लगा रहे हैं। उनके साथ 5 भाई-बहिन हैं।
कौन है IAS ऑफिसर Deepesh Kumari?
दीपेश (Deepesh Kumari) के पिता घर में अकेले कमाने वाले थे और वह चाट-पकौड़ी बेचकर ही कमा पाते थे। लेकिन गोविंद ने कभी बच्चों की पढ़ाई से समझौता नहीं किया। उन्होंने संघर्ष करके बच्चों को शिक्षित किया और उन्हें बेहतरीन शिक्षा देने की कोशिश की। आईएएस बनी दीपेश (Deepesh Kumari) ने शिशु आदर्श विद्या मंदिर से अपनी स्कूली शिक्षा पूरी की।
उन्होंने 10वीं में 98 प्रतिशत अंक हासिल किए, जबकि 12वीं में 89 प्रतिशत अंक हासिल किए। स्कूल के बाद वह सिविल इंजीनियरिंग करना चाहती थीं और इसलिए उन्होंने जोधपुर कॉलेज में एडमिशन लिया। दीपेश का एकेडमिक रिकॉर्ड बेहतरीन था।
कड़ी मेहनत कर देशभर में पाई 93वीं रैंक
अगर वह चाहतीं तो लाखों की सैलरी वाली नौकरी आसानी से पा सकती थीं। लेकिन उनका सपना सिविल सर्विसेज में जाने का था। उन्होंने इसके बाद कढ़ी मेहनत करना शुरू कर दी थी। यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा 2021 में ऑल इंडिया 93वीं रैंक हासिल कर वह आईएएस अधिकारी बनीं।
उन्होंने (Deepesh Kumari) इसके लिए काफी मेहनत की थी और रात-दिन एक करके पढ़ाई में लगी रहती थी। उन्होंने आर्थिक तंगी को कभी भी इसके लिए बहाना नहीं बनाया था और वह अपने मेहनत को करती रही थी। उनकी मेहनत भी रंग लाई और उन्होंने अपना सपना भी पूरा कर लिया था।
दीपेश ही नहीं भाई-बहनों की मेहनत भी रंग लाई
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दीपेश ने एक मिसाल पेश कि है कि आर्थिक तंगी के बावजूद भी लोग अपनी सफलता को पा सकते हैं। बेटी के आईएएस बनने के बाद पिता चाहते तो घर पर आराम कर सकते थे, लेकिन उन्होंने चाट-पकौड़ी का ठेला लगाना जारी रखा है। वह आज भी उसी छोटे से घर में रहते हैं। उनका मानना है की इंसान को पुराने दिनों को कभी नहीं भूलना चाहिए।
दीपेश कुमारी (Deepesh Kumari) के अलावा उनके अन्य भाई-बहन भी पढ़ाई में काफी होशियार हैं। उनके दो भाई बैचलर ऑफ मेडिसिन एंड बैचलर ऑफ सर्जरी कर रहे हैं। उनकी बहन डॉक्टर बन गई है।
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