Delhi-School-These-Schools-Of-Delhi-Had-Contributed-To-The-Foundation-Of-Independent-India-Where-Even-Today-There-Is-A-Struggle-To-Get-Admission

Delhi School: एक समय था जब भारत को सोने की चिड़िया कहा जाता था, लेकिन आज भारत ये टाइटल खो चुका है। देश को पहले कुछ विदेशी आक्रमणकारियों ने लूटा और फिर बची हुई कसर ब्रिटिशों ने पूरी कर दी थी। गुलामी के दौर में सबसे बड़ा नुकसान शिक्षा के स्तर में हुआ था क्योंकि गरीबी और भुखमरी देश में कुछ इस हद तक हावी हो चुकी थी की शिक्षा लोगों की प्राथमिकता नहीं थी। हालांकि कई बड़े शिक्षाविद जानते थे कि भारत की आजादी के लिए लोगों का शिक्षित होना जरूरी है इसलिए उन्होंन शिक्षा की हालत को सुधारने के कई प्रय़ास किए। बदलाव के उस दौर में राजधानी में कुछ ऐसे स्कूल (Delhi School) थे जिन्होंने काफी अहम योगदान दिया था। आईए जानते हैं कि कैसे इन स्कूलों ने पूरे देश में शिक्षा क्रांति की चिंगारी को हवा देने का काम किया था।

एंग्लो अरेबिक स्कूल

Delhi School
Delhi School

1696 में औरंगजेब के साम्राज्य के जनरल रहे गाजी उद-दीन ने करीब 330 साल पहले अजमेरी गेट में एंग्लो अरेबिक सीनियर सेकेंडरी स्कूल (Delhi School) की स्थापना की थी। वर्तमान में, यह गवर्नमेंट एडेड स्कूल दिल्ली एजुकेशन सोसाइटी द्वारा संचालित किया जाता है, जिसकी स्थापना 1951 में पूर्व राष्ट्रपति डॉ. जाकिर हुसैन के नेतृत्व में की गई थी। मुगल साम्राज्य के कमजोर होने पर यह मदरसा 1790 के दशक में बंद हो गया। लेकिन दो साल बाद, इसे कई बड़े लोगों की मदद से साहित्य, विज्ञान और कला के लिए ओरिएंटल कॉलेज के रूप में पुनः स्थापित किया गया। इसके बाद यह एंग्लो अरेबिक कॉलेज, एंग्लो अरेबिक स्कूल, दिल्ली कॉलेज और फिर जाकिर हुसैन कॉलेज के रूप में विकसित हुआ।

मॉडर्न स्कूल

Delhi School
Delhi School

1920 में स्थापित किया गया मॉडर्न स्कूल दिल्ली (Delhi School) की शिक्षा व्यवस्था का एक महत्वपूर्ण स्तंभ है। 1933 में इसे कश्मीरी गेट से बाराखंबा रोड में स्थानांतरित किया गया। वर्तमान में, स्कूल की तीन शाखाएं हैं। 6 छात्रों से शुरू हुए इस स्कूल में आज 6,000 छात्र पढ़ते हैं। यह सदी पुरानी शिक्षा की धरोहर लाला रघुबीर सिंह के दूरदर्शी सपने का परिणाम है। उनका उद्देश्य था एक ऐसा स्कूल बनाना, जो आधुनिक शिक्षा और नैतिक मूल्यों का संतुलित मेल हो। कश्मीरी गेट स्थित उनके पिता के घर में राष्ट्रीय नेताओं का आना-जाना लगा रहता था, जिनमें महात्मा गांधी और रवींद्रनाथ टैगोर प्रमुख थे। इन नेताओं के विचारों का प्रभाव स्कूल की शिक्षा पर भी पड़ा। इस प्रतिष्ठित स्कूल में दाखिला दिलाने के लिए माता-पिता काफी प्रयास करते हैं।

बांग्ला स्कूल

Delhi School
Delhi School

1899 में कश्मीरी गेट स्थित बांग्ला स्कूल (Delhi School) की शुरुआत मात्र 40 छात्रों और एक शिक्षक के साथ हुई थी। पहले यह दरिबां कलां, फिर चांदनी चौक, उसके बाद हैमिलटन रोड पर रहा। 40 साल तक चर्च रोड कश्मीरी गेट में चलने के बाद, 1961 के अंत में इसे सिविल लाइंस में स्थानांतरित किया गया। यह दिल्ली का पहला मान्यता प्राप्त बंगाली स्कूल था, जहां छात्रों को कई विद्वान शिक्षकों और ब्रिटिश शिक्षाविदों ने साहित्य से लेकर विज्ञान तक की शिक्षा दी।

हरकोर्ट बटलर स्कूल

Delhi School
Delhi School

दिल्ली के मंदिर मार्ग पर स्थित हरकोर्ट बटलर सीनियर सेकेंडरी स्कूल (Delhi School) का 109 सालों का सफर आज़ादी की लड़ाई से गहराई से जुड़ा रहा है। महात्मा गांधी के ‘अंग्रेजों भारत छोड़ो’ आंदोलन के दौरान, इस स्कूल के छात्रों ने गोल मार्केट में मार्च किया था। हरकोर्ट बटलर, जो भारत के वायसराय की एग्जिक्यूटिव काउंसिल में थे, ने शहरों में स्कूलों की स्थापना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। यह स्कूल एक समय ऐसा भी था जब गर्मी की छुट्टियों में छह महीने के लिए छात्रों, शिक्षकों और स्टाफ के साथ शिमला शिफ्ट हो जाता था। लेकिन दूसरे विश्व युद्ध के बाद वित्तीय तंगी के कारण यह प्रथा समाप्त हो गई।

दिल्ली तमिल स्कूल

Independence Day
Independence Day

दिल्ली तमिल एजुकेशन एसोसिएशन की यात्रा एक शिक्षक और एक छात्र से शुरू होकर 75 साल में सात सीनियर सेकेंडरी स्कूल (Delhi School) तक पहुंच गई। इसकी शुरुआत 1923 में शिमला में मद्रासी स्कूल से हुई, और 1924 में पहला स्कूल नई दिल्ली में खोला गया। 1946 में हायर सेकेंडरी विभाग की शुरुआत हुई। दक्षिण भारतीय शिक्षाविदों की देखरेख में छात्रों की संख्या में तेजी से वृद्धि हुई, जिससे अधिक स्कूलों की जरूरत महसूस की गई। इसी मांग को पूरा करने के लिए 1951 में लोदी एस्टेट और 1953 में करोल बाग में दो नए प्राइमरी स्कूल खोले गए। यह सिलसिला यूं ही आगे बढ़ता रहा और 1960 में पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने लक्ष्मी बाई नगर स्कूल की नींव रखी। आज, एसोसिएशन के 7 स्कूलों में 7,000 से ज्यादा छात्र शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं।

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