GST: केंद्र सरकार ने हाल ही में जीएसटी (GST) 2.0 सुधार लागू करने का बड़ा फैसला लिया है। इस सुधार के तहत पहले मौजूद चार टैक्स स्लैब्स को घटाकर दो मुख्य स्लैब 5% और 18% किए गए हैं। इसके साथ ही कई जरूरी वस्तुओं और सेवाओं को या तो टैक्स-मुक्त किया गया है या फिर उन पर टैक्स दरें घटाई गई हैं।
इस कदम से आम लोगों की जेब पर बोझ कम होगा और रोज़मर्रा के खर्चों में राहत मिलेगी। तो वही सरकार को करीब 48000 करोड़ का नुकसान झेलना पड़ेगा।
सरकार को 48000 का नुकसान

कई रिपोर्ट्स में दावा किया जा रहा है कि जीएसटी (GST) में सुधार से सरकार को करीब ₹48,000 करोड़ का राजस्व असर पड़ेगा। शुरुआती नज़र में इसे सरकार का नुकसान कहा जा रहा है, लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि इसे “राजस्व नुकसान” कहना सही नहीं है। दरअसल, टैक्स घटने से उपभोक्ताओं की खपत बढ़ेगी, जिससे बाज़ार में रौनक लौटेगी और टैक्स वसूली का दायरा भी बढ़ेगा
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SBI के मुताबिक सरकार को ₹3,700 करोड़ का नुकसान
स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) की ताज़ा रिपोर्ट के मुताबिक, केंद्र सरकार को असल में सिर्फ लगभग ₹3,700 करोड़ का शुद्ध नुकसान झेलना पड़ेगा। यह देश की अर्थव्यवस्था के आकार की तुलना में बेहद मामूली है और वित्तीय घाटे पर लगभग न के बराबर असर डालेगा। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि बढ़ती खपत और टैक्स संग्रह से इस असर की भरपाई संभव है।
विपक्ष ने सरकार से की मुआवजे की मांग
दूसरी ओर, कई राज्य सरकारें इसे लेकर चिंतित हैं। विपक्ष शासित राज्यों का कहना है कि उन्हें ₹47,000 से ₹93,000 करोड़ तक का घाटा हो सकता है। ऐसे में उन्होंने केंद्र से मुआवजे की मांग की है। इस राजनीतिक बहस के बीच एक बात तय है कि आम जनता को इसका सीधा फायदा मिलेगा।
मंगाई में आएगी गिरावट
आर्थिक विशेषज्ञों का अनुमान है कि नई टैक्स संरचना से महंगाई 20–25 बेसिस प्वाइंट तक घट सकती है और सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में भी हल्की बढ़त दर्ज हो सकती है। FMCG, इलेक्ट्रॉनिक्स, उपभोक्ता वस्तुएं और बीमा जैसी सेवाएं सस्ती होने से लोगों की जेब में बचत होगी। यह बचत फिर से निवेश और खपत में बदलेगी, जिससे अर्थव्यवस्था को गति मिलेगी।
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