Farmer: आजकल पेड़ कौन लगाता है? लोग अपनी आधुनिक जीवनशैली के चलते पेड़ों को सिर्फ काट रहे हैं. पहले लोग खाली जमीन पर पेड़ लगा देते थे या कुछ फसल उगा लेते थे, लेकिन अब ऐसा बहुत कम देखने को मिलता है. पहले लोग अपनी पुश्तैनी जमीन पर शीशम, बरगद, चंदन जैसे पेड़ लगाते थे. जिससे सालों बाद लोगों को काफी फायदा मिलता था. ऐसा ही एक पेड़ महाराष्ट्र के कामतवाल जिले में मिला जिसने एक किसान (Farmer) को रातों-रात अमीर बना दिया।
किसान को लगी लॉटरी

बता दें कि जिस पेड़ ने (Farmer Crorepati) रातों-रात राजा बना दिया, वह यवतमाल जिले का पुश्तैनी पेड़ था जिसकी वजह से किसान केशव शिंदे को अचानक ये पेड़ मालामाल बना दिया. केशव शिंदे के 7 एकड़ पुश्तैनी खेत में एक पेड़ है. साल 2013 और 14 तक शिंदे परिवार को नहीं पता था कि यह पेड़ क्या है. इसी साल रेलवे विभाग ने एक सर्वे कराया. उस वक़्त कर्नाटक से कुछ लोग रेलवे लाइन को देखने आए थे. उन्होंने बताया कि यह पेड़ रक्त चंदन है और इसकी कीमत क्या है. उस समय शिंदे परिवार पूरी तरह हैरान रह गया. इसके बाद रेलवे ने जमीन तो जब्त कर ली, लेकिन रेलवे विभाग पेड़ की कीमत देने में आनाकानी करने लगा.
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इसके बाद शिंदे परिवार ने एक निजी संस्था से पेड़ का मूल्यांकन करवाया। उस समय इसकी कीमत 4 करोड़ 97 लाख रुपए बताई गई थी. लेकिन रेलवे ने इसे देने से इनकार कर दिया. इसलिए शिंदे परिवार कोर्ट चला गया. कोर्ट ने पेड़ के मूल्यांकन के लिए एक करोड़ रुपए मुआवजे के तौर पर जमा करने का आदेश दिया. अब इसमें से पचास लाख रुपए (Farmer Crorepati) के खाते में जमा करने के आदेश दिए गए हैं.
शिंदे परिवार ने लाल चंदन के पेड़ का मूल्यांकन एक निजी इंजीनियर से करवाया था. लेकिन, रेलवे ने फिर इसे अनदेखा कर दिया. सौ साल पुराने चंदन के पेड़ के मुआवजे के तौर पर सेंट्रल रेलवे ने बॉम्बे हाई कोर्ट की नागपुर बेंच में 1 करोड़ रुपए जमा कराए, जिसमें से नागपुर बेंच ने बैंक से 50 लाख रुपए निकालने की अनुमति दे दी। बेंच ने शिंदे को पूरा मुआवजा देने के लिए पेड़ का मूल्यांकन करने का भी आदेश दिया.
किसान का खाता फुल
वर्धा-यवतमाल-नांदेड़ रेलवे परियोजना के लिए पंजाब शिंदे की कृषि भूमि अधिग्रहित की गई है. मूल्यांकन के बाद (Farmer Crorepati) को बचे हुए पैसे मिलेंगे. न्यायमूर्ति अविनाश खरोटे और न्यायमूर्ति अभय मंत्री के समक्ष याचिका पर सुनवाई हुई. मुआवज़ा देने के बारे में 8 फ़रवरी 2018 को आदेश पारित किया गया था और लाल चंदन और अन्य पेड़ों के बारे में पिछली सुनवाई में आदेश दिया गया था. इसके बाद रेलवे ने कोर्ट को बताया कि 200 करोड़ रुपये की राशि का भुगतान नहीं किया गया है. 1 करोड़ रुपये कोर्ट में जमा किए गए हैं.
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