Five Rupee Coin : रिटेल मार्केट में 5 रुपए का सिक्का (Five Rupee Coin) तो आज भी चल रहा है, लेकिन उसका बिजनेस काफी कम हो गया है. वास्तव में आपने इस पर खुलासा किया कि अंतिम मोटा वाला 5 रुपए का सिक्का कहा है. इसे रिजर्व बैंक द्वारा बंद कर दिया गया है. इसकी वजह भी काफी रोचक है. 5 रुपए के मोटे वाले सिक्के को लेकर कई रोचक जानकरी मिली हैं. जिसके जानकर आपको भी यकीन नहीं होगा. लेकिन ये खबर सच हैं. दरअसल खुलासा हुआ है कि इन सिक्कों (Five Rupee Coin) कि तस्करी बढ़ी थी, जिस पर रोक लगाने के लिए यह कदम उठाया गया था.
Five Rupee Coin: आरबीआई ने क्यों बंद किया पांच रुपए का सिक्का
इस 5 रुपए के सिक्के से 12 रुपए का सामान खरीदा गया था. 5 रुपए के पुराने सिक्के (Five Rupee Coin) काफी मोटे होते थे और बंदूकों में बड़ी धातु की आकृति होती थी. ये सिक्के जिस धातु से बने थे, इन्हें बनाने वाला सुपरमार्केट ब्लेड भी उसी धातु से बनाया जाता है. इसी वजह से लोगों ने गलत तरीके से पैसा बनाना शुरू कर दिया और इसी वजह से इस सिक्के को बंद करना पड़ा. आपको शायद ही पता होगा कि किसी भी सिक्के की कीमत और कीमत दो तरह की होती है. सिक्के (Five Rupee Coin) की सरफेस वैल्यू (सतह मूल्य) और मेटल वैल्यू (धातु मूल्य) पहले हैं.
सिक्कों की तस्करी के चलते सरकार ने लिया फैसला
हम भी आज आपको इसके बारे में बहुत कुछ सिक्कों के बारे में बताते हैं. सिक्कों पर दर्ज दस्तावेज़ सरफेस वैल्यू है. जैसे पांच के सिक्कों पर पांच लिखा होता है और धातु की कीमत अलग-अलग होती है. 5 के पुराने सिक्कों (Five Rupee Coin) को इस मोती की तरह उसके मेटल वैल्यू सरफेस वैल्यू से अधिक था. जिससे ब्लेड बनाने के लिए उपयोग लिया जाने लगा था. इसके बाद सरकार और भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने जरूरी फैसला लिया. जैसा कि आपने देखा होगा, पांच रुपए के पुराने सिक्के काफी मोटे थे, इसलिए वे बहुत धातु के बने होते थे. सिक्के (Five Rupee Coin) और सिक्के बनाने वाला ब्लेड दोनों धातु से बनाए जाते हैं. जब कुछ लोगों को इसकी जानकारी हुई तो वे इसका फायदा उठाने लगे.
बांग्लादेशी कर रहे थे सिक्कों की अवैध तस्करी
इसका मैटल वेल्यू के हिसाब से काफी अविश्वसनीय लगता है. सिक्के (Five Rupee Coin) का गलत इस्तेमाल, धातु की अधिक मात्रा की वजह से बांग्लादेश में सिक्के का गलत इस्तेमाल किया गया. आपकी जानकारी के लिए बता दें कि वहां इन मिशाली को मोल्टाकर अपनी धातु से ब्लेड बनाने लगा. एक सिक्के से छह ब्लेड बनाया गया था, और एक ब्लेड दो रुपये में खरीदा गया था. इस तरह एक पांच रुपये के सिक्के (Five Rupee Coin) को 12 रुपए का ब्लेड बनाया जा सकता था. वहां के लोगों ने पांच रुपये की मुद्रा का इस्तेमाल कर काफी फायदा उठाया.
5 रुपए के सिक्के से ब्लेड बनाकर 12 रुपए में बेच रहे थे
इसी वजह से भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने यह कदम इसलिए उठाया क्योंकि सरकार को पता चला कि बाजार में सिक्के कम हो रहे हैं. आरबीआई ने पहले 5 रुपए के मूल्य की तुलना में 5 रुपए के सिक्के (Five Rupee Coin) दिए और प्रयोग के लिए जाने वाली धातु को भी बदल दिया ताकि बांग्लादेशी डेनिम ब्लेड को पतला ना बनाया जा सके और इसकी कालाबाजारी को रोका जा सके. इसके परिणामस्वरूप उपयोग में आने वाले 5 रुपए के सिक्के के रूप लो बदला गया था. इनमें डिजाइन, सुरक्षा उपकरण और यहां तक कि सिक्कों (Five Rupee Coin) की संरचना में बदलाव भी शामिल है.
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