Grandson-Took-Grandmother-During-Kanwar-Yatra-2025

Kanwar Yatra : श्रावण मास शुरू हो चुका है और इसी के साथ कांवड़ यात्रा (Kanwar Yatra) की धूम भी मची हुई है। सब कांवड़ यात्री गंगाजल लेकर शिवभक्ति में लगे हुए है। शिव मंदिरों में जलाभिषेक करने के लिए बड़ी संख्या में शिवभक्त गंगाजल लेकर निकल रहे हैं।

इसी कड़ी में हरियाणा के दो लड़कों ने वो कर दिखाया है जो कलियुग में करना सिर्फ एक सपने के बराबर ही है।

77 वर्षीय दादी को लेकर कांवड़ यात्रा पर निकले दो पोते

Kanwar Yatra

दरअसल हरियाणा के दो युवक दादी की मनोकामना पूरी करने निकल पड़े हैं। पालकी में एक तरफ 77 वर्षीय बुजुर्ग दादी हैं, तो दूसरी तरफ गंगाजल है और वे दोनों हर-हर महादेव के जयकारों के साथ हरिद्वार से श्रवण कुमार कांवड़ लेकर अपने गंतव्य के लिए रवाना हुए हैं।

दादी राजबाला कहती हैं कि आज मेरा सपना पूरा हो गया। आज मेरे लिए सौभाग्य की बात है कि मेरे पोते मेरे लिए यह कांवड़ यात्रा (Kanwar Yatra) कर रहे है।

हरियाणा के रहने वाले हैं ये दोनों युवक

Kanwar Yatra

हरियाणा के झज्जर ज़िले के बहादुरगढ़ गाँव निवासी अनिल कुमार के बेटे विशाल और जतिन है। वे दोनों मज़दूरी करते हैं। वे कई सालों से अकेले काँवड़ लाते रहे हैं। दादी ने अपने पोतों से कांवड़ (Kanwar Yatra) लाने की इच्छा जताई। दोनों पोतों ने श्रवण कुमार कांवड़ से दादी की इच्छा पूरी करने का सोचा।

दादी के बड़े पोते विशाल ने बताया कि 1 जुलाई को देव नगरी हरिद्वार में हर की पौड़ी पर गंगा स्नान के बाद उन्होंने अपनी दादी के वज़न के बराबर गंगाजल रखा और दूसरी तरफ़ दादी को पालकी में बिठाकर भगवान भोलेनाथ का आशीर्वाद लेकर निकल पड़े।

शिवरात्रि के दिन जलाभिषेक करेंगे दोनों पोते

Kanwar Yatra

पोतों ने बताया कि वे रोज़ाना 7-8 किलोमीटर पैदल चलने के बाद कांवड़ (Kanwar Yatra) लेकर अपने कस्बे पहुँचे। उन्हें देखकर वहाँ लोगों की भीड़ जमा हो गई। जिसके बाद गाँव के लोगों ने दादी और उनके पोतों की खूब तारीफ की। विशाल ने बताया कि हम दोनों भाई दादी को पालकी में बिठाकर हरिद्वार से अपने गाँव लाए हैं।

उन्होंने बताया कि भगवान भोलेनाथ की कृपा है क्योंकि अब तक उन्हें किसी भी तरह की परेशानी नहीं हुई है। हरिद्वार से गंगाजल लाने के बाद अब वे शिवरात्रि के दिन अपने गाँव के शिव मंदिर में जलाभिषेक करेंगे।

बुजुर्ग दादी की मुराद हुई पूरी

Kanwar Yatra

बुजुर्ग दादी राजबाला ने नम आँखों से बताया कि इस सपने के पूरा होने पर उन्हें कितनी खुशी हो रही है। क्योंकि उन्होंने सोचा भी नहीं था कि यह सपना पूरा होगा। उनके दोनों पोते हरिद्वार से पालकी में बैठकर कांवड़ यात्रा (Kanwar Yatra) कर चुके हैं।

भगवान भोलेनाथ के आशीर्वाद से उनका जीवन सफल हो गया। दादी ने अपने दोनों पोतों को खूब आशीर्वाद दिया। दादी ने कहा कि उन्होंने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि उनके पोते हरिद्वार से पालकी में बैठकर कांवड़ यात्रा करेंगे।

यह भी पढ़ें : कौन हैं Radhika Yadav Tennis Player? जिसे पिता ने ही उतार दिया मौत के घाट, वजह सुनकर रह जाएंगे हैरान

मेरा नाम यश शर्मा है। मूलतः मैं राजस्थान के झालावाड़ जिले के भवानीमंडी क़स्बे...