Gurugram News : लोगों को अलग-अलग बीमारियाँ होती है। लेकिन अगर उन्हें समय पर इलाज ना मिले तो वह और बढ़ती जाती है और उनका इलाज भी पेचीदा हो जाता। ऐसा ही एक केस गुरुग्राम से आया है। जहां पर डॉक्टर्स ने चंद मिनटों में एक बड़ा ऑपरेशन कर दिया। गुरुग्राम (Gurugram News) के एक निजी हॉस्पिटल के डॉक्टर्स ने 70 वर्षीय बुजुर्ग का पथरी का इलाज किया।
गुरुग्राम से पथरी के ऑपरेशन का नया मामला
इस ऑपरेशन में उन्होंने बुजुर्ग के पेट से पथरी को चंद मिनटों में निकाल दिया। लेकिन इतनी पथरी गिनने में अस्पताल के स्टाफ को कई घंटे लग गए। सर्जरी के दो दिन बाद मरीज को अस्पताल से छुट्टी दे दी गई। गुरुग्राम (Gurugram News) के फोर्टिस मेमोरियल रिसर्च इंस्टीट्यूट के वरिष्ठ निदेशक डॉ. अमित जावेद ने बताया कि बुजुर्ग मरीज कई सालों से लगातार पेट दर्द से पीड़ित था।
उसे बीच-बीच में बुखार और भूख ना लगने की भी शिकायत थी। इसके कारण वह कमजोर हो गया था। उसे सीने और पीठ में भी भारीपन महसूस होता था। जांच में पता चला कि उसके पित्ताशय में पथरी है।
पथरी के ऑपरेशन के बाद निकले हजारों स्टोन
इसके बाद डॉक्टरों की टीम ने लेप्रोस्कोपिक कोलेसिस्टेक्टोमी (पित्ताशय को निकालना) की सर्जरी की। गुरुग्राम (Gurugram News) के डॉ. अमित जावेद ने बताया कि यह केस काफी जटिल था। अगर सही समय पर ऑपरेशन नहीं किया जाता तो पित्ताशय में मवाद बन सकता था। समय के साथ पथरी की संख्या बढ़ती जाती है।
इस मरीज के मामले में भी कई सालों की देरी की वजह से पथरी जम गई थी। पित्ताशय की दीवार में फाइब्रोसिस की संभावना थी। सर्जरी के बाद, बहुत काम करना था क्योंकि सहायक टीम को मरीज के पित्ताशय से निकाली गई पथरी की गिनती करनी थी।
पेट से निकले पथरी के 8125 स्टोन्स
सर्जरी के बाद घंटों बैठने के बाद टीम ने पाया कि यह संख्या आश्चर्यजनक रूप से 8,125 थी। इस मामले की जानकारी देते हुए गुरुग्राम (Gurugram News) स्थित फोर्टिस मेमोरियल रिसर्च इंस्टीट्यूट के गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल ऑन्कोलॉजी के निदेशक डॉ. अमित जावेद ने कहा, “यह मामला वाकई दुर्लभ था।
ऑपरेशन महज 60 मिनट में पूरा हो गया। लेकिन सबसे चौंकाने वाली बात यह रही कि डॉक्टरों और मेडिकल स्टाफ को पथरी गिनने में करीब 6 घंटे लग गए। कुल 8,125 पित्त की पथरी निकाली गई, जो एनसीआर क्षेत्र में अब तक का सबसे बड़ा मामला माना जा रहा है।
किस कारण होती है पेट में पथरी की समस्या?
डॉ. अमित जावेद ने कहा कि अगर इलाज में और देरी होती तो मरीज को गंभीर परिणाम भुगतने पड़ सकते थे। उन्होंने कहा कि पित्ताशय में इतनी बड़ी संख्या में पथरी का जमा होना सालों की लापरवाही का नतीजा है। इलाज में देरी से पित्ताशय में संक्रमण, फाइब्रोसिस और यहां तक कि कैंसर का खतरा बढ़ सकता है।
अधिकांश पित्त पथरी कोलेस्ट्रॉल से बनी होती है। और यह समस्या मोटापे, अस्वास्थ्यकर आहार और जीवनशैली संबंधी विकारों से जुड़ी होती है।
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