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Operation Sindoor : साल 2025 को भारतीय सेना की शौर्य गाथा के बारे में जरूरी गिना जाएगा। इस साल भारतीय सेना ने अदम्य साहस के बलबूते पर पाकिस्तानी सेना को झुकने पर मजबूर कर दिया था। इसमें हमारे वीर जवानों का हाथ जरुर है। ऑपरेशन सिंदूर (Operation Sindoor) में एक ऐसे ही वीर जवान के कहानी भी है जिसने पाकिस्तान को अकेले ही घुटने के बल पर लाकर गिरा दिया था। अब उसके साहस के लिए उसे भारतीय सेना ने सम्मानित किया है।

Operation Sindoor में शामिल अफसर को मिला सम्मान

Operation Sindoor

सेना के उस रणनीतिक जवाब ऑपरेशन सिंदूर (Operation Sindoor) का नेतृत्व लेफ्टिनेंट जनरल राजीव घई ने किया था। जब पाकिस्तान के डीजीएमओ ने कार्रवाई रोकने का अनुरोध किया तो उन्होंने ही बिना झुके पूरे आत्मविश्वास के साथ स्थिति को संभाला। ऑपरेशन सिंदूर के दौरान लेफ्टिनेंट जनरल राजीव घई प्रेस कॉन्फ्रेंस कर पाकिस्तान के साथ चल रहे संघर्ष की जानकारी देते थे।

DGMO राजीव घई को मिली नई जिम्मेदारी

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उन्होंने युद्ध विराम के बाद भी प्रेस कॉन्फ्रेंस की और बताया कि उनकी पाकिस्तानी डीजीएमओ से बात हुई है। जिसमें पाकिस्तान ने युद्ध विराम की गुहार लगाई थी। तब भारत अपनी शर्तों के आधार पर युद्ध विराम के लिए राजी हुआ था। भारतीय सेना के वरिष्ठ अधिकारी लेफ्टिनेंट जनरल राजीव घई को अब सम्मान के तौर पर सेना में बड़ा प्रमोशन मिला है।

उन्हें अब डिप्टी चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ (सिक्योरिटी) नियुक्त किया गया है। लेफ्टिनेंट जनरल घई की नियुक्ति ऑपरेशन सिंदूर की सफलता के बाद हुई है। जिसमें भारतीय सेना ने जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के जवाब में पाकिस्तानी आतंकी ठिकानों को नष्ट कर दिया था।

DGMO के साथ डिप्टी चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ भी किया नियुक्त

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बताया जा रहा है कि ऑपरेशन सिंदूर (Operation Sindoor) में उनकी कार्यकुशलता और रणनीतिक नेतृत्व को देखते हुए यह पदोन्नति दी गई है। पदोन्नति के बाद भी वे मौजूदा जिम्मेदारी यानी डायरेक्टर जनरल मिलिट्री ऑपरेशन्स (DGMO) के पद पर बने रहेंगे। सेना के इस स्तर के अधिकारी को ₹2.25 लाख प्रतिमाह का मूल वेतन मिलता है। भत्तों के साथ यह वेतन ₹3 लाख तक जा सकता है। लेकिन इस पद को सिर्फ वेतन से नहीं, बल्कि जिम्मेदारी और सम्मान से मापा जाता है।

जानिए कौन है सेना में DGMO राजीव घई?

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राजीव घई इससे पहले चिनार कॉर्प्स (15वीं कोर) के कमांडर रह चुके हैं। जहां उनके नेतृत्व में कई सफल सैन्य ऑपरेशन किए गए। वह डीजीएमओ (सैन्य अभियान महानिदेशक) के पद पर काम करते रहेंगे, यानी नई जिम्मेदारी के साथ उनका पुराना अनुभव भी बरकरार रहेगा।

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