Rajasthan: आजकल लोगों में इंसानियत बहुत कम रह गई है. ऐसा लगता है कि उन्होंने सारी हदें पार कर दी हैं. वे यह सोचने की क्षमता खो चुके हैं कि इंसान को क्या करना चाहिए और क्या नहीं करना चाहिए. उन्हें सिर्फ अपनी जिंदगी दिखती है. वहीं कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जो समाज के चक्कर में अपनी जिंदगी बर्बाद कर लेते हैं. तो चलिए आगे आपको बताते हैं कि कैसे राजस्थान (Rajasthan) में 34 दिन की बच्ची की शादी कर दी गई.
अक्षय तृतीया पर होती हजारों शादियां

राजस्थान (Rajasthan) में अक्षय तृतीया को शुभ अवसर पर हजारों शादियां होती हैं, वहां इस वर्ष एक साहसिक कदम ने समाज को नई दिशा दी है. इस दिन करीब 19 साल की सोनिया ने बाल विवाह जैसी सामाजिक बुराई को नकारते हुए विवाह निरस्त करने के लिए पारिवारिक न्यायालय में केस दायर किया. यह कदम न केवल साहसी है बल्कि बाल विवाह के खिलाफ जागरूकता का प्रतीक भी बन गया है.
बच्ची के साथ हुआ अन्याय
सोनिया की शादी साल 2005 में महज 34 दिन की उम्र में कर दी गई थी. यह शादी उसकी मर्जी के बिना, सिर्फ परंपरा के नाम पर तय कर दी गई थी. जब साल 2022 में उसका गौना हुआ तो उसे ससुराल भेज दिया गया, जहां उसे अपमानजनक व्यवहार और सामाजिक बंधनों का सामना करना पड़ा. आखिरकार वह ससुराल छोड़कर अपने पिता के घर वापस आ गई.
सोनिया को जोधपुर स्थित सारथी ट्रस्ट और साइकोलोजिस्ट डॉ. कृति भारती द्वारा चलाए जा रहे बाल विवाह निरस्तीकरण अभियान के बारे में पता चला तो उन्होंने डॉ. भारती की मदद से जोधपुर पारिवारिक न्यायालय संख्या एक में बाल विवाह निरस्तीकरण का मामला दायर किया. न्यायाधीश सतीश कुमार गोदारा ने तुरंत मामले का संज्ञान लिया और सुनवाई शुरू कर दी.
बाल विवाह करवा चुकी हैं निरस्त
डॉ. कृति भारती अब तक 52 बाल विवाह निरस्त करवा चुकी हैं. वे कहती हैं, “यह लड़ाई सिर्फ़ एक लड़की की नहीं है, यह पूरे समाज की सोच बदलने की शुरुआत है.” अक्षय तृतीया जैसे मौकों पर बाल विवाह रोकने के लिए पुलिस प्रशासन भी सक्रिय है. रेंज आईजी विकास कुमार ने आठ जिलों में हेल्पलाइन नंबर जारी किए हैं, जहां लोग गोपनीय तरीके से बाल विवाह की सूचना दे सकते हैं।
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