Know The Story Of Major Hoshiyar Singh
Know the story of Major Hoshiyar Singh

Major Hoshiyar Singh : 1971 का भारत-पाक युद्ध भारतीय सैनिकों की वीरता और साहस का एक बेहतरीन उदाहरण है। इस युद्ध से जुड़े सैनिकों की बहादुरी की कई कहानियां हैं। इस युद्ध में चार वीर सैनिकों को सर्वोच्च वीरता पुरस्कार परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया था, लेकिन केवल एक वीर मेजर होशियार सिंह (Major Hoshiyar Singh) ही ऐसे थे जिन्हें जीवित रहते हुए यह पुरस्कार मिला था।

1971 में Major Hoshiyar Singh की अमर गाथा

Major Hoshiyar Singh

परमवीर चक्र प्राप्त मेजर होशियार सिंह (Major Hoshiyar Singh) की वीरगाथा जिन्होंने युद्ध के दौरान सेना की समृद्ध परंपराओं के अनुरूप उत्कृष्ट वीरता, असाधारण युद्ध कौशल और कुशल नेतृत्व का परिचय दिया। उन्होंने समर्पण भाव से भारतीय सेना की सेवा की।

6 दिसंबर 1998 को जयपुर में प्राकृतिक कारणों से उनकी मृत्यु हो गई। लेकिन उनका अंतिम संस्कार उनकी इच्छा के अनुसार हरियाणा के रोहतक जिले में किया गया।

पढ़ाई के साथ खेलकूद में रहे उत्कृष्ट खिलाड़ी

Major Hoshiyar Singh

5 मई 1936 को हरियाणा के सिसाना गांव में उनका जन्म हुआ था। शिक्षा स्थानीय हाई स्कूल और फिर जाट सीनियर सेकेंडरी स्कूल में हुई। वह एक मेधावी छात्र थे। उन्होंने मैट्रिक की परीक्षा प्रथम श्रेणी में पास की। पढ़ाई के साथ-साथ वे खेलों में भी आगे रहते थे।
होशियार सिंह (Major Hoshiyar Singh) पहले नेशनल चैंपियनशिप के लिए पंजाब कंबाइंड वॉलीबॉल टीम में चुने गए और फिर वह टीम राष्ट्रीय टीम के रूप में चुनी गई, जिसके कप्तान होशियार सिंह थे। इस टीम का एक मैच जाट रेजिमेंटल सेंटर के एक वरिष्ठ अधिकारी ने देखा और होशियार सिंह उनकी नज़र में आए।

1957 में सेना में हुए थे भर्ती

Major Hoshiyar Singh

इस तरह होशियार सिंह (Major Hoshiyar Singh) सेना में भर्ती हो पाए। 1957 में वह 2 जाट रेजिमेंट में शामिल हुए। बाद में वह 3 ग्रेनेडियर्स में कमीशन लेकर अधिकारी बने। 1971 के युद्ध से पहले होशियार सिंह ने 1965 में पाकिस्तान के खिलाफ लड़ते हुए भी अपना करिश्मा दिखाया था। भारत की पूर्वी सीमा पर युद्ध 16 दिसंबर 1971 को समाप्त हो चुका था।

1971 की लड़ाई में होशियार सिंह ने दिया अहम योगदान

Major Hoshiyar Singh

वहीं 17 दिसंबर 1971 को पाकिस्तानी सेना ने एक बार फिर भीषण हमला किया। उस हमले में होशियार सिंह (Major Hoshiyar Singh) गंभीर रूप से घायल हो गए। घायल होने के बावजूद वह सैनिकों का हौसला बढ़ाते रहे। कोई भी बाधा उन्हें रोक नहीं सकी।
उन्होंने दुश्मन सेना पर इतनी तेजी से हमला किया कि पाकिस्तानी सेना को भारी तबाही का सामना करना पड़ा। इस लड़ाई में उनके कमांडिंग ऑफिसर मोहम्मद अकरम राजा की जान चली गई।

परमवीर चक्र से किया गया सम्मानित सम्मान

Major Hoshiyar Singh
1971 का युद्ध भारत के पूर्वी और पश्चिमी दोनों मोर्चों पर लड़ा जा रहा था। उस युद्ध में भारतीय सेना की जीत में हर सैनिक ने योगदान दिया, लेकिन अरुण खेत्रपाल, होशियार सिंह (Major Hoshiyar Singh), निर्मलजीत सिंह शेखो और अल्बर्ट एक्का ने अदम्य साहस दिखाया। होशियार सिंह को उनके अदम्य साहस के लिए परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया। उन्होंने ना सिर्फ दुश्मों को भगाया बल्कि कई को मर भी दिया था।

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