Mahatma Gandhi : दुनिया भर में बापू के नाम से प्रसिद्ध मोहनदास करमचंद गांधी महात्मा गांधी (Mahatma Gandhi) के नाम से भी विख्यात हुए. उनका जन्म 2 अक्टूबर 1869 को पोरबंदर गुजरात में हुआ था. वह भारत देश के राष्ट्रपिता भी कहे जाते हैं. उन्होंने भारत देश को अंग्रेजों से मुक्त कराने के लिए जजों संघर्ष किया वो इतिहास में दर्ज हैं और अमिट है. उनके किए हुए कार्य को दुनिया मानती है और उनके आगे नतमस्तक होती हैं. महात्मा गांधी (Mahatma Gandhi) ने अपने जीवन काल में कई ऐतिहासिक फैसले लिए और प्रतिज्ञाएं ली थी. जिसने आज भी युवा और कई लोग प्रभावित होते हैं.
Mahatma Gandhi रहें जीवनभर सादगी से भरे हुए
ऐसे में आज हम आपको महात्मा गांधी (Mahatma Gandhi) कि एक कठोर प्रतिज्ञा के बारे में बताएंगे जो उन्होंने अपने जीवनकाल में ली और सम्पूर्ण जीवन उसका पालन किया था. साल 1906 में महज 37 साल कि उम्र में महात्मा गांधी ने एक कठोर प्रतिज्ञा ली थी. जिसमें उन्होंने ताउम्र ब्रह्मचर्य को अपनाने का मन बना लिया था और इस प्रतिज्ञा को उन्होंने पूरी जिंन्दगी मन से पालन भी किया था. गांधीजी (Mahatma Gandhi) ने हालांकि ब्रह्मचर्य शब्द का प्रयोग स्वयं के ब्रह्मचर्य प्रयोग के लिए किया था, भले ही वे कोई छात्र नहीं थे और जीवन के पहले चरण में भी नहीं थे.
महज 37 साल की उम्र में अपनाया ब्रह्मचर्य
असल में उन्होंने (Mahatma Gandhi) 18 साल पहले ही शादी कर ली थी और उनके चार बेटे थे. फिर भी दक्षिण अफ्रीका में रहते हुए, अपने पहले ब्रह्मचारी व्रत से ठीक पहले उन्होंने ब्रह्मचारी बनने का व्रत लिया. गांधीजी के ब्रह्मचर्य व्रत का अर्थ शारीरिक मूल्यांकन से पूरी तरह से दायित्व लेना था. उन्होंने यह व्रत अपने जीवन के अंतिम समय तक निभाया. गांधीजी (Mahatma Gandhi) ने अपनी आत्मकथा में कहा था कि ब्रह्मचर्य व्रत का पूरी तरह से पालन करने का ज्ञान उन्हें नहीं था. ना ही किसी पुस्तक या शास्त्र से उन्होंने इसका ज्ञान लिया था. उनके हिसाब से ब्रह्मचर्य में आत्मा का संरक्षण निहित है.
56 वर्ष की उम्र में हुआ ब्रह्मचर्य का पछतावा
महात्मा गांधी (Mahatma Gandhi) के लिए ब्रह्मचर्य कोई कठिन तपस्या नहीं थी, बल्कि यह संतोष और आनंद का विषय था. कोई भी यह नहीं समझ पाया कि यह उनके लिए एक आसान काम था. यहाँ जब से वह 56 वर्ष की आयु पार कर गए तब से उन्हें यह भी एहसास हुआ कि ब्रह्मचर्य का पालन करना कितना कठिन है. हर दिन उन्हें यह महसूस होता है कि यह तलवारों की धार पर चलने के समान है और हर क्षण इसके लिए जीवित रहने की आवश्यकता महसूस होती है. गांधीजी (Mahatma Gandhi) के अनुसार ब्रह्मचर्य शब्द का बहुत साधारण अर्थ है.
महात्मा गांधी थे महान
महात्मा गांधी (Mahatma Gandhi) के अनुसार ‘ब्रह्मचर्य’ का वास्तविक अर्थ ‘ब्रह्म की ओर प्रवर्तन’ अर्थात सत्य की ओर प्रवर्तन है. ऐसे व्यक्ति के लिए सभी इंद्रियों पर नियंत्रण आवश्यक है. इसी प्रकार, सामाजिक प्रमाणन से स्वयं को दूर रखना भी आवश्यक है. इस लक्ष्य को प्राप्त करने में, यौन क्रियाओं पर नियंत्रण शायद सबसे अधिक सहायक है. क्योंकि ये सत्य के मार्ग से भटकाने वाले सबसे मजबूत लक्ष्यों में से एक है. ऐसे में महात्मा गांधी (Mahatma Gandhi) के अनुसार इस पर नियंत्रण जरूरी हो गया, जो ब्रह्मचर्य का पर्याय बन गया.
यह भी पढ़ें : ब्रेकिंग – टीम इंडिया में जगह ना मिलने पर फूटा युजवेंद्र चहल का गुस्सा, अचानक कर दिया संन्यास का ऐलान