Prices of vegetables increase: लोकसभा चुनाव से पहले जहां जनता ये उम्मीद लगाए बैठी थी की नई सरकार बनेगी तो यकीनन मंहगाई पर नकेल कसी जाएगी, लेकिन नई सरकार बनते ही अब ऐसा लग रहा है कि मानों सरकार ने मंहगाई रूपी घोड़े को आजाद कर दिया हो। जी हां, चुनाव खत्म होने के बाद से ही लगातार मंहगाई बढ़ती ही जा रही है। कई सब्जियों और फलों की कीमतें तो सांतवे आसमान पर पहुंच गई है।
इसके साथ ही गरीब आदमी की थाली से कई चीजें तो मंहगाई के कारण गायब होती हुई नजर आ रही हैं। एक तरफ आलू के रेट रुला रहे हैं तो उधर दालों के रेट आसमान पर बैठकर आम आदमी को खूब सता रहे हैं। लेकिन आखिर क्यों चुनाव खत्म होते ही महंगाई ने रफ्तार पकड़ ली है आईए जानते हैं।
मंहगाई ने तोड़ी गरीबों की कमर

इन दिनों बाजार में सब्जियों, दालों और फलों के दामों में ऐसी आग लगी हुई है कि आसमान से बरस रही गर्मी भी इसके आगे ठंडी नजर आ रही है। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि लोकसभा चुनाव के बाद अब दालों की कीमतों में 11 प्रतिशत की बढ़ोतरी (Prices of vegetables increase) हो गई है। उधर प्याज की कीमतें भी 67 प्रतिशत तक बढ़ चुकी हैं। जो आलू 31 मई तक करीब 29 रुपए किलो मिल रहा था उसमें अब 8 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी हो गई है और बाजार में अब आलू करीब 32 रुपए प्रति किलो के हिसाब से मिल रहा है।
इसके साथ ही जो टमाटर लगभग सभी सब्जियों में डाला जाता है उसके दामों में भी इजाफा (Prices of vegetables increase) देखने को मिला है। 31 मई को जहां टमाटर करीब 34 रुपये मिल रहा था वो अब 44 रुपये प्रति किलो के आसपास मिल रहा है। बात अगर दाल की करें तो दालों की कीमत तो चिकन से भी ज्यादा ऊपर पहुंच गई है।
अभी नहीं मिलेगी मंहगाई से राहत

कुछ सरकारी आंकड़ों की मानें तो खाने की चीजें पिछले 10 महीनों के अपने उच्चतम स्तर 9.82 फीसदी पर पहुंच गई। दाल, सब्जी, फल हो या फिर तेल सभी की कीमतों में लगातार इजाफा (Prices of vegetables increase) होता हुआ दिख रहा है। इसके साथ ही अनुमान लगाया जा है कि आने वाले कुछ दिनों में मंहगाई से कोई राहत नहीं मिलने वाली है। मई में थोक महंगाई बढ़कर पिछले सवा साल के अपने सबसे अधिक स्तर यानी की 2.61 % पर पहुंच गई है जबकि अप्रैल में मुद्रास्फीति दर 4.83 % पर था जो की पिछले करीब 11 महीनों का सबसे निचला स्तर था।
इससे साफ जाहिर होता है कि एक तरफ जहां खाने-पीने की चीजों के दाम सांतवे आसमपान पर पहुंच गए हैं वहीं दूसरी ओर खुदरा मंहगाई 11 महीने के अपने सबसे निचले स्तर पर पहुंच गई है। हालांकि खुद सरकार के उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय के आंकड़ें ये बताते है कि सभी आवश्यक खाने-पीने की चीजें एक साल में लगभग 16.68% तक महंगी हुई हैं।
क्यों बढ़ रहे हैं दाम?

गौरतलब है कि मानसून के आते ही सब्जियों की आवक में कमी आ जाती है जिसके कारण खाने पीने की चीजें महंगी (Prices of vegetables increase) होने लगती हैं। मंहगी होती सब्जियों और दालों के कारण एक तरफ गरीब आदमी परेशान होता है तो वहीं इन दिनों बड़े व्यापारी मालामाल हो जाते हैं। इसके साथ ही कुछ किसानों का मानना है कि इन दिनों पड़ रही भीषण गर्मी के कारण खेतों में लगी सब्जियों सूख रही हैं।
मौसम की मार हरी सब्जियों पर सबसे ज्यादा पड़ती हुई दिखाई दे रही है। गर्मी के कारण फल के पौधे झुलस जाते हैं। इसके आलवा इस सीजन में सब्जियों की ढ़ुलाई करना काफी मुश्किल हो जाता है जिससे की सब्जियों व अन्य फसलों के दाम (Prices of vegetables increase) बढ़ जाते हैं।
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