Ratan Tata : दिग्गज उद्योगपति रतन टाटा (Ratan Tata) अब हमारे बीच नहीं रहें. 86 साल की उम्र में उनका निधन हो गया. भारतीय इतिहास में रतन टाटा का नाम सुनहरे अक्षरों में लिखा जाएगा. भारत में जब भी उद्योगपतियों का ज़िक्र होगा सबसे पहले रतन टाटा का नाम लिया जाएगा. 28 दिसंबर 1937 को नवल और सुनो टाटा के घर जन्में रतन (Ratan Tata), टाटा ग्रुप के संस्थापक जमशेदजी टाटा के परपोते थे.
पिछले कुछ दिनों से उनकी तबीयत खराब होने के कारण उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया था. जहां बुधवार की रात उनका निधन हो गया. बेशक से वह हमारे बीच से चले गए लेकिन उनके द्वारा किए गए 5 काम ऐसा हैं, जिनकी वजह से लोगों के दिलों में रतन टाटा हमेशा जिंदगा रहेंगे।
Ratan Tata के 5 काम जिनकी वजह से रहेंगे याद
राजनीति से लेकर खेल जगत तक की कई बड़ी हस्तियां रतन टाटा (Ratan Tata) निधन के शोक में नजर आ रही हैं. उन्होंने अपने जीवन की सार्थक यात्रा में बहुत से ऐतिहासिक काम किए. रतन टाटा (Ratan Tata) ने अपने कार्यकाल में ऐतिहासिक फैसले लिए थे. इतना ही नहीं वह सादगी और अपने दयालु व्यवहार से हमेशा लोगों का दिल जीत लेते थे. वह अक्सर किसी न किसी तरह से लोगों से सीखते और देखते रहते थे.
आज भले ही यह महान शख्सियत हमारे बीच मौजूद नहीं है लेकिन इनकी प्रेरणा और इनके महान विचार हमेशा हमारे बीच जीवित रहेंगे. आज हम आपको इनके (Ratan Tata) द्वारा किए गए 5 ऐसे कामों के बारे में बताएंगे जिनसे हर भारतीय का सीना गर्व से चौड़ा हो जाएगा.
1. कोरोना काल में की सहायता
जिस समय पूरा विश्व कोरोना महामारी से जूझ रहा था उस समय भारत भी स्वास्थ्य संकटों से जूझ रहा था. इस संकट के समय रतन टाटा (Ratan Tata) सामने आए और उन्होंने देश को 500 करोड़ रुपये की मदद दी. उन्होंने एक्स (एक्स) पर लिखा था, कोविड-19 हमारे सामने आने वाली सबसे कठिन समय में से एक है. टाटा ट्रस्ट और टाटा समूह के निवेशक अतीत में भी देश की सहायता के लिए आगे आए हैं. इस समय की आवश्यकता किसी भी अन्य समय से अधिक है.
2. टाटा ने खोला था जानवरों का अस्पताल
रतन (Ratan Tata) अपने सौम्य स्वभाव और उदार दिल के लिए जाने लगे थे. अभी कुछ दिन पहले ही उन्होंने एक अस्पताल का आरम्भ किया था. उन्हें कुत्तों से बेहद लगाव था और वह कुत्तों को अपने परिवार का हिस्सा मानते थे. रतन टाटा ने आगे कहा था कि मेरे जीवन में कई पालतू पशु हैं.
इस कारण से मुझे अस्पताल खोलने का सुझाव आया. उनके (Ratan Tata) द्वारा बनाया गया अस्पताल 5 मंजिला है. जिसमें 200 पालतू जानवरों का एक साथ इलाज किया जा सकता है. 165 करोड़ रुपये की लागत से बने इस अस्पताल में हर सुविधा उपलब्ध हैं.
3. टीसीएस की स्थापना से देश को दिए नए पंख
टीसीएस ने आईटी और कंसल्टिंग क्षेत्र में एक वैश्विक उपलब्धी हासिल कि हैं. यह टाटा समूह की सबसे मूल्यवान कंपनी में से एक है. रतन टाटा (Ratan Tata) ने युवाओं के लिए ऐसी कंपनी कि स्थापना कि जिससे लाखों युवाओं को इसमें रोजगार मिल रहा हैं. आज इसका विस्तार ना सिर्फ भारत में बल्कि विश्वभर में हैं. और विश्व कि कईं बड़ी आईटी कंपनी को टीसीएस आज टक्कर देती दिख रही हैं.
4. कईं शहरों में कैंसर हॉस्पिटल की स्थापना
रतन टाटा (Ratan Tata) ने भारत में कई कैंसर अस्पताल बनवाए हैं. जैसे टाटा मेमोरियल हॉस्पिटल मुंबई, टाटा मेमोरियल सेंटर कोलकाता, टाटा मेमोरियल सेंटर चेन्नई, टाटा मेमोरियल सेंटर वाराणसी सहित देश के कई शहरों में कैंसर अस्पताल हैं. जहां पर इस लाईलाज बीमारी का इलाज सम्भव हैं. जहां पर हर सुविधा उपलब्ध हैं और वह दुनिया भर में प्रसिद्ध हैं.
5. टाटा मोटर्स में चार पहिया वाहनों का निर्माण
टाटा मोटर्स पहले सिर्फ बड़े वाहनों का निर्माण करता था. लेकिन साल 1999 में टाटा इंडिका को लॉन्च कर रतन टाटा (Ratan Tata) ने साबित कर दिया कि भारत भी स्वदेशी गाड़ियां बना सकता हैं. दरअसल टाटा की हालत इतनी खराब हो गई कि 1999 में टाटा ने इसे बेचने का निर्णय लिया. जुनूनी रतन टाटा के लिए यह बहुत बड़ा झटका था. उस समय वह अपनी कार कंपनी बिल फोर्ड को बेचना चाहते थे. लेकिन बिल फोर्ड ने उन (Ratan Tata) पर तंज कसते हुए कहा कि जब उन्हें पैसेंजर कार बनाने का कोई अनुभव नहीं है तो वह ऐसा बचकाना व्यवहार क्यों कर रहे हैं.
इससे उसने आपत्ति जतायी और कंपनी देने से इनकार कर दिया. एक दशक बाद समय ने करवट ली और फोर्ड मोटर्स की हालत खराब हो गई. इसी वजह से फोर्ड ने बायस को बेच दिया और रतन टाटा (Ratan Tata) ने इसे खरीद लिया. इतना ही नहीं रतन (Ratan Tata) ने कईं विदेशी मोटर कार कंपनी जगुआर लैंड रोवर जैसे प्रतिष्ठित ब्रांडों का अधिग्रहण कर टाटा ग्रुप की अंतरराष्ट्रीय पहचान बनाई.
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