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People trembled after listening to the last call of a UPSC student stuck in a lift

UPSC Student: शनिवार शाम को दिल्ली के करोल बाग स्थित विशाल मेगा मार्ट में भीषण आग लग गई, जिसमें दो लोगों की मौत हो गई. लेकिन इस घटना की सबसे दिल दहला देने वाली कहानी 25 वर्षीय यूपीएससी छात्र (UPSC Student) कुमार धीरेंद्र प्रताप की है. आग के बीच लिफ्ट में फंसे रहने के दौरान उन्होंने अपने बड़े भाई को एक आखिरी संदेश भेजा जिसे पढ़कर आपका दिल दहल जाएगा।

‘भैया बचा लो’

धीरेंद्र यूपीएससी की तैयारी करने के लिए बनारस से दिल्ली आया था. उस शाम वह कुछ खरीदारी करने के लिए विशाल मेगा मार्ट गया था. शाम 6:51 बजे यूपीएससी छात्र (UPSC Student) अपने भाई वीरेंद्र विक्रम को व्हाट्सएप पर मैसेज किया कि मैं लिफ्ट में फंस गया हूं, ‘भैया, मुझे अब सांस लेने में दिक्कत हो रही है… कुछ करो।’ यह उनकी आखिरी कॉल साबित हुई. इतना ही नहीं, उन्होंने अपने भाई को भी फोन किया।

समाचार एजेंसी एएनआई के अनुसार वीरेंद्र का कहना है कि उन्होंने तुरंत पुलिस को फोन किया, लेकिन कोई मदद नहीं मिली। उन्होंने कहा, “पुलिस करीब 9 बजे आई। तब तक हम बेसब्री से मदद मांगते रहे, लेकिन स्टोर के कर्मचारियों ने कोशिश तक नहीं की। इसके बजाय, उन्होंने बिजली काट दी और मौके से भाग गए.”

UPSC Student की हुई मौत

रात करीब ढाई बजे स्टोर प्रबंधन ने पहली बार माना कि अंदर कोई फंसा हो सकता है. तब तक बहुत देर हो चुकी थी. पुलिस, फायर ब्रिगेड और आपदा प्रतिक्रिया दल की मदद से बचाव अभियान शुरू किया गया और सुबह तक यूपीएससी छात्र (UPSC Student) धीरेंद्र का शव लिफ्ट से बाहर निकाल लिया गया. वीरेंद्र कहते हैं कि जब उन्होंने अपने भाई का चेहरा देखा तो उनकी नाक से खून बह रहा था। उन्होंने कहा, “साफ था कि उन्होंने बहुत संघर्ष किया, वो अंदर से जल गए थे.”

परिवार पर टूटा दुखों का पहाड़

इमारत से एक और जला हुआ शव भी बरामद किया गया है, जिसकी अभी तक पहचान नहीं हो पाई है। घटना की जांच जारी है. धीरेंद्र हाल ही में यूपीएससी की प्रारंभिक परीक्षा देकर अपने कमरे पर लौटा था. वह करोल बाग में किराए के मकान में रह रहा था और बड़े सपने लेकर दिल्ली आया था. उनके भाई ने कहा, “हमने अभी तक मां को सच नहीं बताया है. वह बनारस में हैं और अभी भी मानती हैं कि धीरेंद्र घायल हैं… हम उन्हें इस दर्द से बचा रहे हैं।”

इस वजह से गई जान

यह घटना सिर्फ़ आग लगने की नहीं है, बल्कि सिस्टम की लापरवाही की कहानी है, जिसकी वजह से एक होनहार और जिंदादिल नौजवान को समय पर मदद नहीं मिल पाई। दिल्ली जैसे शहर में, जहाँ हर गली-मोहल्ले में बचाव और आपातकालीन सेवाएँ उपलब्ध होनी चाहिए, वहां धीरेन्द्र साढ़े तीन घंटे तक लिफ्ट में फंसा रहा, बिना हवा, बिना रोशनी, बिना उम्मीद के।

यूपीएससी छात्र (UPSC Student) धीरेन्द्र अब नहीं रहे, लेकिन उनकी आखिरी आवाज, उनका संदेश… “भैया, मुझे अब सांस लेने में दिक्कत हो रही है…” हर उस व्यवस्था के सामने सवाल बनकर खड़ा है जो समय पर नहीं पहुंचती।

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