School Uniform : दुनियाभर के हर स्कूल में अपनी एक ड्रेस होती है. जिसे स्कूल यूनिफार्म कहा जाता हिया. वहीं भारत में हर सरकारी और गैर-सरकारी विद्यालय में एक स्कूल ड्रेस होती है. जिसे हिन्दी भाषा में बोले तो विद्यालय गणवेश कहा जाता है. लेकिन क्या आपको बता है इस विद्यालय गणवेश या स्कूल यूनिफार्म (School Uniform) की शुरुआत कहाँ से और कब हुई. ब्रिटेन की एक रिपोर्ट के अनुसार स्कूल यूनिफॉर्म का पहला रिकॉर्ड 1222 में इंग्लैंड में इस्तेमाल किया गया था. एक स्कूल में छात्रों को “कैप्पा क्लॉसा” नाम का एक रोब जैसी पोशाक पहनने वाली थी.
स्कूल यूनिफार्म का क्या है इतिहास?
हालाँकि 16वीं शताब्दी तक आधुनिक स्कूल यूनिफ़ॉर्म (School Uniform) का लिखित इतिहास सामने नहीं आया था. इस दौरान क्राइस्ट हॉस्पिटल बोर्डिंग स्कूल ने यूनिफॉर्म अनिवार्य कर दी थी जो रिपोर्ट के मुताबिक सिटीजन ही क्रिएटिव थे. इस यूनीफॉर्म में ब्लू लाबाडा और पीले रंग के मोजे शामिल थे.
इस प्रकार क्राइस्ट हॉस्पिटल जैसे चैरिटी स्कैलक को “ब्लू क्लॉक” स्कूल का नाम भी मिला था. प्राचीन इंग्लैंड में 16वीं शताब्दी में स्कूल ड्रेस का प्रचलन प्रारम्भ हुआ थी. तब स्टूडेंट्स को एक ड्रेस कोड दिया गया था.. जिसमें एक लंबा नीला कोट और पीला ट्राउजर और जूते तक की पोशाक मोजे होते थे. वहां के चैरिटी स्कूल में जहां अक्सर छोटे बच्चों को यूनीफॉर्म (School Uniform) स्कूल से जाया जाता था.
16वीं शताब्दी में इंग्लैंड में शुरू हुई थी स्कूल यूनिफार्म
स्कूल यूनीफॉर्म (School Uniform) को कई अन्य देशों ने बाद में अपनाया हैं. पिछले कई प्राचीन काल में यूनीफॉर्म अधिक आधुनिक हो गए हैं. मोटे कपड़े से बनी ब्लेज़र और टायर की पारंपरिक यूनिफॉर्म की जगह, स्कूल के रंग में टी-शर्ट, पोलो शर्ट और स्वेट शर्ट मानक बन गए हैं. कुछ में पेंट या एस्कॉर्ट भी होती है.
बीबीसी की रिपोर्ट के अनुसार क्राइस्ट हॉस्पिटल ने 2014 में छात्रों पर एक सर्वेक्षण किया और 95% ने पारंपरिक यूनिफ़ॉर्म (School Uniform) को बनाए रखने के पक्ष में मतदान किया. जिसमें स्कूल के गौरव को मुख्य कारण बताया गया.
भारत में लागू किया गया ड्रेस कोड
भारत में भी एक ड्रेस कोड लागू किया गया. जो वर्ष 1852 में प्रभावशाली तरीके से उत्तर प्रदेश में लागू हुआ. इतिहासकार डॉ. विकास ने बताया कि जिले के गजेटियर में इस बात का जिक्र किया गया है कि जब फैक्ट्री के जवानों की संख्या बढ़ती है तो इसमें पढ़ने वाले बच्चों को एक अलग पहचान देने के लिए स्कूल यूनिफॉर्म (School Uniform) लागू करने की योजना बनाई जाती है. जिसमें शुरुआती दौर में प्रांत के पांच शहरों का चयन किया गया था. जिसमें से बताया कि वर्ष 1850 के दशक के दौरान इसे प्रचलन में लाया गया था.
भारत में वैदिक काल से चल रही स्कूल यूनिफार्म
इतना ही नहीं भारत में तो ड्रेस (School Uniform) कि परम्परा काफी सालों पहले से चली आ रही है. वैदिक काल में भी गुरुकुल में बच्चे विशेष गणवेश में ही आते थे. सभी को वहीं रहकर विद्या अध्ययन करने कि सुविधा थी साथ ही सभी विद्यार्थी एक जैसी वेशभूषा और परिधान में नजर आते थे.
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