Tajmahal : दुनिया का सातवां अजूबा माना जाने वाला प्रेम का प्रतीक ताजमहल (Tajmahal) आज बहुत प्रसिद्ध हैं. दुनिया के सात अजूबों में से एक अजूबा, ताजमहल भारत के उत्तर प्रदेश में स्थित है. जिसे प्यार की निशानी कहा जाता है. आगरा में स्थित प्रेम के प्रतीक ताजमहल को शाहजहाँ ने बनाया था. शाहजहां ने इस खूबसूरत इमारत को अपनी रानी मुमताज की याद में बनवाया था. यूपी के आगरा में स्थित है भारत की सबसे खूबसूरत सुंदरता, जिसे बनाने के लिए लाल पत्थर और सफेद संगमरमर का इस्तेमाल किया गया था.
दुनिया के सातवें अजूबे Tajmahal को बनाने में लगे 20 साल
बता दें 5वें मुगल साम्राज्य के शासक शाहजहाँ के काल 1526 से वर्ष 1761 तक में वर्ष 1653 में करवाया था. कहा जाता है कि शाहजहाँ ने मध्य प्रदेश के ‘काला महल’ से ही ताजमहल (Tajmahal) की डिजाईन को लिया था. ‘काला महल’ असल में मध्य प्रदेश के बुरहानपुर रेलवे स्टेशन से लगभग 7 किमी की दूरी पर शाह नवाज खान का मकबरा है. इसका आधा हिस्सा काले पत्थर का और शेष कीमती पत्थर का है और चूने का बना हुआ है. शाह नवाज खान को स्थानीय लोगों के बीच साहब के नाम से जाना जाता था.
ताजमहल की डिजाईन काला महल से ली गई
कहा जाता है कि ताजमहल (Tajmahal) बनाने वाले मुख्य मिस्त्री के हाथ काट गए थे. लेकिन क्या आपको पता है कि ये मिस्त्री कौन थे? उन मिस्त्री ने इस इमारत को इतना खूबसूरत बनाया कि आज भी विदेशी पर्यटक आगरा में इसे देखने आते हैं. ताजमहल को बनाने में कई दिन का समय लगा था. शाहजहाँ ने मुख्य मिस्त्री को पाकिस्तान से बुलाया था. उन्होंने ताजमहल को बनाने कि जिम्मेदारी उस्ताद अहमद लाहौरी को सौंपी थी. लाहौरी पाकिस्तान के लाहौरी में रहने वाले थे. अहमद लाहौरी शाहजहां के दरबार का हिस्सा बनने के लिए लाहौर से दिल्ली आए थे.
पाकिस्तान के अहमद लाहौरी थे ताजमहल का मुख्य मिस्त्री
उस्ताद अहमद लाहौरी ने जब ताजमहल बनाया तो उनकी खूबसूरती देखकर शाहजहां खुश हुए थे. उन्होंने लाहौर अहमदी को ‘नादिर-उल-असर’ की उपाधि से नवाजा था. हालाँकि इतिहास के दस्तावेज़ में अहमद लाहौरी का ज़िक्र नहीं है, लेकिन इतना ज़रूर है कि उनके तीन बेटे थे और वे शाहजहाँ के दरबार का हिस्सा थे. ताजमहल (Tajmahal) बनाने वाली टीम में कारीगरों के अलावा राजमिस्त्री और सुलेखक भी शामिल थे.
जैसा कि आप सभी जानते हैं कि शाहजहां ने मुस्लिम मुमताज की याद में बनाया था. साथ ही कश्मीर के राम लाल को बगीचे बनाने की जिम्मेदारी दी गई थी. बिल्डिंग को बनाने में करीब 3.2 करोड़ रुपए का खर्च आया था. बेशकीमती पत्थरों को अफगानिस्तान, मिस्र, रूस, तिब्बत, ईरान जैसे देशों से लाया गया था.
कन्नौज के हिन्दू मजदूरों ने भी किया Tajmahal में काम
दुनिया के सात अजूबों में शामिल इस मकबरे को बनाने के लिए करीब 20 हजार कारीगरों का इस्तेमाल किया गया था. लेकिन कभी-कभी मन में यह सवाल आ जाता है कि यह मजदूर कहां से बुलाया गया था. रिपोर्ट के मुताबिक ताजमहल (Tajmahal) में ज्यादातर मजदूर कन्नौज के हिंदू थे. इसके अलावा इनमें राजमिस्त्री, पत्थर काटने वाले, चित्रकार और अन्य कलाकारों को मुगल सम्राज्य, मध्य एशिया और ईरान से लाया गया था.
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