Sikandarpur-Have-Every-House-Kitchen-Garden

Sikandarpur : उत्तर प्रदेश के मेरठ जिले का एक गाँव पूरे देश के लिए मिसाल बन गया है. बूंद-बूंद पानी बचाने से लेकर अपने ही घर पर खेती करने तक इस गांव के लोग काफी मेहनत कर रहे हैं. यहां की महिलाओं ने अपने घर के आंगन में ऐसा किचन गार्डन तैयार किया है जिसकी तेरफ हर कोई कर रहा है. सिंकदरपुर (Sikandarpur) गांव के बारे में जो भी सुनता है वो यहां एक बार जरुर आना चाहता हैं. ऐसा माना जाता है यह कहानी उस गांव की है जो मेरठ जिले का आखिरी गांव माना जाता है.

Sikandarpur जो है किचन गार्डन के नाम से मशहूर

Sikandarpur

इसे सबसे पिछड़ा गांव भी माना जाता है. लेकिन इसने अपने आप को उस स्तर पर पहुंचा दिया है कि अब हर कोई इस गांव (Sikandarpur) के जैसा बनना चाहता है. दरअसल यह गांव उत्तरप्रदेश के मेरठ जिले का सिकंदरपुर (Sikandarpur) हैं. इस गांव के हर घर में किचन गार्डन है. गंगा खादर इलाके में बसा सिकंदरपुर गांव (Sikandarpur) पूर्वोत्तर जिले का आखिरी गांव है. जिला मुख्यालय से दूरी होने की वजह से गांव में सरकारी सेवाएं समय पर नहीं पहुंच पा रही हैं, लेकिन यहां की महिलाओं ने ऐसी मिशाल पेश की है, जो हर किसी को प्रभावित कर रही है.

Sikandarpur बना है देश में मिसाल

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गांव कि महिलाओं ने अपने घर के आंगन में खाली जगह पर ‘किचन गार्डन’ बनाया है. हर घर में लौकी, तोरई, बैंगन, मूली, गाजर, पालक, मेथी, धनिया, लहसुन, प्याज सहित हरी सब्जियां उगाई जाती हैं. यहां कि महिलाएं घर से बाहर निकलने वाले पानी को भी बर्बाद नहीं करती हैं बल्कि उस पानी से बगीचे में सिंचाई करती हैं. सिकंदरपुर गांव (Sikandarpur) के हर घर में किचन गार्डन बनाया जाता है जिससे घर की महिलाएँ अपने परिवार को ताज़ा-ताज़ा सब्जियां खिलाती रहती हैं. वहीं अगर वे बच जाती हैं तो उनको बेचकर घरेलू खर्चा भी पूरा करती है.

गांव की महिलाएं ने उठाया जिम्मा

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पिछड़े गांवों में शुमार सिकंदरपुर (Sikandarpur) गांव जिला मुख्यालय से करीब 50 किमी दूर हैं. परीक्षितगढ़ क्षेत्र का सिकंदरपुर गांव वैसे तो सबसे हरा-भरा गांव माना जाता है. गांव में ज्यादातर परिवारों के पास एक ही मकान और मकान के आगे घासफूस का छप्पर है लेकिन इस गांव के किचन गार्डन के बारे में जो भी सुनता है वह इससे मोहित हो जाता है. इस गांव की अनपढ़ महिलाओं ने पढ़े-लिखे लोगों को पीछे छोड़ दिया जाता है जो काम शहर में करते हैं. इस गांव में आपको घर का पानी कहीं भी गली में इकट्ठा नहीं मिलेगा. क्योंकि वेस्ट वॉटर घर के बाहर जा ही नहीं पाता.

लोग अपने घर में उगा रहे ताजा सब्जियां

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जो भी इस गांव में आता है तो सिकंदरपुर (Sikandarpur) कि खूबसूरत तस्वीरें देखकर दंग रह जाता है. यहां तक ​​कि जब यूपी की सीडीओ ईशा ने इस गांव को देखा तो पहली बार इस गांव को देखकर उनका दिल मोहित हो गया. सीडीओ का कहना है कि ऐसे गांव के लोग एक उदाहरण के तौर पर किचन गार्डन में जैविक रसायन उगा रहे हैं. कीट-पतंगों को हटाने के लिए चूल्हे की राख का इस्तेमाल किया जाता है. खाद की जगह बर्तन मांजने वाले पानी का छिड़काव किया जाता है जो कीटनाशक का काम करता है और गार्डन को हरा-भरा रखता है.

जल संरक्षण को लेकर उठाया बड़ा कदम

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जिला प्रशासन भी इस गांव (Sikandarpur) को लेकर काफी खुश है. उनका कहना है कि इस गांव में जल संरक्षण का एक नमूना पेश किया गया है. साथ ही घर के पानी का कैसे करें इस्तेमाल इसकी भी मिसाल इस गांव ने पेश की है. प्रशासन भी इस गांव का उदाहरण देकर अन्य गांव के लोगों को भी प्रेरित कर रहा है. बता दें कि इस गांव की चर्चा आसपास के जिलों में ही नहीं देश-विदेशों तक होती हैं. और आज इस गांव (Sikandarpur) की पहचान किचन गार्डन के रूप में हो रही है. हर कोई इसे किचन गार्डन गांव के नाम से जानता है.

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