Private part: कई बार उत्सुकता या अकेलेपन के चलते व्यक्ति ऐसे कदम उठा लेता है जो बेहद खतरनाक साबित हो सकते हैं। ऐसा ही एक मामला सामने आया जहां 27 वर्षीय लड़की ने यौन सुख की चाह में अपने प्राइवेट पार्ट (Private part) में मॉइस्चराइजर की बोतल डाल ली. लेकिन यह बोतल अंदर चली गई और आंतों में बुरी तरह फंस गई. आइए जानते हैं कि लड़की के साथ आगे क्या हुआ?
जानें बोतल कैसे गया अंदर?
लड़की ने प्राइवेट पार्ट में डाली मॉइस्चराइजर की बोतल
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— Amar Ujala (@AmarUjalaNews) July 3, 2025
जब लड़की ने देखा कि बोतल प्राइवेट पार्ट (Private part) से बाहर नहीं आ रही है तो वह घबरा गई। इसके बाद उसके पेट में तेज दर्द होने लगा और वह दो दिन तक शौच नहीं कर पाई। जब उसकी हालत बिगड़ने लगी तो उसे एक निजी अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड में भर्ती कराया गया. पूछताछ करने पर उसने डॉक्टरों को पूरी बात बताई। उसने यह भी बताया कि वह पहले पास के अस्पताल गई थी, लेकिन वहां डॉक्टर बोतल नहीं निकाल पाए। इसके बाद उसका एक्स-रे कराया गया, जिसमें साफ पता चला कि बोतल प्राइवेट पार्ट के ऊपरी हिस्से यानी आंतों में फंसी हुई थी।
डॉक्टरों ने लड़की दिखाया अपना जलवा
यह बहुत गंभीर स्थिति थी। सबसे बड़ा खतरा यह था कि अगर बोतल आंत में फट जाती तो लड़की की जान जा सकती थी। डॉक्टरों की एक टीम ने बिना किसी देरी के तुरंत एक विशेष प्रक्रिया अपनाने का फैसला किया। सर्जरी यानी पेट में चीरा लगाने की जगह डॉक्टरों ने ‘सिग्मोयडोस्कोपी’ नामक आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल किया। इस तकनीक में एक पतली ट्यूब जिसमें कैमरा लगा होता है, प्राइवेट पार्ट (Private part) के ज़रिए अंदर डाली जाती है। इस कैमरे की मदद से डॉक्टरों ने बड़ी सावधानी से बोतल को पकड़ा और बिना किसी कट के उसे बाहर निकाल लिया।
इस उन्नत विधि का सबसे बड़ा लाभ यह था कि लड़की के पेट या आंत में कोई चीरा लगाने की ज़रूरत नहीं पड़ी। इससे उसका दर्द कम हुआ और वह बहुत जल्दी ठीक हो गई। अगले ही दिन उसे अस्पताल से छुट्टी दे दी गई।
डॉक्टरों का क्या कहना है?
डॉक्टरों ने कहा कि ऐसे मामलों में समय बहुत कीमती होता है। जितनी देरी होगी, आंत के फटने का खतरा उतना ही अधिक होगा। उन्होंने यह भी कहा कि ऐसे मामलों को एंडोस्कोपी और लैप्रोस्कोपी जैसी गैर-आक्रामक तकनीकों से सुरक्षित रूप से संभाला जा सकता है. एक डॉक्टर ने यह भी कहा कि अक्सर ऐसे कदम उठाने वाले लोग अकेलेपन या किसी मानसिक समस्या से जूझ रहे होते हैं। इसलिए इलाज के साथ-साथ उनकी काउंसलिंग और मानसिक स्वास्थ्य का ध्यान रखना भी बहुत जरूरी है।
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