Supreme Court: दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण से जुड़ी याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने पराली जलाने की समस्या पर गंभीर चिंता जताई. कोर्ट ने साफ तौर पर कहा कि इस समस्या के समाधान के लिए सख्त कदम उठाना जरूरी है. भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि अगर कुछ किसानों को जेल भेजा जाता है, तो इससे बाकी किसानों को स्पष्ट संदेश जाएगा कि अब लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी.
दंडात्मक कार्रवाई जरूरी

वरिष्ठ अधिवक्ता राहुल मेहरा ने सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में दलील दी कि पहले भी कई किसानों को गिरफ़्तार किया गया है, लेकिन ज़्यादातर छोटे किसान हैं. कुछ के पास बहुत कम ज़मीन है, और अगर उन्हें जेल भेज दिया गया, तो उनके परिवारों का क्या होगा? इस पर सीजेआई ने स्पष्ट किया कि अदालत नियमित गिरफ्तारियों की बात नहीं कर रही है, बल्कि सख्त संदेश देने की जरूरत है ताकि पराली जलाने की घटनाएं कम हों और अपराधियों को जेल जाने का डर हो. उन्होंने कहा, “यदि पर्यावरण को बचाना हमारी प्राथमिकता है, तो दंडात्मक कार्रवाई से क्यों कतराते हैं?”
Also Read…एक गलती और पाकिस्तान को लग जाएगा 141 करोड़ का चूना! एशिया कप 2025 के बीच धर्म संकट में पड़ा पीसीबी
पराली से बायोफ्यूल बनाने की संभावना पर जोर
सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में सुनवाई के दौरान, मुख्य न्यायाधीश ने पराली को जैव ईंधन के रूप में इस्तेमाल करने की संभावना पर भी प्रकाश डाला. उन्होंने अखबारों की खबरों का हवाला देते हुए कहा कि इसके लिए किसी लंबी प्रक्रिया की आवश्यकता नहीं है. न्यायालय ने किसानों का सम्मान करने की आवश्यकता पर बल दिया, क्योंकि उनकी कड़ी मेहनत से देश के लोगों का पेट भरता है, लेकिन साथ ही पर्यावरण की सुरक्षा के महत्व पर भी बल दिया.
न्यायमित्र अपराजिता सिंह ने न्यायालय को बताया कि केंद्र सरकार ने किसानों को पराली प्रबंधन के लिए उपकरण और सब्सिडी उपलब्ध कराई है. यह सब्सिडी कॉर्पोरेट क्षेत्र के लिए 80 प्रतिशत और व्यक्तिगत किसानों के लिए 50 प्रतिशत तक है. फिर भी पराली जलाने की समस्या जस की तस बनी हुई है.
वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने के प्रयास
मुख्य न्यायाधीश ने चेतावनी दी कि अगर जल्द ही कोई ठोस फैसला नहीं लिया गया, तो सुप्रीम कोर्ट अपना आदेश जारी करेगा. अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) भाटी ने अदालत से अनुरोध किया कि स्थिति रिपोर्ट पेश होने के बाद अगले हफ्ते मामले की सुनवाई की जाए. अदालत ने इस बात पर सहमति जताई. अदालत ने यह भी कहा कि 2018 से अब तक कई आदेश जारी किए जा चुके हैं, लेकिन समस्या का समाधान नहीं हुआ है.
यह सुनवाई दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने के प्रयासों का एक हिस्सा है. सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) का रुख स्वास्थ्य और पर्यावरण की रक्षा के लिए पराली जलाने से रोकने के लिए दंडात्मक उपायों की आवश्यकता पर ज़ोर देता है.