School: उत्तर प्रदेश के कानपुर में जिन हाथों में कलम, किताब और कॉपी होनी चाहिए थी, शिक्षकों ने उन्हें फावड़े पकड़ा दिए. एक प्राइमरी स्कूल (School) का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है, लेकिन अधिकारी आंखों पर पट्टी बांधे वायरल वीडियो पर कार्रवाई करने से बच रहे हैं. पूरी घटना सचेंडी थाना क्षेत्र के प्राथमिक विद्यालय द्वितीय में घटी.
इस वीडियो में मासूम बच्चों से फावड़े उठवाकर काम करवाया जा रहा है. वीडियो सामने आते ही स्कूल जाने वाले बच्चों के अभिभावकों में गुस्सा फूट पड़ा. उनका कहना है कि वे शिक्षा विभाग से शिकायत करके ऐसे शिक्षकों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करेंगे.
School प्रशासन पर उठे कई सवाल

इन दिनों बरसात के मौसम में प्राथमिक सरकारी स्कूल (School) में ज़मीन पक्की न होने के कारण पानी भर रहा था. विभाग ने इंटरलॉकिंग टाइल्स भेजकर काम करवाने को कहा, लेकिन जो काम मज़दूरों से करवाया जाना था, वो स्कूली बच्चों से करवाया जा रहा था. अब अगर मज़दूरों वाला काम बच्चों से करवाया जाए, तो ज़िम्मेदारों पर सवाल उठना स्वाभाविक है.
मासूम के हाथों में फावड़ा
जहां निजी स्कूल (School) में बच्चों को बारिश से बचाने के लिए कक्षाओं में इंतजाम किए जा रहे हैं, वहीं प्राथमिक स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों से बारिश में रेत-सीमेंट का मिश्रण तैयार करवाया जा रहा है. इस डिजिटल इंडिया में शिक्षा के बढ़ते स्तर की सच्चाई समाज के सामने है. जिन बच्चों के हाथों में किताबें होनी चाहिए थीं, उन्हें प्रिंसिपल ने फावड़ा, बाल्टी और इंटरलॉकिंग टाइल्स थमा दी हैं.
परिजनों ने की कार्रवाई की मांग
परिवार का कहना है कि बच्चों का भविष्य अनिश्चित है. गरीब बच्चे शिक्षा से दूर होते जा रहे हैं. कानपुर के प्राथमिक विद्यालय में बच्चों को शिक्षा देने की बजाय उनसे मज़दूरी करवाई जा रही है. वीडियो में बाल श्रम साफ़ देखा जा सकता है. बच्चे इंटरलॉकिंग उठा रहे हैं और एक महिला कर्मचारी के साथ काम कर रहे हैं. स्कूल का प्रांगण पानी से भरा हुआ है और कुछ बच्चे फावड़े से सीमेंट और रेत का मिश्रण फैला रहे हैं.
अब गरीब समाज के ये बच्चे सरकारी सुविधाओं से वंचित होकर बाल मजदूरी करने को मजबूर हैं. बच्चों को इस हालत में देखकर परिजनों में रोष है.लोग स्कूल (School) प्रशासन के खिलाफ कार्रवाई की मांग कर रहे हैं. हाल ही में कानपुर देहात के एक स्कूल के कुछ छात्रों ने बच्चों से काम करवाने की शिकायत जिलाधिकारी से की थी, जिसके बाद प्रिंसिपल के खिलाफ मामला दर्ज किया गया था।