एक ऐसा देश जो जल्द हो जाएगा धरती से गायब, कुछ ही दिनों के मेहमान बचे यहाँ के नागरिक, घुट-घुटकर जीने को बेबस लोग

Tuvalu Island : प्रशांत महासागर में नौ छोटे-छोटे द्वीप पर बसा तुवालु द्वीप (Tuvalu Island) समूह अपने अस्तित्व के संकट से जूझ रहा है. तुवालु प्रशांत महासागर में 26 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ देश है. यह दुनिया का चौथा सबसे छोटा देश है. यह देश अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया के बीच स्थित है. इसकी जनसंख्या करीब 11 हजार हैं. लेकिन हाल के रिपोर्ट्स से पता चला है कि ये देश (Tuvalu Island) जल्द ही दुनिया के सबसे मशहूर पर्यटकों में से एक है. लेकिन डूब में आने कि वजह से यहां बहुत कम संख्या में पर्यटक पहुंचते हैं. जानिए इस देश के बारे में कुछ खास बातें, जिनकी वजह से चर्चा से ये इन दिनों का विषय बन गया है.

वैश्विक स्तर पर चर्चा का विषय बना तुवालु द्वीप

Tuvalu Island

11 हजार आबादी वाले इस देश (Tuvalu Island) का आने वाले दिनों में कोई अता-पता नहीं रहें वाला हैं. तुवालु का समुद्री तल से भूजल 2 मीटर (6.56 फीट) है. पिछले तीन दशकों में ग्लोबल उथल-पुथल के कारण समुद्री तल 15 सेमी (5.91 इंच) बढ़ गया है. यानी करीब छह इंच समुद्र तट का तल बढ़ गया है जो वैश्विक स्तर से काफी ऊपर हैं. नासा ने अनुमान लगाया है कि समुद्र के नियमित ज्वार के कारण 2050 तक यहां का सबसे बड़ा द्वीप फुनाफुटी आधा जलमग्न हो जाएगा. इस द्वीप (Tuvalu Island) पर तुवालु के सर्वाधिक 60 प्रतिशत लोग रहते हैं.

11 हजार आबादी वाला देश हो जाएगा विलुप्त

Tuvalu Island

पिछले तीन दशकों में यहां समुद्र का स्तर 15 इंच (लगभग 6 इंच) बढ़ गया है. जो वैश्विक औसत से इंच गुना अधिक है. नासा कि रिपोर्ट्स के अनुसार 2050 तक तुवालु (Tuvalu Island) के फुनाफुटी द्वीप का आधा हिस्सा जलमग्न हो जाएगा. जहां तुवालु की 60% आबादी निवास करती है. तुवालु ने जलवायु परिवर्तन के खिलाफ लड़ाई में सहयोग के लिए 2023 में ऑस्ट्रेलिया के साथ एक ऐतिहासिक जलवायु और सुरक्षा संधि की घोषणा की. इसके अनुसार, 2024 से हर साल तुवालु (Tuvalu Island) के 280 नागरिकों को ऑस्ट्रेलिया में बसने का अवसर दिया जाएगा. वैश्विक जलवायु परिवर्तन के कारण समुद्र का स्तर तेजी से बढ़ रहा है, जिससे तुवालु खतरे में पड़ गया है.

बढ़ते समुद्र के स्तर से 2050 तक ये देश हो जाएगा गायब

Tuvalu Island

तुवालु (Tuvalu Island) के जलवायु परिवर्तन के कारण लोग खतरे में है और इसके विश्व भर के छोटे द्वीपों की स्थिति के लिए चेतावनी का संकेत है. तुवालु के लिए अंतर्राष्ट्रीय सहयोग और सक्रिय कदम उठाने की आवश्यकता है ताकि देश के लोगों को सुरक्षित और स्थायी जीवन जीने का अवसर मिल सके. तुवालु में खतरे की आहट साफ दिखने लगी है. यहाँ फ़सलें चौपट होती जा रही हैं यहां के क्षेत्र को रेनवाटर टैंकों और एक केंद्रीकृत विकसित फॉर्म से युक्त ओगै पद रही हैं. बता दें साल 1978 में तुवालु (Tuvalu Island) को ब्रिटेन से आज़ादी मिली. इसका कुल क्षेत्र 26 वर्ग किमी है.

26 किमी में फैले देश को 1978 में ब्रिटेन से मिली मुक्ति

Tuvalu Island

पहले एलिस द्वीप का नाम से भी जाना जाता था. ये (Tuvalu Island) दुनिया में सबसे कम आबादी वाला देश है. 2021 के आंकड़ों के मुताबिक यहां की आबादी 11,900 है. तुवालु दुनिया के प्रमुख स्थलों में से एक है. लेकिन ताजा रिपोर्ट के मुताबिक इस देश में 2 हजार से भी कम पर्यटक आते हैं. ये एक ऐसी जगह है जहां, भविष्य में आने वाले लोग शायद ही पहुंच पाएंगे. इसकी वजह से इस देश (Tuvalu Island) की संभावना का ख़तरा सामने आया है. ऐसा ही एक अनोखा अनुमान सामने आ रहा है कि आने वाले दिनों में विश्व के दस्तावेज गायब हो जाएंगे.

हर साल ऑस्ट्रेलिया में बसेंगे यहाँ के 280 नागरिक

Tuvalu Island

यूएनडीपी (यूएनडीपी) के वैज्ञानिकों ने बताया कि हम इस आइलैंड पर क्लाईमेट बदलाव के कारण होने वाले बदलाव का अध्ययन कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि तुवालु द्वीप (Tuvalu Island) में लगातार तूफान है, चिंता की बात यह है कि एटोल से बने इस देश को समुद्री लहरों और जलवायु परिवर्तन से काफी नुकसान हो रहा है. ऐसा अनुमान लगाया जा रहा है कि आने वाले दिनों में ये देश (Tuvalu Island) समुद्र में बिल्कुल लुप्त हो जाएगा.

यह भी पढ़ें : ये 2 बॉलीवुड एक्ट्रेस गाय माता से करती हैं बेहद नफरत, भारत में रहकर ही हिंन्दू धर्म के खिलाफ देती हैं बढ़-चढ़कर बयान

"