Vedhapriya Ganesan : प्रकृति में इंसान और वन्य जीवों का एक नाता होता है। जब तक इंसान वन्य जीवों से छेड़छाड़ नहीं करता है तब तक जीव भी इंसान को नुकसान नहीं पहुंचाते हैं। वहीं पशुओं और वन्यजीवों के संरक्षण के लिए सरकार समेत कईं लोग कार्य करते हैं। ऐसी ही एक लड़की है जो वन्य जीवों के बचाव के लिए कार्य करती है। इतना ही नहीं वह विषैले जीवों के साथ भी मित्रवत पेश आती है। उसकी मिसाले पूरे देशभर में दी जा रही है।
चेन्नई की रहने वाली ये लड़की (Vedhapriya Ganesan) आज दुनिया में इस वजह से अपनी पहचान बना रही है। जिसने हजारों सांपों से रक्षा भी की है और उनका बचाव भी किया है।
16 की उम्र से वेदप्रिया कर रही वन्यजीव बचाव
दरअसल हम बात कर रहे हैं चेन्नई कि रहने वाली वेदप्रिया गणेशन कि, जो चेन्नई कि रहने वाली हैं। पेशे से वह पेट स्टाइलिस्ट हैं। उनके साथ एक और उपाधि भी जुड़ी है। वह इसके साथ ही वन्यजीव बचावकर्ता भी हैं। वेदप्रिया ने 16 साल की उम्र से ही सांपों के साथ एक अलग रिश्ता बना लिया था। 9 साल में उन्होंने हजारों सांपों को बचाया है।
वेदप्रिया (Vedhapriya Ganesan) पश्चिमी घाट वन्यजीव संरक्षण ट्रस्ट की मुख्य समन्वयक हैं। वह वन्यजीव संरक्षण को लेकर जागरूकता कार्यक्रम भी चलाती हैं। सांपों के अलावा उन्होंने कई दूसरे वन्यजीवों को भी बचाया और उनका पुनर्वास किया है। परंपरागत रूप से यह क्षेत्र पुरुषों के वर्चस्व वाला रहा है। लेकिन, वेदप्रिया ने इस क्षेत्र में न सिर्फ़ अपनी अलग पहचान बनाई है, बल्कि पुरुषों के वर्चस्व को भी चुनौती दी है।
8 हजार से ज्यादा सांपों का किया बचाव
कॉलेज में पढ़ाई के दौरान ही वेदप्रिया (Vedhapriya Ganesan) ने पशु कल्याण संगठनों, सेंट्रल जू अथॉरिटी ऑफ़ इंडिया, ब्लू क्रॉस और बेसेंट मेमोरियल एनिमल डिस्पेंसरी के साथ स्वैच्छिक सेवा शुरू कर दी थी। वह पश्चिमी घाट वन्यजीव संरक्षण ट्रस्ट (WGWCT) से भी जुड़ीं, जहाँ उन्होंने चेन्नई के लिए मुख्य समन्वयक और वन्यजीव प्रबंधन विशेषज्ञ के तौर पर काम किया।
आठ साल बाद, पश्चिमी घाट वन्यजीव संरक्षण ट्रस्ट में मुख्य समन्वयक और वन्यजीव पुनर्वासकर्ता वेदप्रिया पिछले कई सालों में जहरीले सांपों से हुई अपनी मुठभेड़ों को याद करती हैं। उनके (Vedhapriya Ganesan) अथक प्रयासों की वजह से चेन्नई, कोयंबटूर, पोलाची और मदुरै से 8,000 से ज़्यादा सांपों और वन्यजीव प्रजातियों को बचाया और उनका पुनर्वास किया जा सका है।
महिलाओं के लिए भी स्टैंड लेती हैं वेदप्रिया
वह (Vedhapriya Ganesan) इस अविश्वसनीय उपलब्धि के लिए तमिलनाडु वन विभाग और तमिलनाडु अग्नि और सुरक्षा बचाव विभाग को श्रेय देती हैं। चूंकि ये संगठन तमिलनाडु वन विभाग के साथ मिलकर काम करते हैं, इसलिए वेदप्रिया को अक्सर वन्यजीवों को बचाने के लिए बुलाया जाता है। जब भी कोई महिला अपने लिए खड़ी होती है, तो वह सभी महिलाओं के लिए खड़ी होती है।
एक बार जब उनकी (Vedhapriya Ganesan) विश्वसनीयता स्थापित हो गई, तो उन्हें फंसे हुए सांपों को बचाने में मदद मांगने वाले फोन कॉल्स की बाढ़ आ गई। बचाए गए सांपों को वन विभाग को सौंप दिया जाता है या घने हरे जंगल वाले इलाकों में छोड़ दिया जाता है।
कईं वन्यजीवों को मिल रही है मदद
वेदप्रिया (Vedhapriya Ganesan) और उनकी टीम वन्यजीवों की सुरक्षा के लिए भी गतिविधियों में लगी हुई है, जिसमें काली चील, सांप, बंदर, हिरण, हाथी आदि को बचाने के लिए बचाव अभियान शामिल हैं। वे अधिकारियों के सहयोग से सभी जीवों को समान रूप से उचित सुरक्षित तरीके से बचाते हैं और छोड़ते हैं। सांप का जहर जहरीला होता है और जहरीले नुकीले दांत या डोरी के जरिए लक्ष्य तक पहुंचाया जाता है।
वेदप्रिया (Vedhapriya Ganesan) कहती हैं, ”सांपों के लिए जहर आत्मरक्षा का एक महत्वपूर्ण साधन है ना कि ऐसा हथियार जो इंसानों के लिए खतरा पैदा करता है। सांपों के बारे में मिथकों को दूर करने के लिए इस तथ्य को समझना जरूरी है।”
यह भी पढ़ें : ‘मेहनत का फल खा रहे…..’ दक्षिण अफ्रीका को रौंदने के बाद सूर्या ने इस अकेले खिलाड़ी को दिया जीत का श्रेय