What Is 'Brahmos Missile
What is 'BrahMos Missile

BrahMos Missile : भारतीय सेना ने आतंकवाद के खिलाफ ऑपरेशन सिंदूर चलाया था। जिसमें उसने 9 आतंकी ठिकानों पर हमला किया था। इस मिशन में दुनिया ने भारत के सैन्य हथियारों की ताकत देखी है। अब इस ताकत में और इजाफा होने जा रहा है। दरअसल, अब यूपी में सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल ब्रह्मोस (BrahMos Missile) नेक्स्ट जेनरेशन बनाई जाएगी।

यूपी के लखनऊ में बनेगी ब्रह्मोस मिसाइल

Brahmos Missile

सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल ब्रह्मोस (BrahMos Missile) नेक्स्ट जेनरेशन (एनजी) बनाने के लिए उत्तर प्रदेश के लखनऊ में एक उत्पादन इकाई स्थापित की गई है। इस इकाई को बनाने में तीन साल का समय लगा और करीब 300 करोड़ रुपये की लागत आई। आपको बता दें कि इस मिसाइल को जमीन, हवा और समुद्र से लॉन्च किया जा सकता है और यह ‘दागो और भूल जाओ’ सिद्धांत पर काम करती है। जिससे यह दुश्मन के रडार से बच सकती है और लक्ष्य पर सटीक निशाना लगा सकती है।

भारत-रूस के संयुक्त प्रयास से बनती है ब्रह्मोस मिसाइल

Brahmos Missile

यह ब्रह्मोस मिसाइल (BrahMos Missile) भारत और रूस का संयुक्त उद्यम है। यह दुनिया की सबसे तेज सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल है। इसकी रेंज 290-400 किलोमीटर और स्पीड मैक 2.8 (ध्वनि की गति से करीब तीन गुना) है। इस मिसाइल को जमीन, हवा और समुद्र से लॉन्च किया जा सकता है। यह ‘दागो और भूल जाओ’ के सिद्धांत पर काम करती है और दुश्मन के रडार को चकमा देकर सटीक निशाना लगा सकती है। भविष्य में इसकी स्पीड और रेंज बढ़ाने पर भी काम किया जा रहा है।

कई गुना बेहतरीन है ब्रह्मोस मिसाइल

Brahmos Missile

ब्रह्मोस (BrahMos Missile) की स्पीड और सटीकता इसे सर्जिकल स्ट्राइक के लिए बेहद कारगर बनाती है। यह हथियार दुश्मन के एयर डिफेंस सिस्टम को भेदते हुए सटीकता के साथ लक्ष्य को नष्ट कर सकता है। इसलिए यह भारत की रक्षा नीति का प्रमुख हिस्सा बन गया है। ब्रह्मोस के अगले वर्जन ब्रह्मोस-II पर काम चल रहा है, जो हाइपरसोनिक मिसाइल (BrahMos Missile) होगी।

क्या है ब्रह्मोस मिसाइल का उद्देश्य?

Brahmos Missile

ब्रह्मोस मिसाइल का उद्देश्य रक्षा आयात पर निर्भरता कम करना, स्वदेशी उत्पादन को बढ़ाना और रोजगार पैदा करना है। यह कॉरिडोर निजी कंपनियों, एमएसएमई और स्टार्टअप को बढ़ावा देगा। उत्तर प्रदेश डिफेंस इंडस्ट्रियल कॉरिडोर के सभी नोड पूर्वांचल एक्सप्रेसवे, गंगा एक्सप्रेसवे और अन्य प्रमुख राजमार्गों के कैचमेंट एरिया में हैं। इससे लॉजिस्टिक्स और ट्रांसपोर्टेशन आसान हो जाएगा।

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