Mughal: गर्मियों का मौसम आते ही सब लोग पंखा, एसी और कूलर खोजने लगते हैं। इसी बीच दो पल के लिए भी अगर बिजली गुल हो जाए तब तो हायतोबा ही मच जाती है। लेकिन क्या कभी आपने ये सोचा है कि मुग्लों (Mughal) के जमाने में जब पंखा और एसी जैसी सुविधाएं नहीं थी? उस समय वो लोग खुद को गर्मी से कैसे बचाते थे? आखिर वो बिना बिजली के कैसे अपने महलों को ठंडा रखते थे। अगर नहीं तो चलिए तो इस आर्टिकल के जरिये जानते हैं कि सालों पहने गर्मी से कैसे निजात पाई जाती थी।
Mughal वास्तुकला में छुपा है ये राज
दरअसल मुग्लों को बेहतरीन और नायाब वास्तुकला के लिए जाना जाता है, उन्होंने अपने समय में ऐसी कई इमारतें बनाई हैं जो आज के इस युग के लिए भी संभव नहीं है और भवन निर्माण की अपनी इस बेहतरीन कला की बदौलत वो खुद को गर्मियों के मौसम में गर्मी की मार से आसानी से बचा लेते थे।
आंगन और बरामदे बनाए जाते थे बड़े
मुग़ल(Mughal) अपने महलों में आंगन और बरामदे काफी बड़े बनाते थे जिससे की अत्यधिक लोगों की संख्या होने पर भी वहां पर गर्मी का एहसास ना हो। इसके साथ ही इन बरामदों और आंगनों का निर्माण इस तरीके से किया जाता था कि सीधी धूप अंदर ना आए और सूरज की तपिश से भी बचा जा सके।
मुग़ल(Mughal) अपने महलों की दीवारें बहुत मोटी और ठोस बनाते थे। ये मोटी दीवारें गर्मी को अंदर आने से रोकती थी और अंदर के तापमान को ठंडा बनाए रखती थीं।
जालीनुमा दीवार से होता था वेंटीलेशन
मुग्लों की वास्तुकला में सबसे बेहतरीन चीज थी जालीनुमा दीवार। एसी दीवारें पत्थर पर की गई कारीगरी का बहतरीन नमूना पेश करती थी। दिखने में ये जितनी सुंदर थी उतना ही ज्यादा ये गर्मियों के मौसम में उपयोगी साबित होती थी, क्योंकी गर्मियों के मौसम में ये वैंटीलेशन का काम करती थी। इन दीवारों को इस तरह डिजाइन किया जाता था कि ताजी हवा सीधा अंदर आए और गर्म हवा बाहर निकल जाए। इससे महल के अंदर हवा का फ्लो मैंटेन रहता था और महल या कमरे में ठंडक बनी रहती थी।
कूलिंग डेकोरेशन करते थे Mughal
मुगल(Mughal) काल में महलों के अंदर या फिर बाहर पानी के कई फव्वारे लगाए जाते थे। ये सिर्फ डेकोरेशन के लिए नहीं थे बल्कि इससे महल को ठंडा रखने में भी मदद मिलती थी। इसके अलावा महलों के चारों तरफ बड़े बड़े बगीचे बनाए जाते थे जिसमें ठंडी हवा देने वाले पेड़ लगाए जाते थे। गर्मियों के मौमस में आस पास लगे फव्वारे और पेड़ों से आ रही ठंडी हवा वातावरण तो ठंडा बना देती थी।
थर्मल कंडक्टिविटी का रखा जाता था विशेष ध्यान
महलों का निर्माण करते समय उस समय के आर्किटेक्टर थर्मल कंडक्टिविटी का वेशेष ध्यान रखते थे यानी की निर्माण करते समय वह ऐसी चीजों का उपयोग करते थे जो प्रकृतिक रूप से इंसूलेटर का काम कर सकती थी, जैसे संगमरमर, मिट्टी और अन्य ठंडे पत्थरों का उपयोग। ये सब चीजें गर्मी को जल्दी एबज़ोर्ब कर लेती हैं और फिर धीरे धीरे छोड़ती हैं।