Nupur Bora: असम सिविल सेवा (एसीएस) अधिकारी नूपुर बोरा (Nupur Bora) इन दिनों चर्चा में हैं, लेकिन वजह हैरान करने वाली है. 36 वर्षीय इस अधिकारी को एक बड़े ज़मीन घोटाले में शामिल होने के आरोप में गिरफ़्तार किया गया है. मुख्यमंत्री के विशेष सतर्कता प्रकोष्ठ ने गुवाहाटी और बारपेटा स्थित उनके परिसरों पर छापेमारी कर 92 लाख रुपये नकद और लगभग 2 करोड़ रुपये मूल्य के सोने के आभूषण जब्त किए. बारपेटा स्थित उनके किराए के घर से 10 लाख रुपये और बरामद किए गए.
कौन हैं Nupur Bora?
Nupur Bora , Assam Civil Service ऑफिसर 2 करोड़ के
साथ गिरफ्तार! @himantabiswa क्या आपने
रेड करबाया 😂 pic.twitter.com/4QNpiU5V2H— दिशव (@disuv) September 16, 2025
असम के गोलाघाट ज़िले में 1989 में जन्मी नूपुर बोरा (Nupur Bora) ने गुवाहाटी विश्वविद्यालय से अंग्रेजी साहित्य में डिग्री हासिल की और फिर कॉटन कॉलेज से पढ़ाई की. सिविल सेवा में आने से पहले, वह ज़िला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान (DIET) में लेक्चरर थीं. 2019 में एसीएस यानी असम सिविल सेवा में चयनित होने के बाद, उन्होंने कार्बी आंगलोंग में सहायक आयुक्त के रूप में अपना करियर शुरू किया. 2023 में, उनका तबादला बारपेटा में सर्कल ऑफिसर के रूप में हुआ और वर्तमान में वे कामरूप जिले के गोराईमारी में तैनात हैं.
क्या है भूमि घोटाले का मामला?

बताया जा रहा है कि नूपुर बोरा (Nupur Bora) पिछले छह महीने से निगरानी में थीं. उन पर बारपेटा में अपनी तैनाती के दौरान सरकारी और सत्र (मठ) की ज़मीन को अवैध रूप से संदिग्ध लोगों के नाम करने का आरोप है. आरोप है कि इस अधिकारी ने पैसों के बदले हिंदुओं की ज़मीन संदिग्ध लोगों के नाम कर दी। मामला तब और गंभीर हो गया जब स्थानीय संगठन कृषक मुक्ति संग्राम समिति (केएमएसएस) ने नूपुर के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई। जिसमें दावा किया गया था कि वह जमीन संबंधी सेवाओं के लिए 1,500 रुपये से लेकर 2 लाख रुपये तक की रिश्वत लेती थी.
विवादों में उलझी रही
नूपुर बोरा (Nupur Bora) का मामला एक बार फिर असम में भ्रष्टाचार और भूमि हस्तांतरण के संवेदनशील मुद्दों को उजागर करता है. नूपुर की गिरफ्तारी ने असम में प्रशासनिक पारदर्शिता और जवाबदेही पर सवाल खड़े कर दिए हैं. नूपुर बोरा जो कभी अपनी पढ़ाई और करियर के लिए जानी जाती थीं, अब एक ऐसे घोटाले में फंस गई हैं जो न केवल उनकी प्रतिष्ठा को धूमिल कर रहा है बल्कि असम के लोगों के बीच सिविल सेवाओं के प्रति विश्वास को भी चुनौती दे रहा है. यह देखना बाकी है कि जांच पूरी होने के बाद इस मामले में और क्या खुलासे होंगे।