Aaj Ka Panchang 21 January 2021: आज शुक्ल पक्ष अष्टमी पर देखें पंचांग, शुभ-अशुभ समय, राहुकाल

आज 21 जनवरी को हिंदू पंचांग (Aaj Ka Panchang 21 January 2021) के अनुसार गुरुवार है. गुरुवार का दिन सुख सम्बृद्धि और सौभाग्य का दिन होता है. यह दिन भगवान विष्णु और मां सरस्वती दोनों की पूजा का दिन होता है. ऐसा कहा जाता है कि भगवान विष्णु जल्दी प्रसन्न नहीं होते, मगर शास्त्रों में उनको प्रसन्न करने के बेहद आसान उपाय भी बताए गए हैं. जिनके माध्यम से आप प्रभु की कृपा के पात्र बन सकते हैं. पंचांग से जानें आज का शुभ और अशुभ मुहूर्त और जानें कैसी रहेगी आज ग्रहों की चाल.

दिनाँक-: 21/01/2021,गुरुवार
अष्टमी, शुक्ल पक्ष
पौष
“””””””””””””””””””””””””””””””””””””(समाप्ति काल)

तिथि ———अष्टमी 15:49:33 तक
पक्ष —————————शुक्ल
नक्षत्र ——–अश्विनी 15:35:13
योग ————-साध्य 20:22:20
करण ————-बव 15:49:34
करण ———-बालव 29:09:35
वार ————————-गुरूवार
माह —————————- पौष
चन्द्र राशि ———————मेष
सूर्य राशि ——————– मकर
रितु ————————-शिशिर
आयन ——————–उत्तरायण
संवत्सर ———————–शार्वरी
संवत्सर (उत्तर) ————-प्रमादी
विक्रम संवत —————-2077
विक्रम संवत (कर्तक)——2077
शाका संवत —————-1942

वृन्दावन
सूर्योदय —————-07:11:18
सूर्यास्त —————–17:50:04
दिन काल ————-10:38:46
रात्री काल ————-13:20:57
चंद्रोदय —————-12:13:14
चंद्रास्त —————–25:23:42

लग्न —- मकर 7°5′ , 277°5′

सूर्य नक्षत्र ————-उत्तराषाढा
चन्द्र नक्षत्र —————–अश्विनी
नक्षत्र पाया ——————–स्वर्ण

🚩💮🚩 पद, चरण 🚩💮🚩

चो —-अश्विनी 08:49:16

ला —-अश्विनी 15:35:13

ली —–भरणी 22:21:25

लू —-भरणी 29:07:36

💮🚩💮 ग्रह गोचर 💮🚩💮

ग्रह =राशी , अंश ,नक्षत्र, पद
========================
सूर्य=मकर 07°52 ‘ उ o षा o , 4 जी
चन्द्र = मेष 09°23 ‘ अश्विनी ‘ 3 चो
बुध = मकर 25°07′ धनिष्ठा’ 1 गा
शुक्र= धनु 21 ° 55, पू oषाo ‘ 3 फा
मंगल=मेष 12°30 ‘ अश्विनी ‘ 4 ला
गुरु=मकर 12°22 ‘ श्रवण , 1 खी
शनि=मकर 09°43 ‘ उ oषा o ‘ 4 जी
राहू=(व)वृषभ 23°42 ‘मृगशिरा , 1 वे
केतु=(व)वृश्चिक 23°42 ज्येष्ठा , 3 यी

🚩💮🚩शुभा$शुभ मुहूर्त🚩💮🚩

राहू काल 13:51 – 15:10 अशुभ
यम घंटा 07:11 – 08:31 अशुभ
गुली काल 09:51 – 11:11 अशुभ
अभिजित 12:09 -12:52 शुभ
दूर मुहूर्त 10:44 – 11:27 अशुभ
दूर मुहूर्त 14:59 – 15:42 अशुभ

🚩गंड मूल 07:11 – 15:35 अशुभ

💮चोघडिया, दिन
शुभ 07:11 – 08:31 शुभ
रोग 08:31 – 09:51 अशुभ
उद्वेग 09:51 – 11:11 अशुभ
चर 11:11 – 12:31 शुभ
लाभ 12:31 – 13:51 शुभ
अमृत 13:51 – 15:10 शुभ
काल 15:10 – 16:30 अशुभ
शुभ 16:30 – 17:50 शुभ

🚩चोघडिया, रात
अमृत 17:50 – 19:30 शुभ
चर 19:30 – 21:10 शुभ
रोग 21:10 – 22:50 अशुभ
काल 22:50 – 24:31* अशुभ
लाभ 24:31* – 26:11* शुभ
उद्वेग 26:11* – 27:51* अशुभ
शुभ 27:51* – 29:31* शुभ
अमृत 29:31* – 31:11* शुभ

💮होरा, दिन
बृहस्पति 07:11 – 08:05
मंगल 08:05 – 08:58
सूर्य 08:58 – 09:51
शुक्र 09:51 – 10:44
बुध 10:44 – 11:37
चन्द्र 11:37 – 12:31
शनि 12:31 – 13:24
बृहस्पति 13:24 – 14:17
मंगल 14:17 – 15:10
सूर्य 15:10 – 16:04
शुक्र 16:04 – 16:57
बुध 16:57 – 17:50

🚩होरा, रात
चन्द्र 17:50 – 18:57
शनि 18:57 – 20:04
बृहस्पति 20:04 – 21:10
मंगल 21:10 – 22:17
सूर्य 22:17 – 23:24
शुक्र 23:24 – 24:31
बुध 24:31* – 25:37
चन्द्र 25:37* – 26:44
शनि 26:44* – 27:51
बृहस्पति 27:51* – 28:58
मंगल 28:58* – 30:04
सूर्य 30:04* – 31:11

नोट– दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है।
प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है।
चर में चक्र चलाइये , उद्वेगे थलगार ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार करे,लाभ में करो व्यापार ॥
रोग में रोगी स्नान करे ,काल करो भण्डार ।
अमृत में काम सभी करो , सहाय करो कर्तार ॥
अर्थात- चर में वाहन,मशीन आदि कार्य करें ।
उद्वेग में भूमि सम्बंधित एवं स्थायी कार्य करें ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार ,सगाई व चूड़ा पहनना आदि कार्य करें ।
लाभ में व्यापार करें ।
रोग में जब रोगी रोग मुक्त हो जाय तो स्नान करें ।
काल में धन संग्रह करने पर धन वृद्धि होती है ।
अमृत में सभी शुभ कार्य करें ।

💮दिशा शूल ज्ञान———————पश्चिम
परिहार-: आवश्यकतानुसार यदि यात्रा करनी हो तो घी अथवा केशर खाके यात्रा कर सकते है l
इस मंत्र का उच्चारण करें-:
शीघ्र गौतम गच्छत्वं ग्रामेषु नगरेषु च l
भोजनं वसनं यानं मार्गं मे परिकल्पय: ll

🚩 अग्नि वास ज्ञान -:
यात्रा विवाह व्रत गोचरेषु,
चोलोपनिताद्यखिलव्रतेषु ।
दुर्गाविधानेषु सुत प्रसूतौ,
नैवाग्नि चक्रं परिचिन्तनियं ।। महारुद्र व्रतेSमायां ग्रसतेन्द्वर्कास्त राहुणाम्
नित्यनैमित्यके कार्ये अग्निचक्रं न दर्शायेत् ।।

8 + 5 + 1 = 14 ÷ 4 = 2 शेष
आकाश लोक पर अग्नि वास हवन के लिए अशुभ कारक है l

💮 शिव वास एवं फल -:

8 + 8 + 5 = 21 ÷ 7 = 0 शेष

शमशान वास = मृत्यु कारक

🚩भद्रा वास एवं फल -:

स्वर्गे भद्रा धनं धान्यं ,पाताले च धनागम:।
मृत्युलोके यदा भद्रा सर्वकार्य विनाशिनी।।

💮🚩 विशेष जानकारी 🚩💮

*सर्वार्थसिद्धि योग 15:35 तक

* दुर्गाष्टमी

💮🚩💮 शुभ विचार 💮🚩💮

पादाभ्यां न स्पृशेदग्नि गुरुं ब्राह्मणमेव च ।
नैव गां च कुमारीन न वृध्दं न शिशुं तथा ।।
।।चा o नी o।।

इन दोनों के मध्य से कभी ना जाए..
१. दो ब्राह्मण.
२. ब्राह्मण और उसके यज्ञ में जलने वाली अग्नि.
३. पति पत्नी.
४. स्वामी और उसका चाकर.
५. हल और बैल.

🚩💮🚩 सुभाषितानि 🚩💮🚩

गीता -: कर्मसंन्यासयोग अo-04

अपरं भवतो जन्म परं जन्म विवस्वतः ।,
कथमेतद्विजानीयां त्वमादौ प्रोक्तवानिति ॥,

अर्जुन बोले- आपका जन्म तो अर्वाचीन-अभी हाल का है और सूर्य का जन्म बहुत पुराना है अर्थात कल्प के आदि में हो चुका था।, तब मैं इस बात को कैसे समूझँ कि आप ही ने कल्प के आदि में सूर्य से यह योग कहा था?॥,4॥,

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