देसी घी का दलिया खाने और महंगे शैपू से नहाने वाला बकरा, जिसकी लग्जरी लाइफ जान उड़ जाएंगे होश

Chand Wala Bakra: आपने सितारों की लग्जरी लाइफ के बारे में काफी सुना होगा कि वह महंगे शौक रखते हैं। लेकिन क्या आप एक ऐसे बकरे के बारे में जानते हैं जो लग्जरी लाइफ जीता है। यहीं नहीं उसे घर बैठे हरी घास, देसी घी में बना दलिया और चने का नाश्ता दिया जाता है और तो और उसे महंगे शैपू से नहलाया भी जाता है।

इस बकरे (Chand Wala Bakra) की परवरिश के पीछे की कहानी आपको हैरान कर देगी। चलिए आपको बताते हैं इस बकरे की आलीशान जिंदगी के बारे में।

फेमस है चांद-तारे वाला बकरा

यह बकरा (Chand Wala Bakra) राजस्थान में राजसमंद जिले के भीम उपखंड के बरार पंचायत में खेदरा गांव में है, जहां पर देसी नस्ल के दो वर्षीय बकरे की परवरिश में पूरा परिवार जुटा हुआ है। बता दें कि मुस्लिम समुदाय के त्योहार बकरीद पर चांद व तारे के निशान वाले बकरे की डिमांड रहती है। जब पिछले साल जून में बकरीद का त्योहार आया था तो इस लग्जरी लाइफ स्टाइल वाले बकरे की खूब चर्चा हुई थी।

बता दें कि इस बकरे के पेट पर एक तरफ चांद का निशान था और दूसरी तरफ तारे का निशान था। राजसमंद जिले के खेदरा निवासी पशुपालक टीलसिंह पुत्र नारायणसिंह के घर पर इस बकरे की देखरेख बड़े अदब से की गई थी।

देसी घी का दलिया खाता और महंगे शैपू से नहाता बकरा

इस बकरे (Chand Wala Bakra) की विशेष खातिरदारी नारायणसिंह की पत्नी हंजा देवी व पुत्र गजेंद्र सिंह करते हैं। बकरे के लिए हर रोज सुबह नाश्ते के लिए शाम को चने भिगोए जाते और खिलाए जाते। साथ ही इसे शैपू से नहलाने के बाद देसी घी में पका मक्के का दलिया खिलाते और हरा चारा भी नियमित खिलाया जाता। जिस वजह से ये बकरा लोगों में चर्चा का विषय रहा। हालांकि इस बकरे की कीमत तो स्पष्ट नहीं है, लेकिन चांद-तारे वाले बकरे की कीमत आम बकरों के मुकाबले कई गुना ज्यादा रहती है।

बकरीद पर रहती है चांद-तारे वाले बकरे की मांग

मुस्लिम समुदाय के पर्व बकरीद पर चांद वाले बकरे (Chand Wala Bakra) की खास डिमांड रहती है। बरार पंचायत के खादर गांव में टील सिंह द्वारा इस बकरे का काफी अच्छे तरीके से पालन पोषण किया जा रहा है। जिन्होंने बताया कि फिलहाल इसे बेचने का कोई प्लान नहीं है, मगर उचित समय आने पर नहीं बेचने से भी इनकार नहीं किया। बता दें कि बकरीद से पहले मुस्लिम समुदाय के लोग बकरा खरीदने के लिए ग्रामीण क्षेत्रों में जाते हैं। अगर किसी के पास चांद-तारे के निशान वाला बकरा होता है तो उसकी मुंह मांगी कीमत मिलती है।

ये भी पढ़ें: कांग्रेस पर भड़की प्रीति जिंटा! सोशल मीडिया पर पोस्ट लिख कर बोलीं – ‘आपको शर्म आनी चाहिए…’