Kha Se Shuru Hui Chhath Puja
kha se shuru hui Chhath Puja

 Chhath Puja: छठ पूजा भारत का सबसे बड़ा त्योहार है. इस दिन का सभी को बेसब्री से इंतजार रहता है. वहीं, बिहारियों के लिए ये सिर्फ पर्व नहीं है बल्कि उनकी संस्कृति है. जो उन्हें उनकी मिट्टी से जुड़े रखता है. बेशक से कोई अरबपति ही क्यों ना हो, वह शख्स भी छठ मैया में गहरी आस्था रखता है. लेकिन अब छठ बिहारियों तक ही सीमित नहीं रही है बल्कि दुनियाभर में प्रचलित हो गई है. छठी मईया (Chhath Puja) और सूर्य देव की आराधना का ये पर्व अब हर जगह धूम-धाम से मनाया जाता है. 3 दिनों तक चलने वाली छठ के लिए सभी कई महीनों पहले तैयारी शुरू कर देते हैं. ऐसे में अब आप के मन में ये भावना जरूर आई होगी कि छठ की शुरूआत कहां से हुई क्यों हुई? आइए जानते हैं क्या कहता है इतिहास……

 Chhath Puja की कैसे हुई शुरूआत?

छठ पूजा (Chhath Puja) की शुरुआत को लेकर कई मान्यताएं हैं, इनमें से एक है जब भगवान राम रावण का वध कर आयोध्या लौटे थे, तो पाप से मुक्ति पाने के लिए मुद्गल ऋषि के कहने पर माता सीता और श्रीराम ने छह दिनों तक सूर्यदेव की उपासना की थी। उन्होंने अपने व्रत को मुंगेर में गंगा तट पर संपन्न किया गया था. आज भी वहां माता सीता के चरणचिह्न मौजूद माने जाते हैं. इस तरह मुंगेर में सीता माता द्वारा छठ पूजा किए जाने के बाद से ही इस पर्व की शुरूआत हुई और धीरे-धीरे यह पूरे बिहार में लोकप्रिय हो गई.

दूसरी मान्यता है कि महाभारत काल में द्रौपदी ने भी इस व्रत को किया था. जब पांडवों से सारा राजपाट छिन गया था, तब माता द्रौपदी ने छठी मईया को प्रसन्न करने के लिए निर्जला व्रत रखा था. उनकी मनोकामना पूरी हुई और पांडवों को लंबी लड़ाई के बाद सारा राजपाट वापिस मिल गया. वहीं, कुछ लोग छठ पर्व को नालंदा के बड़गांव से भी जोड़ कर देखते हैं।

तीसरी कथा

छठ पर्व को लेकर बिहारियों में सबसे ज्यादा मानी जाने वाली मान्यता है कि, पौराणिक काल में एक राजा हुआ करते थे, जिनकी कोई संतान नहीं थी. लाख जतनों के बाद भी जब उन्हें संतान नहीं हुई. तब उन्होंने पुत्र प्राप्ति के लिए ‘पुत्र कामेष्ठी’ यज्ञ करवाया. इसके बाद उन्हें संतान भी प्राप्त हुई लेकिन बालक मृत पैदा हुआ. जब सभी बच्चे के शव को दफनाने के लिए ले जा रहे थे, तब उन्हें सृष्टि देवी ने दर्शन दिए और शव को स्पर्श कर आशार्वाद दिया. फिर बच्चा तुंरत उठ किलकारियां मारने लगा. लिहाजा, जो मां पुत्र की मानोकामना करती है, वो छठ पर्व (Chhath Puja) पर विधि-विधान के साथ छठी मां के लिए व्रत रखती हैं. माना जाता है कि, मां सभी भक्तों की मन्नत को पूरी करती हैं.

कब है छठ पूजा 2025?

दीपावली, गोबर्धन, और भाई दूज के बाद छठ पूजा 25 अक्टूबर से लेकर 28 अक्टूबर तक मनाई जाएगी. यह व्रत सूर्य देव और छठी मैया (सूर्य देव की बहन) को समर्पित होता है. पर्व (Chhath Puja) की शुरूआत 25 अक्टूबर से होगी. जबकि दूसरे दिन 26 अक्टूबर को खरना होगा. इस दिन व्रती महिलाएं घर में चूल्हा बनाकर उसी पर गुड़ और चावल की खीर के साथ ठेकुआ बनाती है और छठी मैया को अर्पित करती हैं. बाद में पूरा परिवार जमीन पर बैठाकर यही खाना खाता है. इसके बाद शुरू होता है छठी माता का 36 घंटे का निर्जला व्रत. फिर तीसरे दिन डूबते सूर्य को अर्घ्य और चौथे दिन उगते सूर्य को अर्घ्य देकर महिलाएं अपने व्रत का समापन करती हैं.

Preeti Baisla is a content writer and editor at hindnow, where she has been crafting compelling digital stories since 2022. With a sharp eye for trending topics and a flair for impactful storytelling,...