बाबा अमरनाथ यात्रा की जानिए रोचक बातें और पौराणिक कथा

ऋग्वेद का प्रसिद्ध छंद वाक्य है ,इसके मुताबिक ईश्वर के पास पूरी दुनिया के काम करने के लिए तीन देवता हैं, इन्हें त्रिदेव कहा जाता है. ब्रह्मा यानी सृष्टि निर्माता विश्व जीवन के संचालक हैं. और भगवान शिव बुराई को नष्ट करने वाले. भगवान शिव से जुड़े महत्वपूर्ण तीर्थ स्थलों में से एक है. भारत में अजूबों की कोई कमी नहीं है यहां आज भी कई ऐसे रहस्य हैं जिनका आज तक कोई खुलासा नहीं हुआ, जिनके होने का कारण आज तक कोई नहीं जान पाया. इन्हीं में से एक है अमरनाथ का शिवलिंग कश्मीर से करीब 135 मीटर की दूरी पर यह तीर्थ स्थल स्थित है. अमरनाथ में उपस्थित गुफा की लंबाई 19 मीटर चौड़ाई 16 मीटर तथा ऊंचाई 11 मीटर है.

पवित्र अमरनाथ गुफा का जाने रहस्य

बाबा अमरनाथ यात्रा की जानिए रोचक बातें और पौराणिक कथा

 

पवित्र अमरनाथ गुफा जो ‘जम्मू कश्मीर’ में स्थित है. हर साल लाखों हिंदू श्रद्धालु गुफा में बर्फ से बने भगवान शिव के  शिवलिंग दर्शन करने के लिए गुफा तक जाते हैं. वहां छत से पानी की बूंदे नीचे गिरती है और सतह पर आ जाते ही जमने लगती है, जिससे यह शिवलिंग बनता है.

हिंदू धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक अमरनाथ गुफा में शिवलिंग का आकार चांद की कलाओं के साथ बनता और घटता रहता है, लेकिन इस मान्यता के पीछे कोई वैज्ञानिक आधार या प्रमाण नहीं है.

बालटाल से एक नया रास्ता अमरनाथ गुफा तक

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अमरनाथ गुफा तक पहुंचने के लिए एक और नया रास्ता बना है, जो बालटाल से होकर गुजरता है. यह जगह अमरनाथ गुफा से महज 14 किमी दूर है. जम्मू से बालटाल की दूरी 400 किलोमीटर है, जो टैक्सी या बस से तय की जा सकती है. वहां से, श्रद्धालु पोनी की मदद लेकर या पैदल ही अमरनाथ की यात्रा कर सकते हैं.

यह रास्ता पहलगाम के मुकाबले बेहद संकरा और मुश्किल है, फिर भी बालटाल को बेस कैम्प बनाकर एक दिन में यात्रा पूरी की जा सकती है. यदि आप एक दिन में यात्रा पूरी करना चाहते हैं तो पहलगाम से पंचतरणी तक हेलिकॉप्टर से पहुंच सकते हैं. कुल मिलाकर, अमरनाथ यात्रा अपने आप में एक अद्भुत अनुभव है. हर एक को अपनी जिंदगी में कम से कम एक बार जरूर अमरनाथ गुफा तक जाना चाहिए.

अमरनाथ में भगवान शिव के हिमानी शिवलिंग

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अमरनाथ भगवान शिव के प्रमुख स्थानो मे से एक है. यहाँ की प्रमुख बात यह है कि यहाँ पर उपस्थित शिवलीग स्वयं निर्मित होता है. स्वयं निर्मित होने के कारण इसे स्वयंभू हिमानी शिवलिंग भी कहते हैं. इस शिवलिंग के दर्शन आषाढ़ पुर्णिमा से लेकर रक्षा बंधन तक प्राप्त होते हैं. कहा जाता है कि चंद्रमा के घटने बढ्ने के साथ साथ इस शिवलिंग का आकार भी घटता बढ़ता है.

इस शिवलिंग की खास बात यह है कि यह शिवलिंग ठोस बर्फ का बना होता है, जबकि जिस गुफा मे यह शिवलिंग उपस्थित है, वहां अन्य बर्फ हिमकण के रूप मे होती है. जिस प्रकार भगवान शिव का शिवलिंग है ठीक उसी प्रकार उसी गुफा मे कुछ दूरी पर भगवान गणेश, पार्वती जी तथा भैरव बाबा के भी ठोस लिंग बनते हैं.

अमरनाथ मे कबूतर के जोड़ो की कहानी

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अमरनाथ गुफा मे शिव जी ने माता पार्वती को अमरत्व का रहस्य बताया था तथा इसी कथा को सुनकर शुक शिशु संघोजात शुकदेव ऋषि के रूप मे अमर हो गए थे. जब शिव जी यह कथा पार्वती माता को सुना रहे थे. ठीक उसी समय उस गुफा मे एक कबूतर का जोड़ा भी मौजूद था. इस कथा को सुनने के कारण वह कबूतर का जोड़ा भी अमर हो गया.

आज भी कुछ भाग्यवान श्रधालुओ को इस कबूतर के जोड़े के दर्शन होते हैं तथा मान्यता तो यह भी है कि जिस किसी को भी इस कबूतर के जोड़े के दर्शन होते हैं, उसे शिव पार्वती स्वयं अपने दर्शन प्रदान करके कृतार्थ करते हैं.

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