पांच महत्वपूर्ण सरोवरो में से एक नारायण सरोवर का संबंध भगवान विष्णु से है. अन्य सरोव के नाम है. मानसरोवर, बिंदु सरोवर, पंपा सरोवर और पुष्कर सरोवर.यह सरोवर गुजरात के कच्छ जिले के लखपत तहसील में स्थित है. नारायण सरोवर पहुंचने के लिए सबसे पहले भुज पहुंचे फिर दिल्ली मुंबई और अहमदाबाद से भुज तक रेलमार्ग से आ सकते हैं. यहाँ हिंदुओं का एक तीर्थ स्थान है.
नारायण सरोवर के प्राचीन मंदिर
पवित्र नारायण सरोवर के तट पर भगवान आदिनारायण का प्राचीन और भव्य मंदिर है. प्राचीन कोटेश्वर मंदिर यहां से 4 किलोमीटर की दूरी पर है. सिंधु के संगम पर है. सरोवर नारायण का अर्थ है ‘विष्णु का सरोवर’. यहां सिंधु नदी का सागर से संगम होता है. इसी संगम के तट पर पवित्र नारायण सरोवर है. इस पवित्र नारायण सरोवर की चर्चा श्रीमद्भागवत में मिलती है.
यात्रा इस पवित्र सरोवर का
प्रसिद्ध लोगों की यात्रा इस पवित्र सरोवर में प्राचीन कालीन अनेक ऋषियों के आने के प्रसंग मिलते हैं, आद्य शंकराचार्य भी यहां आए हुए थे. चीनी यात्री व्हेनसॉन्ग ने भी सरोवर की चर्चा अपनी पुस्तक ‘सीयूकी’ में की है.
भव्य मेला नारायण सरोवर के
यहाँ कार्तिक पूर्णिमा से 3 दिन का भव्य मेला आयोजित होता है, इसमें उत्तर प्रदेश के सभी संप्रदायों के साधु सन्यासी और अन्य भक्त शामिल होते हैं, नारायण सरोवर में श्रद्धालु अपने पितरों का श्राद्ध भी करते हैं. यहां पर श्रद्धालु आकर अपने मन को शांत करते हैं.
नारायण सरोवर की दूरी मार्ग व रहस्य
लखपत से नारायण सरोवर की दूरी लगभग 350 किलोमीटर है किले से निकलने पर एक सड़क भुज बाएं हाथ और एक दाएं नारायण सरोवर तक जाती है कोटेश्वर नारायण सरोवर से 2 किलोमीटर आगे है. अन्य कई स्थानों की तरह यह प्रचलित है.कोटेश्वर महामंदिर समुंद्र के किनारे काफी ऊंचाई पर बना है. यहां से दिखने वाले समुंद्र को अक्सर अरब सागर माना जाता है, लेकिन ऐसा नहीं है यहां वही खाली है जहां कभी सिंधु नदी अरब सागर में गिरती थी, अब सिंधु यहां से नहीं बहती है, इसीलिए यह जगह एक खाली बन गई है, इससे थोड़ा ही आगे अरब सागर है. मंदिर और पश्चिम से थोड़ा आगे एक सेना की चौकी है जहां काफी सन आवाज आई थी एक बाधा है कि यहां से आगे जाने और तस्वीरें लेने के लिए भी प्रतिबंध है.