Rule of om namah shivay jaap: सावन का महीना भोलेनाथ को अति प्रिय है, इस महीनें भगवान शंकर की पूजा अर्चना के साथ-साथ प्रतिदिन उनका अभिषेक भी किया जाता है। मान्यता है कि इस महीनें सच्चे मन से शिव की अराधना करने से वो प्रसन्न हो जाते हैं और आपकी हर मनोकामना को पूर्ण करते हैं। सावन के महीनें में भगवान शिव को उनकी पसंदीदा चीजें जैसे की भांग, धतुरा, शमी के पत्ते, बेल पत्र इत्यादी अर्पित किए जाते हैं। इसके साथ ही इस महीनें पंचाक्षरी शिव मंत्र का जाप करने से भी शुभफलों की प्राप्ती होती है।
लेकिन क्या आप जानते हैं कि कई लोग पंचाक्षरी शिव मंत्र के नियमों के बारे में नहीं जानते हैं जबकि महाशिवपुराण में इस मंत्र को जाप करने के नियमों के बारे में विस्तार से बताया गया है। साथ ही इसमें ये भी बताया गया है कि इस मंत्र का जाप करने लिए स्त्री और पुरुषों के लिए अलग अलग नियम हैं। आईए हम आज आपको इन नियमों और इस मंत्र के महत्व के बारे में बताते हैं।
पंचाक्षरी शिव मंत्र का महत्व
वेदों और पुराणों की मानें तो शिव ही सृष्टि के सृजनकर्ता हैं और उन्हें प्रसन्न करने के लिए सिर्फ एक ही मंत्र काफी है और वो मंत्र है “ॐ नमः शिवाय”। कई धार्मिक ग्रंथों में जिक्र किया गया है कि इस मंत्र से शिव जल्दी ही प्रसन्न हो जाते हैं और भक्तों के सभी कष्टों को समाप्त कर देते हैं। इस मंत्र में प्रकृति के पांचों तत्वों को नियंत्रित करने की शक्ति छिपी हुई है। “ऊं नम: शिवाय:” में ‘न’ पृथ्वी, ‘म:’ जल, ‘शि’ अग्नि, ‘वा’ वायु और ‘य’ आकाश को इंगित करता है।
शिव पुराण में बताया गया है कि कि भगवान शंकर ने इस मंत्र में बारे में माता पार्वती को बताते हुए उनसे कहा था कि कलयुग में ये मंत्र सभी पापों और दुखों को दूर करने वाला होगा। वहीं स्कन्दपुराण के अनुसार “ऊं नम: शिवाय:” मंत्र (Rule of om namah shivay jaap) से मोक्ष की प्राप्ती होती है। इस मंत्र में तीन गुण अतीत, सर्वज्ञ और सर्वकर्ता समाहित होते हैं जो की भगवान शंकर में प्रतिष्ठित हैं। इस महामंत्र का जाप करने से ना केवल पापों का नाश होता है बल्कि इससे पारलौकिक का सुख भी प्राप्त होता है।
पुरुषों के लिए नियम
इस मंत्र (Rule of om namah shivay jaap) का जाप करने से हर प्राणी को शुभफलों की प्राप्ती होती है। इस मंत्र का जाप शिवालय, तीर्थ या फिर घर में किसी साफ, एकांत व शांत जगह पर बैठकर करना चाहिए। इस मंत्र का जाप रुद्राक्ष की माला के साथ करना चाहिए। रुद्राक्ष की माला का सुझाव इसलिए दिया जाता है क्योंकि रुद्राक्ष शिव को प्रिय होता है। इसके अलावा इस मंत्र का जाप हमेशा पूर्व या फिर उत्तर दिशा की ओर मुख करके करना चाहिए। शिव पुराण को अनुसार पुरूष इस मंत्र को तापे सीधे षडाक्षर यानी की “ऊं नम: शिवाय:” कह सकते हैं और अपार कृपा की प्राप्ति के लिए उन्हें इस मंत्र का जाप 11, 21 या फिर 108 बार करना चाहिए।
स्त्रियों के लिए नियम
शिव पुराण के अनुसार स्त्रियों के लिए इस मंत्र के संबंध में जो नियम (Rule of om namah shivay jaap) बताए गए हैं, उसके अनुसार स्त्रियों को इस मंत्र का जाप पंचाक्षर से करना चाहिए। अर्थात उन्हे मंत्र की शुरूआत ‘नम: शिवाय:’ से करनी चाहिए। इसके साथ ही पुरुष या स्त्रियों को इस मंत्र का जाप किसी पवित्र नदी के किनारे शिवलिंग की स्थापना और पूजन के बाद करना चाहिए। ऐसा करने से उन्हें सर्वोत्तम फल की प्राप्ती होगी। साथ ही बताया जाता है कि इस मंत्र के जाप से किसी भी मनुष्य की समस्त इंद्रिया जागृत हो उठती हैं।