Tirupati Balaji : आंध्र प्रदेश के तिरुमला तिरुपति देवस्थानम (Tirupati Balaji) के प्रति भक्तों में अपार श्रद्धा है. हर साल लाखों-करोड़ों भक्त भगवान बालाजी के दर्शन के लिए आंध्र प्रदेश की इस जगह पर जाते हैं. उनके द्वारा दिए गए दान की वजह से ही इस देवस्थानम की गिनती विश्व के सबसे अमीर मंदिरों में होती है. तिरुपति बालाजी मंदिर को लेकर कई रहस्य भी है जिन्हें जानकार हर कोई मन्त्रमुग्ध हो जाता है. बालाजी को लेकर कुछ जानकारियां हैं जिनमें भगवान भक्त भी शामिल हैं, अच्छी तरह से जानते हैं इस मंदिर के बारे में.
दुनिया का सबसे प्रसिद्ध मंदिर Tirupati Balaji
इस मंदिर (Tirupati Balaji) की कहानी को लेकर कहा जाता है कि एक बार भगवान विष्णु की पत्नी लक्ष्मीजी के साथ क्षीर सागर में अपनी शेषशैया पर विश्राम कर रहे थे. तभी वहां भृगु ऋषि आए और उनकी छाती पर एक लात मारी. लेकिन भगवान विष्णु क्रोधित नहीं हुए बल्कि उन्होंने भृगु ऋषि को पकड़ लिया और पूछा, ऋषिवर! आपको चोट तो नहीं लगी. लेकिन लक्ष्मी जी को भृगु ऋषि का ऐसा व्यवहार पसंद नहीं आया और वो क्रोधित होकर बैकुंठ चले गए और पृथ्वी पर माता लक्ष्मी ने पद्मावती नाम की कन्या के रूप में जन्म लिया. तब माता लक्ष्मी से मुलाकात भगवान विष्णु के रूप में हुई.
तिरुपति बालाजी मंदिर से जुड़ी है कई कथाएं
वेकेंटेश्वर स्वामी के रूप में मां लक्ष्मी यानी पद्मावती से मुलाकात हुई और उनके समरूप विवाह का प्रस्ताव रखा गया. वेकेंटेश्वर के विवाह प्रस्ताव को देवी पद्मावती ने स्वीकार कर लिया और इस तरह एक बार फिर से भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की शादी हो गई. इसलिए ऐसा नियम है कि बालाजी के दर्शन के बाद देवी पद्मावती के दर्शन होते हैं. सिद्धांत यह है कि जब तक आप इस मंदिर (Tirupati Balaji) के दर्शन नहीं करेंगे, आपकी तीर्थयात्रा पूरी नहीं होगी. दुनिया में शायद ही कोई ऐसा मंदिर होगा जहां बाल दान किए जाएंगे.
इस मंदिर में विराजमान है भगवान विष्णु और लक्ष्मी
ऐसी मान्यता है कि जो धार्मिक आस्था वाले बालाजी (Tirupati Balaji) में अपने बाल दान करते हैं. उन्हें भगवान 10 गुना अधिक धन देते हैं. भगवान बालाजी मंदिर में बाल दान से कई मान्यातएं जुड़ी हुई हैं. ऐसा माना जाता है कि लोग मन्नते मांगते हैं और इसके पूरा होने के बाद बालाजी मंदिर में बाल दान करते हैं. ऐसा भी माना जाता है कि लोग यहां बाल दान करके अपनी बुरी बातें और पापों को छोड़ जाते हैं. बाल दान करने से भक्तों के ऊपर तिरुपति (Tirupati Balaji) की कृपा बनी रहती है और उनकी मनोकामनाएँ पूरी होती हैं. यहां हर दिन करीब 20 हजार से भी ज्यादा लोग बाल दान करते हैं.
हर दिन 20 हजार से ज्यादा भक्त करते है बाल दान
कहा जाता है कि एक बार भगवान वेंकटेश्वर नीलाद्रि पर्वत पर सो रहे थे. वहां पर देवी नीलाद्रि पर्वत और भगवान वेंकटेश्वर को निहारने लगी. नीलाद्रि देवी ने भगवान के सिर पर एक धब्बा देखा था जो उनकी प्रकृति (Tirupati Balaji) से प्रभावित था. तभी उन्होंने अपने बालों को खींचकर भगवान के सिर पर रख दिया ताकि उनकी सुंदरता पूरी हो सके. भगवान वेंकटेश्वर ने देखा कि नीलाद्री के सिर से खून निकल रहा है, तभी उन्होंने देवी को बाल वापस दे दिए, लेकिन वे बाल वापस नहीं आए.
भक्त भी मनोकामना पूर्ति के लिए देते है बाल
देवी नीलाद्री ने कहा था कि भविष्य में जो भी भक्त बाल दान करेगा उसे पापों से मुक्ति मिलेगी. बाल दान से जुड़ी एक और कहानी है कि भगवान के विग्रह पर चींटियों का पहाड़ बन गया था. एक गाय यहां पर दूध देने के लिए दी गई थी. यह देखकर गाय के मालिक ने गाय के सिर पर कुल्हाड़ी से वार किया. इस युद्ध से बालाजी घायल हो गए और उनके कुछ बाल भी गिर गए.
तभी देवी ने अपने बालों को बालाजी के सिर के ऊपर रखा. देवी के केश से बालाजी का घाव ठीक हो गया. नारायण भगवान ने कहा कि बाल शरीर का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है ऐसे में वह बाल के दान को देखकर खुश हो गए. इससे यह सिद्ध होता है कि तिरुपति बालाजी (Tirupati Balaji) में बाल दान करने से भक्तों की सभी इच्छाएँ पूरी होती हैं.
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