Varalakshmi Vrat 2024: सनातन धर्म के अनुसार सावन मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी के दिन माता लक्ष्मी की पूजा अर्चना करने का विशेष महत्व है। मान्यताओं के अनुसार इस शुभ दिन में माता लक्ष्मी की पूजा करने से और कथा का पाठ करने से जातक को शुभफलों की प्राप्ती होती है। आज सावन का आखिरी शुक्रवार है और माना जाता है कि इस दिन वरलक्ष्मी व्रत करने से जीवन में सुख समृद्धि आती है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि अगर वरलक्ष्मी व्रत के दिन व्रत कथा का पाठ नहीं किया गया तो साधक को कुछ भी प्राप्त नहीं होता। ऐसे में आईए जानते हैं वरलक्ष्मी व्रत का शुभमुहूर्त और पूजा विधि।
Varalakshmi Vrat 2024 की तारीख और शुभ मुहूर्त
पंचांग के अनुसार, इस साल सावन का आखिरी शुक्रवार 16 अगस्त को है। इस दिन मां लक्ष्मी (Varalakshmi Vrat 2024) की पूजा के लिए शुभ मुहूर्त सिंह लग्न में सुबह 5:57 से 8:14 बजे तक है। इसके बाद वृश्चिक लग्न में दोपहर 12:50 से 3:08 बजे तक पूजा का समय है। शाम के लिए कुंभ लग्न का शुभ मुहूर्त 6:55 से 8:22 बजे तक है। रात में वृषभ लग्न में पूजा का मुहूर्त 11:22 से रात 1:18 बजे तक रहेगा।
Varalakshmi Vrat 2024 की पूजा विधि
सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और साफ कपड़े पहनें। फिर लकड़ी की चौकी पर लाल रंग का साफ कपड़ा बिछाएं। अब उस पर मां लक्ष्मी और गणेश जी की मूर्ति स्थापित करें और पास में एक कलश में जल भरकर रखें। फिर गणेश जी को फूल, दूर्वा, नारियल, चंदन, हल्दी, कुमकुम, और माला चढ़ाएं। देवी लक्ष्मी को 16 श्रृंगार अर्पित करें। इसके बाद घी का दीपक जलाएं, मंत्र पढ़ें, और व्रत कथा का पाठ करें। अंत में आरती करते हुए माता से सुख-समृद्धि की कामना करें।
वरलक्ष्मी व्रत की कथा करने से हर इच्छा होती है पूरी
पौराणिक कथा के अनुसार, प्राचीन समय में मगध राज्य में चारुमति नाम की एक महिला रहती थी। वो अपने सास-ससुर और पति की देखभाल के साथ-साथ मां लक्ष्मी की भी भक्ति करती थी। एक रात, मां लक्ष्मी ने उसके सपने में आकर सावन महीने की पूर्णिमा से पहले आने वाले शुक्रवार को वरलक्ष्मी व्रत रखने की सलाह दी। माता की सलाह के बाद चारुमति ने मां लक्ष्मी की विधि-विधान से पूजा की और व्रत भी किया। पूजा के बाद जब वह कलश की परिक्रमा कर रही थी, तो उसके शरीर पर सोने के आभूषण सजने लगे और उसे धन की प्राप्ति भी हुई। माता का ये चमत्कार देखकर चारुमति काफी हैरान हो गई साथ ही उसे खुशी भी हुई और उसने इस व्रत की विधि अन्य महिलाओं को भी बताई। नगर की महिलाओं ने भी यह व्रत रखा, जिससे व्रत रखने वाली सभी महिलाओं को आर्थिक समस्याओं से मुक्ति मिल गई।
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