रामायण के एक पात्र कुंभकरण के बारे में तो आप परिचित ही होंगे कुंभकरण रावण का भाई था. उसकी माता का नाम केकेसी राक्षस वंश की थी, और पिता विश्रवा थे. वह ब्राह्मण कुल से थे माता-पिता के गुण एक दूसरे से भिन्न होने का प्रभाव कुंभकरण पर भी पड़ा था. कुंभकरण अपने पिता के समान काफी ज्ञानी थे, और उसे सब वेदों का पूरा ज्ञान था. कुंभकरण पर भी अपने माता के गलत का प्रभाव पड़ा था. उसके अंदर भी कुछ लोभ, लालच मौजूदा था. जबकि रावण पर माता के गुणों का प्रभाव पूरा था.
इंद्र कुंभकरण से बदला लेने की फिराक में क्यों
कुंभकरण का शरीर इतना बड़ा था, कि वह इंसानों को तो हथेली पर बैठा सकता था. और पल भर में किसी को भी मार सकता था. कुंभकरण को खाना देने के लिए सेवक सीढ़ियों से चढ़कर उसके पालन तक पहुंचते थे. इंद्र और कुंभकरण के अंदर दुश्मनी थी. इंद्र कुंभकरण से बदला लेने की फिराक में थे. जब तीनों भाइयों ने ब्रह्मा की तपस्या की और यज्ञ किया तो भगवान प्रसन्न हुए और प्रकट होकर बोले कि तुम लोगों को क्या चाहिए.
कुंभकरण मांगना तो इंद्रासन चाहते थे, लेकिन
कुंभकरण मांगना तो इंद्रासन चाहते थे, लेकिन उनके मुंह से निकला निद्रासन और भगवान ने तथास्तु कह दिया. उसके बाद से ही कुंभकरण 6 महीने सोते थे और 6 महीने जागते थे. जब वे सोकर उठते थे, तो जो भी मिलता उससे अपनी भूख मिटाते कुंभकरण के मुंह में इंद्रासन की जगह पर निद्रासन निकला जिसकी वजह से उसे 6 महीने सोने का वरदान मिला और 6 महीने जगने का क्योंकि इंद्र ने सरस्वती देवी को यह सब पहले ही बोल दिया था इसीलिए कुंभकरण की जीवा पर सरस्वती जी उसी क्षण वास कर रही थी.
कुंभकरण की पत्नी का नाम और उसके पुत्र के बारे में
कुंभकरण कुंवारे नहीं थे. उसका विवाह विरोचन की बेटी ब्रिजवाला से हुआ. तथा इसके अलावा करकटी भी उसकी पत्नी थी. इन दोनों से उसे तीन बच्चे थे. इसमें सबसे ज्यादा चर्चित भीमासुर था. जिसका जन्म करकटी से हुआ करकटी राक्षसी और सह्याद्री की राजकुमारी थी. जिस पर मुग्ध होकर कुंभकरण से उससे शादी कर ली थी. जिससे भीमासुर का जन्म हुआ था, हालांकि भारत कोश का यह भी कहना है, कि कुंभकरण का तीसरा विवाह भी हुआ था. यह विवाह महोदय नामक राजा की कन्या तरित माला से हुआ था.
कुंभकरण की पहली पत्नी और बेटे कुंभ व निकुंभ
पहली पत्नी और बेटे कुंभ व निकुंभ कुंभकरण के दो बेटे थे उनके नाम कुंभ और निकुंभ थे दोनों राक्षस हैं उनके जिक्र भी कई बार पुराणों किताबों और रामायण से जुड़ी किताबों में होता है निकुंभ के बारे में कहा जाता है कि वह काफी शक्तिशाली था उसे कुबेर ने निगरानी का खास दायित्व सौंप रखा था
कुंभकरण का पुत्र भीम देवताओं से बदला लेने की क्यों ठानी
कुंभकरण को उसकी पत्नी करकटी से कुछ समय बाद एक पुत्र भीम पैदा हुआ. जब राम ने कुंभकरण का वध कर दिया था, तो भीम की माता करकटी में अपने पुत्र को अलग रखने का फैसला किया. उसके बाद भीम बड़ा हुआ तो उसने अपने पिता की मौत का कारण पूछा तो उसने देवताओं से बदला लेने की ठानी और उसने कठोर तपस्या की. जिससे भीम को वरदान मिल गया. अब वह काफी ज्यादा ताकतवर हो चुका था उसके राज्य के अंदर कामरूप परसों नामक राजा रहता था. वह भगवान शिव का भक्त था. 1 दिन भीम ने उसे भगवान शिव की पूजा करते हुए देख लिया, तो उसे ऐसा करने के लिए मना किया, किंतु वह नहीं माना तो उसको जेल में डाल दिया गया. लेकिन वह जेल के अंदर शिव की पूजा करने लगा. भीम को गुस्सा आ गया और जैसे ही उसने शिवलिंग को तलवार से काटने की कोशिश की वहां पर शिव खुद प्रकट हो गए.