भारत के दिग्गज खिलाड़ी युवराज सिंह ने भारत को दो विश्व कप में जीत दिलाई है. पहले युवराज सिंह ने भारत को टी20 विश्व कप में जीत दिलाई, इसी विश्व कप के दौरान उन्होंने 1 ओवर में 6 छक्के लगाने का विश्व रिकॉर्ड भी बनाया था. वहीं दूसरी बार कैंसर से पीड़ित होने के बावजूद भी इस दिग्गज ने भारतीय टीम के लिए फाइनल तक खेलना जारी रखा और भारत को विश्व कप दिलाने के बाद ही अपना इलाज कराया.
कप्तानी थी दोनों के बीच मनमुटाव की वजह
वैसे आज हम आपकों बताने वाले हैं कैसे महेंद्र सिंह धोनी और युवराज सिंह जो एक दूसरे के पक्के दोस्त माने जाते थे, उनके रिश्ते में अचानक से दरार कैसे आ गई. खबरों की माने तो दोनों के बीच मनमुटाव की वजह कप्तानी थी.
दरअसल युवराज सिंह का मानना था कि राहुल द्रविड़ की कप्तानी के बाद टीम इंडिया की कमान उन्हें मिलनी चाहिए थी, लेकिन भारतीय चयनकर्ताओं ने उनको नजरअंदाज करते हुए महेंद्र सिंह धोनी को भारतीय टीम की कप्तानी सौपने का फैसला किया.
खुलकर युवराज सिंह ने रखी अपनी बात
युवराज सिंह ने अपने बयान में कहा,
“उस साल भारत पहले ही 50 ओवर वर्ल्ड कप में बुरी तरह हारकर बाहर हुआ था, राइट? मेरा मतलब है तब भारतीय टीम में काफी खलबली मच गई थी और इसके बाद भारत का दो महीने लंबा इंग्लैंड का दौरा था. इसके बाद एक महीने का दौरा साउथ अफ्रीका और आयरलैंड का भी था. और तब टी-20 वर्ल्ड कप भी एक महीने लंबा शेड्यूल था. तो ऐसे में 4 महीने घर से बाहर का दौरा था.”
युवराज ने आगे अपनी बात को बढ़ाते हुए कहा,
“तब सीनियर खिलाड़ियों ने सोचा की उन्हें क्रिकेट से थोड़ा ब्रेक चाहिए और तब कोई भी टी-20 वर्ल्ड कप को गंभीरता से नहीं ले रहा था. ऐसे में मैं उम्मीद कर रहा था कि टी-20 वर्ल्ड कप में मुझे भारत की कप्तानी मिलेगी. लेकिन जब घोषणा हुई तो धोनी कप्तान थे.”
युवराज सिंह ने अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए कहा कि
“हां, यह स्वभाविक है कि जो भी टीम का कप्तान बने आपको उसे समर्थन देना होता है. चाहे वह राहुल द्रविड़, चाहे यह सौरव गांगुली हों, या भविष्य में कोई भी हो, आखिरकार आप एक टीम मैन रहना चाहते हो ऐसा ही मैं भी था.”