Yash Dubey को एक वक्त सेलेक्टर्स किया करते थे इंग्नोर
Yash Dubey को एक वक्त सेलेक्टर्स किया करते थे इंग्नोर

वो कहते है न कि जिंदगी में अगर आप संघर्ष करते रहेंगे, तो एक-न- एक दिन आपको अपने सपने साकार मिल ही जाएंगे। ऐसा ही हाल ही में रणजी ट्रॉफी (Ranji Trophy) के इतिहास में कुछ अलग और गजब नजारा देखने को मिला है। बता दें मध्यप्रदेश पहली बार रणजी ट्रॉफी का खिताब जीती है और इस चैंपियन टीम की जीत में हीरो रहे यश दुबे (Yash Dubey)।

बता दें मुंबई के खिलाफ फाइनल मुकाबले में दुबे ने ताबड़तोड़ बल्लेबाजी करते हुए मुंबई टीम की जमकर धुनाई की और सभी सेलेक्टर्स उनकी तारीफों के पुल बांध रहे है। लेकिन यश दुबे (Yash Dubey) की शुरुआती लाइफ भी काफी संघर्ष से भरपूर रही है, ऐसा भी एक पल था जब उन्हें सेलेक्टर्स लगातार नजरअंदाज किया करते थे, आइये बताते है यश दुबे की संघर्श भरी कहानी।

Yash Dubey को एक वक्त सेलेक्टर्स किया करते थे इंग्नोर

 

Yash Dubey को एक वक्त सेलेक्टर्स किया करते थे इंग्नोर
Yash Dubey को एक वक्त सेलेक्टर्स किया करते थे इंग्नोर

दरअसल हाल ही में रणजी ट्रॉफी का खिताब मध्यप्रदेश ने अपने नाम कर इतिहास ही बदल दिया है। उन्होंने 41 साल की चैंपियन टीम मुंबई को 6 विकेट से हराकर ये ट्रॉफी अपने नाम की। इस समय मध्यप्रदेश के सेलेक्टर्स के जुबान पर यश दुबे (Yash Dubey) का नाम जरूर होगा, जिन्होंने इस फाइनल मैच में धमाकेदार पारी खेलते हुए 133 रन की पारी खेली।

लेकिन उनकी जिंदगी में एक समय ऐसा था, जब सेलेक्टर्स Yash Dubey को सेलेक्ट करने से कतराते थे और इसका कारण सिर्फ इतना था कि वो चश्मा लगाते थे और उनकी इस संघर्ष भरी कहानी का खुलासा हाल ही में उनके बचपन के कोच शैलेश ने किया। उन्होंने कहा

“जब वे आठ या नौ साल के थे, तब उन्होंने भोपाल में मेरी क्रिकेट अकैडमी जॉइन की थी। कुछ साल के बाद, एक आंखों के डॉक्टर ने उनको चश्मा पहनने को कहा था, क्योंकि उनको पढ़ने में दिक्कतें हो रही थी।”

उन्होंने आगे कहा,

‘सेलेक्टर्स को समझाना मुश्किल था, क्योंकि आंखों की रोशनी बल्लेबाज की सबसे बड़ी ताकत मानी जाती है। यहां तक कि जब वो बेहतर मौकों की तलाश में भोपाल से पास के जिले होशंगाबाद चले गए, तब भी ये चीज़ उन्हें परेशान करती रही। लेकिन उन्होंने कभी हार नहीं मानी और लगातार मेहनत करते रहे। जैसे-जैसे वह एक क्रिकेटर के रूप में आगे बढ़े, उन्होंने कॉन्टैक्ट लेंस का उपयोग करना शुरू कर दिया।’ 

MP के कोच ने फाइनल मैच में Yash Dubey पर जताया विश्वास

कभी कमजोर नजर के कारण इस खिलाड़ी को नहीं मिलते थे मौके, लेकिन अब कॉन्टेक्ट लेंस पहनकर Mp को बना दिया चैंपियन

बता दें रणजी ट्रॉफी को नया चैंपियन नहीं मिल पाता। अगर मध्यप्रदेश के कोच चंद्रकात पंडित ओपनिंग करने के लिए यश दुबे (Yash Dubey) को मैदान पर नहीं उतारते। दरअसल एमपी के लिए पहले रमीज़ खान और अजय रोहेरा ओपन करते थे। इन्होंने टीम के छह मुकाबलों में से दोनों ने दो मैच में ओपनिंग की और ठीक-ठाक शुरुआत दिलाई। लेकिन कोच थोड़ा ज्यादा उम्मीद कर रहे थे। वो नंबर छह या सात पर आकर बल्लेबाजी करने वाले यश के आचरण, तकनीक और उनकी स्ट्रोक खेलने की क्षमता से प्रभावित हो चुके थे।