Changes from 1 July: अभी तक आप सुनते आ रहे होंगे की पुलिस ने आईपीसी की इस धारा में मामला दर्ज किया है, या फिर कोर्ट ने आईपीसी की इस धारा के तहत फैसला सुनाया है लेकिन अब 1 जुलाई के बाद से आपको आईपीसी केवल इतिहास के पन्नों में ही दिखाई देखा क्योंकि एक जुलाई से पूरे देश में आईपीसी के स्थान पर बीएनएस यानी की भारतीय न्याय संहिता लागू हो जाएगी। इस बड़े बदलाव के कारण अब एक जुलाई से आपको कई नई चीजें देखने को मिलेंगी।
1 जुलाई से नहीं सुनाई देगा आईपीसी

देश में 1860 से लागू आईपीसी यानी की इंडियन पीनल कोर्ड को बदलकर भारतीय न्याय संहिता को एक जुलाई से लागू कर दिया जाएगा। जिसमें 511 धाराओं की जगह अब केवल 358 धाराएं देखी जाएंगी। इस नई न्याय सहिंता में ऐसी कई धाराओं को हटा दिया गया है कि जिनका वर्तमान में कोई औचित्य नहीं है। इसे लागू करने से पहले सरकार साफ कर चुकी थी कि भारतीय न्याय सहिता में दंड नहीं बल्कि न्याय पर ध्यान दिया गया है।
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि 25 दिसंबर 2023 को भारतीय न्याय (द्वितीय) संहिता विधेयक को राष्ट्रपति की स्वीकृिति प्रदान हो चुकी थी और तभी से पुलिस और अधिवक्ताओं को भारतीय न्याय संहिता की ट्रेनिंग की जा रही थी। जिसकी अवधी अब जल्द ही खत्म होने वाली है और अब एक जुलाई (Changes from 1 July) से ये पूरे देशभर में लागू होने वाली है।
1 जुलाई से होंगे ये 8 बदलाव

सरकार का दावा है कि आईपीसी की स्थान पर बीएनस (Changes from 1 July) आने के कारण अब आम जनता को आसानी से न्याय मिल सकेगा क्योंकि इसमें कानून की कई जटिलताओं को खत्म करने का प्रयास किया गया है। ऐसे में चलिए हम आपको बतातें हैं कि आखिर 1 जुलाई से क्या क्या बदलाव होने वाले हैं।
- FIR से लेकर कोर्ट के फैसले तक का पूरा प्रोसेस होगा ऑनलाइन।
- इंटरनेट के जरिए शिकायत दायर करने के तीनों के भीतर FIR दर्ज करने का प्रावधान।
- 7 साल से ज्यादा सजा वाले मामलों की फॉरेसिंक जांच अनिवार्य होगी।
- यौन उत्पीड़न के मामलों में 7 दिनों के भीतर पुलिस को अपनी जांच रिपोर्ट देनी ही होगी।
- पहली सुनवाई के सिर्फ 60 दिनों के अंदर ही आरोप तय होंगे।
- आपराधिक मामलों में सुनवाई पूरी होने के बाद मात्र 45 दिनों में ही कोर्ट फैसला सुनाएगी।
- भगोड़े अपराधियों की गैर-मौजूदगी के मामलों में अब 90 दिनों के अंदर केस दर्ज करने का प्रावधान होगा।
- 3 साल के अंदर पीड़त को न्याय मिलेगा ।
कहीं भी दर्ज करवा सकते हैं एफआईआर

भारतीय न्याय संहिता के अनुसार अब एक जुलाई (Changes from 1 July) से किसी भी थाने में जाकर एफआईआर दर्ज की जा सकेगी। यानी की अब पुलिस वाले ये नहीं कहेंगे की “ये मामला तो हमारे थानाक्षेत्र का नहीं है आप दूसरे थाने में जाएं”। बीएनएस के अनुसार अगर घटना थानाक्षेत्र के बाहर की है तो भी इसे ‘जीरो एफआईआर’ के रूप में दर्ज करना अनिवार्य होगा। पीड़ित द्वारा की गई जीरो एफआईआर को विभाग खुद सीसीटीएनएस के जरिए संबंधित थाने में ट्रांसफर करेगा। जिसके बाद संबंधित थाने में प्राथमिकी की संख्या भी दर्ज की जाएगी। इतना ही नहीं अब शिकायतकर्ता दर्ज की गई एफआईआर की जांच और कार्रवाई की पूरी जानकारी एफआईआर नंबर के जरिए ऑनलाइन भी देख पाएगा।
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