Kavad yatra 2024- 22 जुलाई से कावंड़ यात्रा शुरू हो चुकी है, इसी के साथ ही करोंड़ों की संख्या में भोले के भक्त हरिद्वार की ओर निकल पड़े हैं। कुछ शिवभक्त तो हरिद्वार से गंगाजल लेकर वापस अपने अपने गांवों और शहरों की ओर निकल पड़े हैं। लेकिन कांवड़ मार्ग में खोली गई दुकानों का विवाद अभी तक खत्म नहीं हुआ है। एक ओर योगी सरकार कहती है कि दुकानदारों को अपना नाम बोर्ड पर लिखना जरूरी है तो उधर सुप्रीम कोर्ट कहता है कि ऐसा करने की कोई आवश्यकता नहीं है। क्या है पूरा मामला आईए जानते हैं।
सुप्रीम कोर्ट का अंतरिम आदेश रहेगा जारी

कांवड़ यात्रा (kavad yatra 2024) शुरू होने से ठीक पहले योगी सरकार ने एक फरमान जारी कर कावंड़ मार्ग में दुकान खोलने वाले दुकानदारों को सख्त निर्देश दिए थे कि उन्हें अपना नाम दुकान के बाहर लगे बोर्ड में लिखना होगा। सरकार के इस फैसले से समाज का एक तबका खुश तो दूसरा आक्रोशित हो गया। विपक्षी दलों ने भी सरकार के इस फैसले का जमकर विरोध किया। नतीजन योगी सरकार के इस आदेश के खिलाफ एसोसिएशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ सिविल राइट्स नाम के एक एनजीओ ने सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर करदी। जिस पर 22 जुलाई को सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार के फैसले पर अंतरिम रोक लगा दी है। कोर्ट ने अपना आदेश सुनाते हुए कहा है कि दुकानदारों को नाम बताने की कोई आवश्यकता नहीं है। साथ ही कोर्ट ने कहा कि कांवड़ियों को ढाबों पर केवल वेज खाना परोसा जाए और साफ सफाई का विशेष ध्यान रखा जाए।
सोमवार को होगी अगली सुनवाई

आपको बता दें कि इस फैसले की शुरूआत मुजफ्फरनगर से हुई थी, जिसे बाद में योगी सरकार ने पूरे प्रदेश में लागू कर दिया था। यूपी की ही तर्ज पर बाद में उत्तराखंड और एमपी की सरकार ने भी कुछ इस तरह के ही निर्देश जारी कर दिए थे। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने कांवड़ मार्ग (kavad yatra 2024) पर दुकानों, ढाबों और ठेलों पर नेम प्लेट लगाने पर रोक लगाते हुए उत्तराखंड और एमपी सरकार को 2 सप्ताह के अंदर जवाब दाखिल करने का समय दिया। मामले की अगली सुनवाई अब अगले सोमवार को की जाएगी। हालंकि तब तक कोर्ट का अंतरिम आदेश ही जारी रहेगा।
योगी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में रखा अपना पक्ष

इस मामले पर यूपी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में अपनी दलीलों के समर्थन में कावंड़ मार्ग में कुछ खाने पीने की दुकानों की तस्वीरें पेश की हैं। इसमें सरकार ने बताया है कि राजा राम भोज फैमिली टूरिस्ट ढाबा के संचालक का नाम वसीम है। राजस्थानी खालसा ढाबा के मालिक का नाम फुरकान है एवं पंडित जी वैष्णो ढाबा चलाने वाले व्यक्ति का नाम सनव्वर राठौड़ हैं। सरकार ने कहा कि करोंड़ों कांवड़ यात्री नंगे पैर मिलों की यात्रा करते हुए ढाबों पर रुकते हैं और ऐसे में खाने पीने को लेकर होने वाली गलतफहमी झगड़े का कारण बन जाती है। साथ ही सरकार ने कहा कि किसी भी शिव भक्त की धार्मिक भावना आहत ना हो और कोई भी विवाद ना हो इसके लिए ही सरकार ने दुकानों के बाहर नेम प्लेट लगाने का आदेश दिया था।
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